नरेन्द्र मण्डल: Difference between revisions

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Revision as of 10:30, 24 April 2011

  • नरेन्द्र मण्डल संस्था की स्थापना माण्टेगू चेम्सफ़ोर्ड रिपोर्ट की सिफ़ारिशों के अनुसार तथा शाही ऐलान के द्वारा 8 फरवरी 1921 ई. को हुई थी।
  • भारतीय देशी रियासतों के विभिन्न प्रतिनिधि शासक नरेन्द्र मण्डल के सदस्य थे। वाइसराय इसका अध्यक्ष होता था और हर साल राजाओं में से इसके चांसलर और प्रोचांसलर का चुनाव होता था।
  • नरेन्द्र मण्डल सिर्फ़ एक सलाहकार संस्था थी और इस संस्था को कार्यकारी अधिकार प्राप्त नहीं थे।
  • वाइसराय इस संस्था से उन सभी मामलों में परामर्श ले सकता था, जिनसे ब्रिटिश भारत और देशी रियासत, दोनों का ही सम्बन्ध होता था।
  • नरेन्द्र मण्डल संस्था रियासतों और उनके शासकों के आंतरिक मामलों या ब्रिटेन के बादशाह से उनके सम्बन्धों, या रियासतों के वर्तमान अधिकारों या विवाह सम्बन्धों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता था और न ही उनकी कार्य स्वतंत्रता पर अंकुश ही लगा सकता था।
  • नरेन्द्र मण्डल की स्थापना का उद्देश्य देशी रियासतों को ब्रिटिश भारतीय सरकार तथा नयी राष्ट्रीय विचारधारा के निकट सम्पर्क में आना था।
  • नरेन्द्र मण्डल संस्था बहुत कारगर सिद्ध नहीं हुई। परिस्थितियों वश इसकी उपयोगिता सिर्फ़ इतनी ही रही कि उसने सम्पूर्ण भारत के लिए आज की तरह की संघीय सरकार की स्थापना के लिए रास्त साफ़ कर दिया।




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टीका टिप्पणी और संदर्भ

भट्टाचार्य, सच्चिदानन्द भारतीय इतिहास कोश (हिन्दी)। भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ, पृष्ठ सं 217।


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