शिताबराय: Difference between revisions
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'''शिताबराय''' [[बिहार]] का एक प्रतिष्ठित व्यक्ति था, जिसे राजा की उपाधि मिली थी। [[अंग्रेज़]] [[ईस्ट इंडिया कम्पनी]] को दीवानी मिलने के उपरान्त राजा शिताबराय दो उपनायबों में से एक के पद पर नियुक्त हुआ था। | '''शिताबराय''' [[बिहार]] का एक प्रतिष्ठित व्यक्ति था, जिसे राजा की उपाधि मिली थी। [[अवध]] के नवाब [[शुजाउद्दौला]] (1754-1775 ई.) के साथ युद्ध के समय शिताबराय ने अंग्रेज़ों का पूरा साथ दिया। [[अंग्रेज़]] [[ईस्ट इंडिया कम्पनी]] को दीवानी मिलने के उपरान्त राजा शिताबराय दो उपनायबों में से एक के पद पर नियुक्त हुआ था। | ||
*पद पर नियुक्त होने के बाद शिताबराय को बिहार में भूमिकर एकत्र करने का कार्यभार सौंपा गया। | *पद पर नियुक्त होने के बाद शिताबराय को बिहार में भूमिकर एकत्र करने का कार्यभार सौंपा गया। |
Latest revision as of 10:16, 25 May 2012
शिताबराय बिहार का एक प्रतिष्ठित व्यक्ति था, जिसे राजा की उपाधि मिली थी। अवध के नवाब शुजाउद्दौला (1754-1775 ई.) के साथ युद्ध के समय शिताबराय ने अंग्रेज़ों का पूरा साथ दिया। अंग्रेज़ ईस्ट इंडिया कम्पनी को दीवानी मिलने के उपरान्त राजा शिताबराय दो उपनायबों में से एक के पद पर नियुक्त हुआ था।
- पद पर नियुक्त होने के बाद शिताबराय को बिहार में भूमिकर एकत्र करने का कार्यभार सौंपा गया।
- कम्पनी के निर्देशकों की आज्ञा से वारेन हेस्टिंग्स ने 1772 ई. में शिताबराय को पद मुक्त कर दिया।
- शिताबराय पर गबन का आरोप लगाया गया और उस पर अभियोग चलाया गया।
- किसी भी प्रकार दोष सिद्ध नहीं होने पर शिताबराय को छोड़ दिया गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 450 |