ब्रिगेडियर जनरल जॉन निकोल्सन: Difference between revisions
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'''ब्रिगेडियर जनरल जॉन निकोल्सन''' (जन्म-11 दिसम्बर, 1821 ई., लिस्बर्न, आयरलैण्ड; मृत्यु-23 सितम्बर-1857 ई., [[दिल्ली]]) एक वीर सैनिक था, जो 1839 ई. में [[ईस्ट इंडिया कम्पनी]] की सेवा में [[कलकत्ता]] (वर्तमान कोलकाता) में नियुक्त हुआ था। उसने 1857 ई. के तथाकथित सिपाही विद्रोह में यथेष्ट ख्याति अर्जित की थी। | '''ब्रिगेडियर जनरल जॉन निकोल्सन''' (जन्म-11 दिसम्बर, 1821 ई., लिस्बर्न, आयरलैण्ड; मृत्यु-23 सितम्बर-1857 ई., [[दिल्ली]]) एक वीर सैनिक था, जो 1839 ई. में [[ईस्ट इंडिया कम्पनी]] की सेवा में [[कलकत्ता]] (वर्तमान कोलकाता) में नियुक्त हुआ था। उसने 1857 ई. के तथाकथित सिपाही विद्रोह में यथेष्ट ख्याति अर्जित की थी। | ||
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250px|thumb|ब्रिगेडियर जनरल जॉन निकोल्सन ब्रिगेडियर जनरल जॉन निकोल्सन (जन्म-11 दिसम्बर, 1821 ई., लिस्बर्न, आयरलैण्ड; मृत्यु-23 सितम्बर-1857 ई., दिल्ली) एक वीर सैनिक था, जो 1839 ई. में ईस्ट इंडिया कम्पनी की सेवा में कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) में नियुक्त हुआ था। उसने 1857 ई. के तथाकथित सिपाही विद्रोह में यथेष्ट ख्याति अर्जित की थी।
- जॉन निकोल्सन को अफ़ग़ानिस्तान में होने वाले 1840-1841 ई. के अभियान में भाग लेते हुए बंदी बनाया गया, परन्तु शीघ्र ही वह मुक्त कर दिया गया।
- 1848-1849 ई. के द्वितीय सिक्ख युद्ध में भी उसने विशेष ख्याति अर्जित की।
- 1857 ई. के सिपाही विद्रोह के प्रारम्भ होने के समय जॉन निकोल्सन पेशावर में डिप्टी कमीश्नर के पद पर नियुक्त था।
- उसे एक द्रुतगामी सैनिक टुकड़ी का नायक बनाकर पंजाब से दिल्ली पुन: जीत लेने के लिए भेजा गया।
- जॉन निकोल्सन शीघ्रता से मंज़िल तय करता हुआ 14 अगस्त, 1857 ई. को दिल्ली पहुँच गया और 14 सितम्बर को उस अंग्रेज़ सेना का नेतृत्व किया, जिसने पुन: दिल्ली पर अधिकार कर लिया।
- दिल्ली की सड़कों पर लड़ते हुए जॉन निकोल्सन के सीने में गोली लगी और इस संघातिक चोट के फलस्वरूप 23 सितम्बर, 1857 ई. को उसकी मृत्यु हो गई।
- दिल्ली पर उसके द्वारा अधिकार कर लेने से विद्रोह प्राय: समाप्त हो गया और इस प्रकार उसने अंग्रेज़ों के भारतीय साम्राज्य की रक्षा की।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 223 |
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