श्रमिक संघ

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  • 'श्रमिकों के सभी प्रकार के समान हितों की रक्षा करने के उद्देश्य से बनाया गया, श्रमिकों का संगठन श्रमिक संघ कहलाता है।
  • भारत में आधुनिक उद्योगों की शुरुआत 1850 ई. से 1870 ई. के बीच हुई थी।
  • आद्योगिकीकरण के साथ-साथ इस क्षेत्र में अनेक बुराइयाँ, जैसे- अधिक समय तक श्रमिकों से काम लेना, कठोर श्रम, आवास की असुविधा, कम परिश्रमिक, मृत्यु दर में अधिकता आदि व्याप्त थीं।
  • इन बुराईयों को थोड़ा बहुत कम करने के लिए ब्रिटिश भारत की सरकार ने कई कारख़ाना अधिनियम बनाये, पर इन अधिनियमों द्वारा इन क्षेत्रों में कोई क्रांतिकारी परिवर्तन नहीं हुआ।
  • श्रमिकों ने औपनिवेशिक राज्य से लड़ने के लिए संगठन की आवश्यकता महसूस की, जिसके परिणामस्वरूप 1884 ई. में भारत का पहला 'श्रमिक संघ' (जिसे वास्तविक रूप से 'श्रमिक संघ' नहीं माना जाता) 'बम्बई मिल हैण्ड ऐसोसिएशन' की स्थापना एन.एम.लोखण्डे के नेतृत्व में की गई।
  • इस संगठन में मराठी भाषा में 'दीनबन्धु' नामक अख़बार भी प्रकाशित किया गया।
  • 1897 ई. में 'अमलगमेटिड सोसाइटी ऑफ़ रेलवे सर्वेन्टस ऑफ़ इण्डिया एण्ड बर्मा' की स्थापना हुई।
  • इसके अतिरिक्त 1905 ई. में 'कलकत्ता प्रिन्टर्स यूनियन', 1907 ई. में 'बम्बई पोस्टल यूनियन' और और 1910 ई. में 'कामगार हितवर्धक सभा' की स्थापना हुई।
  • इन संगठनों का एकमात्र उद्देश्य था- फैक्ट्री प्रणाली में व्याप्त बुराइयों को समाप्त करना।
  • मजदूर वर्ग की प्रथम संगठित हड़ताल ब्रिटिश स्वामित्व वाली रेलवे, जिसका नाम 'ग्रेट इण्डियन पेनन्सुलर रेलवे' था, 1899 ई. में मजदूरी, काम के घण्टों तथा अन्य सेवा शर्तों में सुधार को लेकर हुई थी।


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