पूना समझौता: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (Text replacement - "ह्रदय" to "हृदय")
Line 6: Line 6:
*अम्बेडकर ने समझौते के अन्तर्गत हरिजनों के लिए पृथक प्रतिनिधित्व की मांग को वापस ले लिया तथा संयुक्त निर्वाचन के सिद्धान्त को स्वीकार कर लिया।
*अम्बेडकर ने समझौते के अन्तर्गत हरिजनों के लिए पृथक प्रतिनिधित्व की मांग को वापस ले लिया तथा संयुक्त निर्वाचन के सिद्धान्त को स्वीकार कर लिया।
*इस समझौते के अन्तर्गत हरिजनों के लिए विधानमण्डलों में सुरक्षित स्थान को 71 से बढाकर 148 कर दिया गया।
*इस समझौते के अन्तर्गत हरिजनों के लिए विधानमण्डलों में सुरक्षित स्थान को 71 से बढाकर 148 कर दिया गया।
*इसी समय [[रवीन्द्रनाथ टैगोर]] ने [[गाँधी जी]] के बारे में कहा था- "[[भारत]] की एकता और उसकी सामाजिक अखण्डता के लिए यह एक उत्कृष्ट बलिदान है। हमारे व्यथित ह्रदय आपकी महान तपस्या का आदर और प्रेम के साथ अनुसरण करेंगे।"
*इसी समय [[रवीन्द्रनाथ टैगोर]] ने [[गाँधी जी]] के बारे में कहा था- "[[भारत]] की एकता और उसकी सामाजिक अखण्डता के लिए यह एक उत्कृष्ट बलिदान है। हमारे व्यथित हृदय आपकी महान तपस्या का आदर और प्रेम के साथ अनुसरण करेंगे।"


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}

Revision as of 09:58, 24 February 2017

पूना समझौता 24 सितम्बर, 1932 ई. को हुआ। यह समझौता राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की रोगशैया पर हुआ था। ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैम्जे मैकडोनाल्ड के साम्प्रदायिक निर्णय के द्वारा न केवल मुसलमानों को, बल्कि दलित जाति के हिन्दुओं को सवर्ण हिन्दुओं से अलग करने के लिए भी पृथक प्रतिनिधित्व प्रदान कर दिया गया था।

  • साम्प्रदायिक निर्णय के समय गाँधी जी यरवदा जेल में थे।
  • इस निर्णय के ख़िलाफ़ 20 सितम्बर, 1932 को उन्होंने जेल में ही आमरण अनशन प्रारम्भ कर दिया।
  • मदन मोहन मालवीय के प्रयासों से पूना में गाँधी जी और बी.आर. अम्बेडकर के मध्य एक समझौता हुआ।
  • अम्बेडकर ने समझौते के अन्तर्गत हरिजनों के लिए पृथक प्रतिनिधित्व की मांग को वापस ले लिया तथा संयुक्त निर्वाचन के सिद्धान्त को स्वीकार कर लिया।
  • इस समझौते के अन्तर्गत हरिजनों के लिए विधानमण्डलों में सुरक्षित स्थान को 71 से बढाकर 148 कर दिया गया।
  • इसी समय रवीन्द्रनाथ टैगोर ने गाँधी जी के बारे में कहा था- "भारत की एकता और उसकी सामाजिक अखण्डता के लिए यह एक उत्कृष्ट बलिदान है। हमारे व्यथित हृदय आपकी महान तपस्या का आदर और प्रेम के साथ अनुसरण करेंगे।"


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख