कालिंजर: Difference between revisions

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Revision as of 07:56, 13 April 2011

  • उत्तर प्रदेश के बांदा ज़िले में कालिंजर का क़िला मध्यकाल में सुदृढ़ क़िला माना जाता था।
  • महमूद ग़ज़नवी ने 1022 ई. के अंत में बुन्देलखण्ड के शासक गण्ड से कालिंजर लेने का प्रयास किया।
  • कालिंजर के किले को घेर लिया गया परंतु सरलता से उस पर अधिकार न कर सका। घेरा दीर्घावधि तक चलता रहा।
  • महमूद ग़ज़नवी को अंततः राजा से सन्धि करनी पड़ी।
  • राजा ने हर्जाने के रूप में 300 हाथी देना स्वीकार किया।
  • 1202-03 ई. कुतुबुद्दीन ऐबक ने चंदेल राजा पदमार्दिदेव को युद्ध में पराजित कर कालिंजर को जीत लिया। परंतु कालांतर में राजपूतों ने इस पर फिर से क़ब्ज़ा कर लिया।
  • 1545 ई. में शेरशाह सूरी ने बुन्देलों से एक भारी संघर्ष के बाद इसे जीत लिया। परंतु घेरे के दौरान बारुद में पलीता लग जाने वह जख्मी हो गया और बाद में मर गया।
  • तदुपरांत इस क़िले पर राजपूतों ने अपना प्रभुत्व कायम कर लिया।
  • 1569 ई. में इस पर अकबर का अधिकार हो गया।
  • अकबर ने मजनू ख़ाँ को क़िले पर आक्रमण के लिए भेजा था। परंतु क़िले के मालिक राजा रामचन्द्र ने बिना विरोध के क़िला मुग़लों को सौंप दिया।
  • इसके बाद यह मुग़ल साम्राज्य का अंग बन गया और मुग़ल साम्राज्य के पतन पर यह अंग्रेज़ों के प्रभाव क्षेत्र में आ गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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