इब्राहिम रहीमतुल्ला

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इब्राहिम रहीमतुल्ला (जन्म- 1862; मृत्यु- 1942) अपने समय के ऐसे नेता थे, जिनसे कांग्रेस भी सलाह लेती थी। वह उदारवादी सोच वाले व्यक्ति थे और पश्चिमी ढंग की शिक्षा को उचित मानते थे।

  • सन 1912 में अंग्रेज़ों से यह कहने वाले कि 'उन्हें भारत से जाना पड़ेगा और भारत स्वतंत्र होगा', इब्राहिम रहीमतुल्लाह का जन्म 1862 ई. में मुंबई के एक ख्वाजा मुस्लिम परिवार में हुआ था।[1]
  • इब्राहिम रहीमतुल्ला उदारवादी सोच के व्यक्ति थे और पश्चिमी ढंग की शिक्षा को उचित समझते थे।
  • वह संवैधानिक तरीकों से भारत की स्वतंत्रता के पक्षधर थे। हिंदू मुस्लिम एकता के लिए वे निरंतर प्रयत्नशील रहे।
  • केंद्रीय कौंसिल के सदस्य के रूप में इब्राहिम रहीमतुल्ला ने भारत के वाणिज्य और उद्योगों के हित के लिए अनेक प्रयत्न किए।
  • लंदन में आयोजित गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने वाले एक सदस्य वह भी थे।
  • ब्रिटिश सरकार ने इब्राहिम रहीमतुल्ला को ‘साकी’ की उपाधि दी थी।
  • इब्राहिम रहीमतुल्ला का मुस्लिम लीग से भी निकट का संबंध था।
  • वह अपने समय के ऐसे नेता थे, जिनसे कांग्रेस भी सलाह लेती थी और सरकार भी।
  • सन 1942 में इब्राहिम रहीमतुल्ला का देहांत हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 91 |

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