आर. श्रीनिवासन: Difference between revisions

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==परिचय==
==परिचय==

Revision as of 07:14, 5 May 2018

आर. श्रीनिवासन
पूरा नाम आर. श्रीनिवासन
जन्म 1859
मृत्यु 1945
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि द्रविड़ों के प्रथम नेता (दक्षिण भारत)
पद 1923 में श्रीनिवासन दलितों के नेता के रूप में मद्रास काउंसिल के सदस्य मनोनीत किए गए और 1935 तक उस पद पर रहे।
अन्य जानकारी सन 1930-1931 के प्रथम गोलमेज सम्मेलन में सरकार ने आर. श्रीनिवासन को दलितों के लिए प्रथम प्रतिनिधि के रूप में भेजा था।

आर. श्रीनिवासन (जन्म- 1859; मृत्यु- 1945) दक्षिण भारत के द्रविड़ों के प्रथम नेता थे। तत्कालीन समय में दलितों की जो स्थिति थी, उसके विरुद्ध उन्होंने आवाज़ उठाई। प्रथम गोलमेज सम्मेलन में वे दलितों के प्रतिनिधि के रूप में भेजे गए थे। आर. श्रीनिवासन ने दलित उत्थान हेतु जो कार्य किये, उनके लिए ब्रिटिश सरकार ने उन्हें 'दीवान बहादुर' की उपाधि से सम्मानित किया था।

परिचय

आर. श्रीनिवासन का जन्म 1859 ई. में मद्रास (वर्तमान चेन्नई) में हुआ था। वह कई क्षेत्रों में प्रथम रहे, जैसे कॉलेज की शिक्षा पाने वाले मद्रास के प्रथम द्रविड़, शिक्षा के बाद विदेश में सरकारी सेवा करने वाले अपने वर्ग के प्रथम व्यक्ति। उस समय दलितों की जो दयनीय स्थिति थी, उसके विरुद्ध उन्होंने आवाज उठाई और इस संबंध में 1895 में एक प्रतिनिधि मंडल के साथ वायसराय से मिले। सन 1994 में दक्षिण अफ्रीका की सरकारी सेवा में चले गए और 1920 में वहां से भारत लौटे।[1]

दलितों के नेता

भारत आने पर 1923 में श्रीनिवासन दलितों के नेता के रूप में मद्रास काउंसिल के सदस्य मनोनीत किए गए और 1935 तक उस पद पर रहे। 1930-1931 के प्रथम गोलमेज सम्मेलन में सरकार ने उन्हें दलितों के लिए प्रथम प्रतिनिधि के रूप में भेजा। वहां उन्होंने दलितों के लिए पृथक निर्वाचन क्षेत्र की मांग रखी। उनका कहना था कि दलितों के लिए आरक्षण के साथ-साथ शिक्षा की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। दलित उत्थान के क्षेत्र में उनके कार्य को देखकर ब्रिटिश सरकार ने उन्हें ‘दीवान बहादुर’ की उपाधि दी थी।

मृत्यु

आर. श्रीनिवासन का 1945 में निधन हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 77 |

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