नेहरू रिपोर्ट: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(''''नेहरू रिपोर्ट''' अगस्त, 1928 ई. में प्रस्तुत की गई थी।...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
 
Line 4: Line 4:
==परिणाम==
==परिणाम==
यह सारी रिपोर्ट बड़ी कठिनाई और आशंकाओं के बीच बनी थी। लगभग हर प्रश्न पर ही समझौता करना मुश्किल हो जाता था। [[गाँधी जी]] इस सर्वदलीय सम्मेलन में हाजिर नहीं थे और न ही उन्होंने अपने विचार प्रकट किये थे। 'नेहरू रिपोर्ट' में पूर्ण स्वराज्य को स्थान न देकर आंशिक स्वतंत्रता की मांग की गई थी। नागरिकों के मूल अधिकारों में राजा और ज़मींदारों के असीम भूमि अधिकारों को सुरक्षित रखा गया था, जिसके परिणामस्वरूप देश के नेताओं और आम जनता ने इसे मान्य नहीं किया।
यह सारी रिपोर्ट बड़ी कठिनाई और आशंकाओं के बीच बनी थी। लगभग हर प्रश्न पर ही समझौता करना मुश्किल हो जाता था। [[गाँधी जी]] इस सर्वदलीय सम्मेलन में हाजिर नहीं थे और न ही उन्होंने अपने विचार प्रकट किये थे। 'नेहरू रिपोर्ट' में पूर्ण स्वराज्य को स्थान न देकर आंशिक स्वतंत्रता की मांग की गई थी। नागरिकों के मूल अधिकारों में राजा और ज़मींदारों के असीम भूमि अधिकारों को सुरक्षित रखा गया था, जिसके परिणामस्वरूप देश के नेताओं और आम जनता ने इसे मान्य नहीं किया।
{{seealso|नेहरू समिति}}


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}

Latest revision as of 10:19, 24 April 2012

नेहरू रिपोर्ट अगस्त, 1928 ई. में प्रस्तुत की गई थी। पंडित मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में भारतीय संविधान के मसौदे को तैयार करने के लिये एक आठ सदस्यों वाली समिति बनाई गई थी। इस समिति ने प्रस्तावित संविधान का जो प्रारूप प्रस्तुत किया, उसे ही 'नेहरू रिपोर्ट' के नाम से पुकरा गया।

सर्वदलीय सम्मेलन

साइमन कमीशन के विरोध एवं बहिष्कार के पूर्व ही 1925 ई. में भारत सचिव लॉर्ड बर्कन हेड ने कांग्रेस के नेताओं को यह चुनौती दे डाली कि यदि वे विभिन्न सम्प्रदायों की आपसी सहमति से एक संविधान का मसविदा तेयार कर सके, तो ब्रिटिश सरकार निश्चित ही उस पर सहानुभूति पूर्ण ढंग से विचार कर सकती है। भारतीय नेताओं ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए फ़रवरी, 1928 ई. में दिल्ली में एक सर्वदलीय सम्मेलन का आयोजन किया। इस सम्मेलन में मतभेद के कारण कोई भी निर्णय नहीं लिया जा सका। अगला सम्मेलन 19 मई, 1928 ई. को बम्बई मे हुआ। यहाँ पर पंडित मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में भारतीय संविधान के मसविदे को तैयार करने के लिए 8 सदस्यीय समिति की नियुक्ति हुई। इस समिति ने अगस्त, 1928 ई. में प्रस्तावित संविधान का प्रारूप प्रस्तुत किया। इस प्रारूप को ही 'नेहरू रिपोर्ट' कहकर सम्बोधित किया गया।

परिणाम

यह सारी रिपोर्ट बड़ी कठिनाई और आशंकाओं के बीच बनी थी। लगभग हर प्रश्न पर ही समझौता करना मुश्किल हो जाता था। गाँधी जी इस सर्वदलीय सम्मेलन में हाजिर नहीं थे और न ही उन्होंने अपने विचार प्रकट किये थे। 'नेहरू रिपोर्ट' में पूर्ण स्वराज्य को स्थान न देकर आंशिक स्वतंत्रता की मांग की गई थी। नागरिकों के मूल अधिकारों में राजा और ज़मींदारों के असीम भूमि अधिकारों को सुरक्षित रखा गया था, जिसके परिणामस्वरूप देश के नेताओं और आम जनता ने इसे मान्य नहीं किया।


  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख