वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट

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वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट वाइसराय लिटन द्वारा 1878 ई. में पास हुआ था। इस एक्ट ने भारतीय भाषाओं में प्रकाशित होने वाले सभी समाचार पत्रों पर नियंत्रण लगा दिया। किंतु यह एक्ट अंग्रेज़ी में प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों पर लागू नहीं किया गया। इसके फलस्वरूप भारतीयों ने इस एक्ट का बड़े ज़ोर से विरोध किया।

  • 'वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट' तत्कालीन लोकप्रिय एवं महत्वपूर्ण राष्ट्रवादी समाचार पत्र 'सोम प्रकाश' को लक्ष्य बनाकर लाया गया था।
  • दूसरे शब्दों में यह अधिनियम मात्र 'सोम प्रकाश' पर लागू हो सका।
  • लिटन के वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट से बचने के लिए 'अमृत बाजार पत्रिका' (समाचार पत्र), जो बंगला भाषा की थी, अंग्रेज़ी साप्ताहिक में परिवर्तित हो गयी।
  • सोम प्रकाश, भारत मिहिर, ढाका प्रकाश और सहचर आदि समाचार पत्रों के ख़िलाफ़ भी मुकदमें चलाये गये।
  • इस अधिनियम के तहत समाचार पत्रों को न्यायलय में अपील करने का कोई अधिकार नहीं था।
  • वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट को 'मुंह बन्द करने वाला अधिनियम' भी कहा गया है।
  • इस घृणित अधिनियम को लॉर्ड रिपन ने 1882 ई. में रद्द कर दिया।


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