अलीनगर की संधि: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (Text replace - "सिक्के" to "सिक़्क़े")
Line 3: Line 3:
*ईस्ट इंडिया कम्पनी को [[मुग़ल]] बादशाह के फ़रमान के आधार पर व्यापार की समस्त सुविधाएँ फिर से दे दी गईं।
*ईस्ट इंडिया कम्पनी को [[मुग़ल]] बादशाह के फ़रमान के आधार पर व्यापार की समस्त सुविधाएँ फिर से दे दी गईं।
*कलकत्ता में क़िले की मरम्मत की इजाज़त भी दे दी गई
*कलकत्ता में क़िले की मरम्मत की इजाज़त भी दे दी गई
*कलकत्ता में सिक्के ढालने का अधिकार भी उन्हें दे दिया गया तथा नवाब के द्वार कलकत्ते पर अधिकार करने से अंग्रेज़ों को जो क्षति हुई थी, उसका हर्जाना देना भी स्वीकार किया गया और दोनों पक्षों ने शान्ति बनाये रखने का एक-दूसरे से वायदा किया।
*कलकत्ता में सिक़्क़े ढालने का अधिकार भी उन्हें दे दिया गया तथा नवाब के द्वार कलकत्ते पर अधिकार करने से अंग्रेज़ों को जो क्षति हुई थी, उसका हर्जाना देना भी स्वीकार किया गया और दोनों पक्षों ने शान्ति बनाये रखने का एक-दूसरे से वायदा किया।


'''इस संधि पर हस्ताक्षर''' करने के एक [[महीने]] बाद अंग्रेज़ों ने इसका उल्लघंन कर, कलकत्ता से कुछ मील दूर [[गंगा नदी]] के किनारे की फ़्राँसीसी बस्ती [[चन्द्रनगर]] पर आक्रमण करके उस पर अपना अधिकार कर लिया। उसके दूसरे महीने [[जून]] में अंग्रेज़ों ने [[मीर ज़ाफ़र]] और नवाब के अन्य विरोधी अफ़सरों से मिलकर [[सिराजुद्दौला]] के विरुद्ध षड़यंत्र रचा। इस षड़यंत्र के परिणाम स्वरूप [[23 जून]], 1757 ई. को [[प्लासी का युद्ध|प्लासी की लड़ाई]] हुई, जिसमें [[सिराजुद्दौला]] हार गया तथा मारा गया।  
'''इस संधि पर हस्ताक्षर''' करने के एक [[महीने]] बाद अंग्रेज़ों ने इसका उल्लघंन कर, कलकत्ता से कुछ मील दूर [[गंगा नदी]] के किनारे की फ़्राँसीसी बस्ती [[चन्द्रनगर]] पर आक्रमण करके उस पर अपना अधिकार कर लिया। उसके दूसरे महीने [[जून]] में अंग्रेज़ों ने [[मीर ज़ाफ़र]] और नवाब के अन्य विरोधी अफ़सरों से मिलकर [[सिराजुद्दौला]] के विरुद्ध षड़यंत्र रचा। इस षड़यंत्र के परिणाम स्वरूप [[23 जून]], 1757 ई. को [[प्लासी का युद्ध|प्लासी की लड़ाई]] हुई, जिसमें [[सिराजुद्दौला]] हार गया तथा मारा गया।  

Revision as of 14:37, 11 February 2013

अलीनगर की संधि, 9 फ़रवरी 1757 ई. को बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला और ईस्ट इंडिया कम्पनी के बीच हुई, जिसमें अंग्रेज़ों का प्रतिनिधित्व क्लाइव और वाटसन ने किया था। अंग्रेज़ों द्वारा कलकत्ता पर दुबारा अधिकार कर लेने के बाद यह संधि की गई। इस संधि के द्वारा नवाब और ईस्ट इंडिया कम्पनी में निम्नलिखित शर्तों पर फिर से सुलह हो गई-

  • ईस्ट इंडिया कम्पनी को मुग़ल बादशाह के फ़रमान के आधार पर व्यापार की समस्त सुविधाएँ फिर से दे दी गईं।
  • कलकत्ता में क़िले की मरम्मत की इजाज़त भी दे दी गई
  • कलकत्ता में सिक़्क़े ढालने का अधिकार भी उन्हें दे दिया गया तथा नवाब के द्वार कलकत्ते पर अधिकार करने से अंग्रेज़ों को जो क्षति हुई थी, उसका हर्जाना देना भी स्वीकार किया गया और दोनों पक्षों ने शान्ति बनाये रखने का एक-दूसरे से वायदा किया।

इस संधि पर हस्ताक्षर करने के एक महीने बाद अंग्रेज़ों ने इसका उल्लघंन कर, कलकत्ता से कुछ मील दूर गंगा नदी के किनारे की फ़्राँसीसी बस्ती चन्द्रनगर पर आक्रमण करके उस पर अपना अधिकार कर लिया। उसके दूसरे महीने जून में अंग्रेज़ों ने मीर ज़ाफ़र और नवाब के अन्य विरोधी अफ़सरों से मिलकर सिराजुद्दौला के विरुद्ध षड़यंत्र रचा। इस षड़यंत्र के परिणाम स्वरूप 23 जून, 1757 ई. को प्लासी की लड़ाई हुई, जिसमें सिराजुद्दौला हार गया तथा मारा गया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

भट्टाचार्य, सच्चिदानन्द भारतीय इतिहास कोश, द्वितीय संस्करण-1989 (हिन्दी), भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, 22।

संबंधित लेख