वर्धा शिक्षा आयोग: Difference between revisions
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Revision as of 09:42, 15 April 2012
वर्धा शिक्षा योजना का सूत्रपात राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा 1937 ई. में 'वर्धा' नामक स्थान पर हुआ था। गाँधी जी ने वर्धा में अपने हरिजन के अंकों में शिक्षा पर योजना प्रस्तुत की, इसे ही 'वर्धा योजना' कहा गया। इसमें शिक्षा के माध्यम से हस्त उत्पादन कार्यों को महत्त्व दिया गया। इसमें बालक अपनी मातृभाषा के द्वारा 7 वर्ष तक अध्ययन करता था।
- 1935 ई. के 'भारत सरकार अधिनियम' के अन्तर्गत प्रान्तों में 'द्वैध शासन पद्धति' समाप्त हो गयी।
- इसके दो साल बाद ही गांधी जी ने 1937 ई. में 'वर्धा शिक्षा योजना' प्रस्तुत की।
- इस योजना के अन्तर्गत गांधी जी ने अध्यापकों के प्रशिक्षण, पर्यवेक्षण, परीक्षण एवं प्रशासन का सुझाव दिया।
- योजना में सर्वाधिक महत्व हस्त उत्पादन कार्यों को दिया गया, जिसके द्वारा अध्यापकों के वेतन की व्यवस्था किये जाने की योजना थी।
- इस योजना में विद्यार्थी को अपनी मातृभाषा में लगभग 7 वर्ष तक अध्ययन करना होता था।
- यह योजना द्वितीय विश्व युद्ध के कारण खटाई में पड़ गई, परन्तु 1947 ई. के बाद अंग्रेज़ सरकार ने इस पर विचार किया।
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
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