अब्दुस समद ख़ाँ: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(''''अब्दुस समद ख़ाँ''' (जन्म- 1559 ई., क्वेटा, गुलिस्तान) बलू...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
m (Adding category Category:भारतीय चरित कोश (को हटा दिया गया हैं।))
 
(One intermediate revision by one other user not shown)
Line 1: Line 1:
'''अब्दुस समद ख़ाँ''' (जन्म- 1559 ई., क्वेटा, गुलिस्तान) [[बलूचिस्तान]] के प्रसिद्ध राष्ट्रवादी नेता थे। [[महात्मा गाँधी]] के प्रभाव में आकर वे [[भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन|राष्ट्रीय आंदोलन]] में शामिल हो गए थे। उन्होंने बलूचिस्तान को पूर्ण प्रदेश का दर्जा दिये जाने की माँग की थी। अब्दुस समद ख़ाँ धर्म के आधार पर देश के विभाजन की नीति के घोर विरोधी थे। अपनी बलूच जनता को वे जान से भी अधिक प्यार करते थे।
{{सूचना बक्सा राजनीतिज्ञ
|चित्र=Blankimage.png
|चित्र का नाम=अब्दुस समद ख़ाँ
|पूरा नाम=अब्दुस समद ख़ाँ
|अन्य नाम=
|जन्म=1559 ई.
|जन्म भूमि=[[क्वेटा]], गुलिस्तान
|मृत्यु=
|मृत्यु स्थान=
|मृत्यु कारण=
|अभिभावक=
|पति/पत्नी=
|संतान=
|स्मारक=
|क़ब्र=
|नागरिकता=भारतीय
|प्रसिद्धि=राष्ट्रवादी नेता
|पार्टी=[[कांग्रेस]]
|पद=
|कार्य काल=
|शिक्षा=
|भाषा=
|विद्यालय=
|जेल यात्रा=
|पुरस्कार-उपाधि=
|विशेष योगदान=
|संबंधित लेख=[[महात्मा गाँधी]], [[भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन]], [[बलूचिस्तान]], [[क्वेटा]]
|शीर्षक 1=
|पाठ 1=
|शीर्षक 2=
|पाठ 2=
|अन्य जानकारी=अब्दुस समद ख़ाँ ने [[1920]] में उन्होंने ‘अंजुमन-ए-वतन’ नामक एक संस्था बनाई और उसके माध्यम से [[बलूचिस्तान]] में सामाजिक सुधार का काम आरंभ किया। बाद में देश में चल रहे [[भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन|राष्ट्रीय आंदोलन]] के महत्व को समझते हुए [[कांग्रेस]] की सदस्यता ग्रहण कर ली
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन=
}}
'''अब्दुस समद ख़ाँ''' (जन्म- 1559 ई., [[क्वेटा]], गुलिस्तान) [[बलूचिस्तान]] के प्रसिद्ध राष्ट्रवादी नेता थे। [[महात्मा गाँधी]] के प्रभाव में आकर वे [[भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन|राष्ट्रीय आंदोलन]] में शामिल हो गए थे। उन्होंने बलूचिस्तान को पूर्ण प्रदेश का दर्जा दिये जाने की माँग की थी। अब्दुस समद ख़ाँ धर्म के आधार पर देश के विभाजन की नीति के घोर विरोधी थे। अपनी बलूच जनता को वे जान से भी अधिक प्यार करते थे।
==परिचय==
==परिचय==
अब्दुस समद ख़ाँ का जन्म 1559 ईस्वी में क्वेटा के निकट गुलिस्तान में हुआ था। आरंभ में उनको शिक्षा की अधिक सुविधा नहीं मिली। गांधीजी के प्रभाव से वह शीघ्र ही राष्ट्रीय आंदोलन में सम्मिलित हो गए थे। सन [[1920]] में उन्होंने ‘अंजुमन-ए-वतन’ नामक एक संस्था बनाई और उसके माध्यम से बलूचिस्तान में सामाजिक सुधार का काम आरंभ किया। बाद में देश में चल रहे राष्ट्रीय आंदोलन के महत्व को समझते हुए उन्होंने [[कांग्रेस]] की सदस्यता ग्रहण कर ली और अपनी संस्था 'अंजुमन-ए-वतन' को कांग्रेस संगठन से संबद्ध कर लिया।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=37-38|url=}}</ref>
अब्दुस समद ख़ाँ का जन्म 1559 ईस्वी में क्वेटा के निकट गुलिस्तान में हुआ था। आरंभ में उनको शिक्षा की अधिक सुविधा नहीं मिली। गांधीजी के प्रभाव से वह शीघ्र ही राष्ट्रीय आंदोलन में सम्मिलित हो गए थे। सन [[1920]] में उन्होंने ‘अंजुमन-ए-वतन’ नामक एक संस्था बनाई और उसके माध्यम से बलूचिस्तान में सामाजिक सुधार का काम आरंभ किया। बाद में देश में चल रहे राष्ट्रीय आंदोलन के महत्व को समझते हुए उन्होंने [[कांग्रेस]] की सदस्यता ग्रहण कर ली और अपनी संस्था 'अंजुमन-ए-वतन' को कांग्रेस संगठन से संबद्ध कर लिया।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=37-38|url=}}</ref>
Line 13: Line 48:
{{औपनिवेशिक काल}}
{{औपनिवेशिक काल}}
[[Category:औपनिवेशिक काल]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:चरित कोश]][[Category:इतिहास कोश]]
[[Category:औपनिवेशिक काल]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:चरित कोश]][[Category:इतिहास कोश]]
[[Category:भारतीय चरित कोश]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__

Latest revision as of 12:31, 6 January 2020

अब्दुस समद ख़ाँ
पूरा नाम अब्दुस समद ख़ाँ
जन्म 1559 ई.
जन्म भूमि क्वेटा, गुलिस्तान
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि राष्ट्रवादी नेता
पार्टी कांग्रेस
संबंधित लेख महात्मा गाँधी, भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन, बलूचिस्तान, क्वेटा
अन्य जानकारी अब्दुस समद ख़ाँ ने 1920 में उन्होंने ‘अंजुमन-ए-वतन’ नामक एक संस्था बनाई और उसके माध्यम से बलूचिस्तान में सामाजिक सुधार का काम आरंभ किया। बाद में देश में चल रहे राष्ट्रीय आंदोलन के महत्व को समझते हुए कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली

अब्दुस समद ख़ाँ (जन्म- 1559 ई., क्वेटा, गुलिस्तान) बलूचिस्तान के प्रसिद्ध राष्ट्रवादी नेता थे। महात्मा गाँधी के प्रभाव में आकर वे राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल हो गए थे। उन्होंने बलूचिस्तान को पूर्ण प्रदेश का दर्जा दिये जाने की माँग की थी। अब्दुस समद ख़ाँ धर्म के आधार पर देश के विभाजन की नीति के घोर विरोधी थे। अपनी बलूच जनता को वे जान से भी अधिक प्यार करते थे।

परिचय

अब्दुस समद ख़ाँ का जन्म 1559 ईस्वी में क्वेटा के निकट गुलिस्तान में हुआ था। आरंभ में उनको शिक्षा की अधिक सुविधा नहीं मिली। गांधीजी के प्रभाव से वह शीघ्र ही राष्ट्रीय आंदोलन में सम्मिलित हो गए थे। सन 1920 में उन्होंने ‘अंजुमन-ए-वतन’ नामक एक संस्था बनाई और उसके माध्यम से बलूचिस्तान में सामाजिक सुधार का काम आरंभ किया। बाद में देश में चल रहे राष्ट्रीय आंदोलन के महत्व को समझते हुए उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली और अपनी संस्था 'अंजुमन-ए-वतन' को कांग्रेस संगठन से संबद्ध कर लिया।[1]

जेलयात्रा

सन 1929 के कांग्रेस के ऐतिहासिक लाहौर अधिवेशन में अब्दुस समद ख़ाँ उपस्थित थे, जिसमें पूर्ण स्वतंत्रता का प्रस्ताव पास किया गया था। 1930 में सरकार विरोधी प्रचार करने के अभियोग में अब्दुस समद ख़ाँ को गिरफ्तार करके 2 वर्ष के लिए जेल में डाल दिया गया। जेल से छूटने पर उन्होंने बलूचिस्तान को पूरे प्रदेश का दर्जा देने की मांग की और इसके लिए कराची में एक सम्मेलन का आयोजन किया। बलूचिस्तान लौटने पर उन्हें फिर गिरफ्तार करके 3 वर्ष के लिए जेल में डाल दिया गया। द्वितीय विश्व युद्ध आरंभ होने पर अब्दुस समद ख़ाँ गांधीजी से मिलने वर्धा गए और लौटकर बलूचिस्तान में सत्याग्रह आंदोलन चलाया। सन 1942 से 1945 तक वह फिर जेल में बंद रहे।

पृथक राज्य की माँग

अब्दुस समद ख़ाँ 'मुस्लिम लीग' के देश विभाजन की मांग के कट्टर विरोधी थे। ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान की तरह वह भी पाकिस्तान से अलग पठानों और बिलोचों के लिए अलग राज्य चाहते थे। पाकिस्तान बन जाने पर इस ‘बिल्लोच गांधी’ को पाकिस्तान सरकार ने 14 वर्ष की सजा देकर जेल में डाल दिया और उनकी संस्था 'अंजुमन-ए-वतन' गैरकानूनी घोषित कर दी गई। इस जेल यात्रा का उपयोग अब्दुस समद ख़ाँ ने अपनी शिक्षा पूरी करने में किया। धर्म के आधार पर देश विभाजन की नीति के वह घोर विरोधी थे और अपनी बलूच जनता को भी जान से ज्यादा प्यार करते थे।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 37-38 |

संबंधित लेख