आम्बूर की लड़ाई: Difference between revisions

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*[[मद्रास]] में फ़्राँसीसियों की छोटी-सी सेना द्वारा नवाब अनवरुद्दीन की बड़ी फ़ौज दो बार पराजित हो चुकी थी। इसीलिए [[डूप्ले]] को यह विश्वास हो गया कि छोटी-सी सुशिक्षित [[फ़्राँसीसी]] सेना अपने से बड़ी भारतीय सेना को आसानी से पराजित कर सकती है।
*डूप्ले ने निश्चय किया कि उसकी श्रेष्ठ सैनिक शक्ति [[भारत]] के देशी राजाओं के आंतरिक मामलों में निर्भय होकर हस्तक्षेप कर सकती है। इसलिए जब [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] और फ़्राँसीसियों का युद्ध समाप्त हो गया, तो डूप्ले ने [[कर्नाटक]] के पुराने नवाब के दामाद [[चन्दा साहब]] से गुप्त संधि कर ली, जिसमें उसको कर्नाटक का नवाब बनवाने का वादा किया गया था। इस संधि के अनुसार चन्दा साहब और फ़्राँसीसी सेनाओं ने अनवरुद्दीन को बेलोर के दक्षिण-पश्चिम में स्थित 'आम्बूर की लड़ाई' में [[अगस्त]], 1749 ई. में पराजित कर दिया और वह मारा गया।
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आम्बूर की लड़ाई 1749 ई. में डूप्ले की फ़्राँसीसी सेना और कर्नाटक के नवाब अनवरुद्दीन की सेना के मध्य लड़ी गई थी। इस लड़ाई में नवाब की पराजय हुई और वह मारा गया।

  • मद्रास में फ़्राँसीसियों की छोटी-सी सेना द्वारा नवाब अनवरुद्दीन की बड़ी फ़ौज दो बार पराजित हो चुकी थी। इसीलिए डूप्ले को यह विश्वास हो गया कि छोटी-सी सुशिक्षित फ़्राँसीसी सेना अपने से बड़ी भारतीय सेना को आसानी से पराजित कर सकती है।
  • डूप्ले ने निश्चय किया कि उसकी श्रेष्ठ सैनिक शक्ति भारत के देशी राजाओं के आंतरिक मामलों में निर्भय होकर हस्तक्षेप कर सकती है। इसलिए जब अंग्रेज़ों और फ़्राँसीसियों का युद्ध समाप्त हो गया, तो डूप्ले ने कर्नाटक के पुराने नवाब के दामाद चन्दा साहब से गुप्त संधि कर ली, जिसमें उसको कर्नाटक का नवाब बनवाने का वादा किया गया था। इस संधि के अनुसार चन्दा साहब और फ़्राँसीसी सेनाओं ने अनवरुद्दीन को बेलोर के दक्षिण-पश्चिम में स्थित 'आम्बूर की लड़ाई' में अगस्त, 1749 ई. में पराजित कर दिया और वह मारा गया। उसका पुत्र मुहम्मद अली भागकर त्रिचनापल्ली पहुँच गया, जहाँ चन्दा साहब और फ़्राँसीसियों की सेना ने उसे घेर लिया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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