थीवा

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 13:34, 25 April 2013 by रविन्द्र प्रसाद (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

थीवा उत्तर बर्मा का 1878 ई. से 1886 ई. तक राजा था। उसका कहना था कि उसे ब्रिटेन के अलावा अन्य यूरोपीय देशों से स्वतंत्र व्यापारिक और राजनीतिक सम्बन्ध स्थापित करने का पूर्ण अधिकार है।[1]

  • थीवा के उपरोक्त दावे के कारण वाइसराय लॉर्ड डफ़रिन ने यह बहाना करके कि थीवा ने ब्रिटिश व्यापारियों को बर्मा में सुविधाएँ प्रदान करने से इनकार कर दिया है, और वह अपनी प्रजा पर कुशासन कर रहा है, दिसम्बर 1885 ई. में उसके विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी।
  • थीवा इस आक्रमण का कोई मुकाबला नहीं कर सका।
  • अंग्रेज़ सेना से युद्ध में थीवा की सेना सरलता से परास्त हो गई।
  • युद्ध में पराजय के कारण थीवा ने आत्म समर्पण कर दिया।
  • थीवा को निर्वासित करके भारत भेज दिया गया, जहाँ वह अपनी मृत्यु होने तक रहा।
  • थीवा का राज्य ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य का एक अंग बना लिया गया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 194 |

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः