पूना समझौता: Difference between revisions

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*'''पूना समझौता''' [[24 सितम्बर]], [[1932]] ई. को हुआ था।
'''पूना समझौता''' [[24 सितम्बर]], [[1932]] ई. को हुआ। यह समझौता राष्ट्रपिता [[महात्मा गाँधी]] की रोगशैया पर हुआ था। ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैम्जे मैकडोनाल्ड के [[साम्प्रदायिक निर्णय]] के द्वारा न केवल [[मुसलमान|मुसलमानों]] को, बल्कि दलित जाति के [[हिन्दू|हिन्दुओं]] को सवर्ण हिन्दुओं से अलग करने के लिए भी पृथक् प्रतिनिधित्व प्रदान कर दिया गया था।
*यह समझौता [[गांधीजी]] की रोगशैया पर हुआ था।
 
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*साम्प्रदायिक निर्णय के समय गाँधी जी यरवदा जेल में थे।
*गांधीजी ने इसी के विरुद्ध आमरण उपवास आरम्भ कर दिया था।
*इस निर्णय के ख़िलाफ़ [[20 सितम्बर]], 1932 को उन्होंने जेल में ही आमरण अनशन प्रारम्भ कर दिया।
*इस समझौते के द्वारा दलित जाति के प्रतिनिधियों को सामान्य निर्वाचन क्षेत्रों के द्वारा, जिनमें सभी ग़ैर-मुसलमानों को वोट देने का अधिकार था, निर्वाचित करने का निर्णय किया गया।
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*अम्बेडकर ने समझौते के अन्तर्गत हरिजनों के लिए पृथक् प्रतिनिधित्व की मांग को वापस ले लिया तथा संयुक्त निर्वाचन के सिद्धान्त को स्वीकार कर लिया।
*इस समझौते के अन्तर्गत हरिजनों के लिए विधानमण्डलों में सुरक्षित स्थान को 71 से बढाकर 148 कर दिया गया।
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पूना समझौता 24 सितम्बर, 1932 ई. को हुआ। यह समझौता राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की रोगशैया पर हुआ था। ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैम्जे मैकडोनाल्ड के साम्प्रदायिक निर्णय के द्वारा न केवल मुसलमानों को, बल्कि दलित जाति के हिन्दुओं को सवर्ण हिन्दुओं से अलग करने के लिए भी पृथक् प्रतिनिधित्व प्रदान कर दिया गया था।

  • साम्प्रदायिक निर्णय के समय गाँधी जी यरवदा जेल में थे।
  • इस निर्णय के ख़िलाफ़ 20 सितम्बर, 1932 को उन्होंने जेल में ही आमरण अनशन प्रारम्भ कर दिया।
  • मदन मोहन मालवीय के प्रयासों से पूना में गाँधी जी और बी.आर. अम्बेडकर के मध्य एक समझौता हुआ।
  • अम्बेडकर ने समझौते के अन्तर्गत हरिजनों के लिए पृथक् प्रतिनिधित्व की मांग को वापस ले लिया तथा संयुक्त निर्वाचन के सिद्धान्त को स्वीकार कर लिया।
  • इस समझौते के अन्तर्गत हरिजनों के लिए विधानमण्डलों में सुरक्षित स्थान को 71 से बढाकर 148 कर दिया गया।
  • इसी समय रवीन्द्रनाथ टैगोर ने गाँधी जी के बारे में कहा था- "भारत की एकता और उसकी सामाजिक अखण्डता के लिए यह एक उत्कृष्ट बलिदान है। हमारे व्यथित हृदय आपकी महान् तपस्या का आदर और प्रेम के साथ अनुसरण करेंगे।"


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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