Difference between revisions of "उत्तर प्रदेश किसान सभा"

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'''उत्तर प्रदेश किसान सभा''' का गठन वर्ष [[1917]] में [[मोतीलाल नेहरू]], [[मदन मोहन मालवीय]] और गौरीशंकर मिश्र ने किसानों के हक में किया था। इस किसान सभा में [[अवध]] की भागीदारी सबसे अधिक थी। आगे चलकर 'उत्तर प्रदेश किसान सभा' में कई आंतरिक मतभेद उभर कर सामने आने लगे, जिसके फलस्वरूप अवध के किसान नेताओं ने अपना अलग संगठन '[[अवध किसान सभा]]' के नाम से बना लिया।
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'''उत्तर प्रदेश किसान सभा''' का गठन वर्ष [[1917]] में [[मोतीलाल नेहरू]], [[मदन मोहन मालवीय]] और [[गौरीशंकर मिश्र]] ने किसानों के हक में किया था। इस किसान सभा में [[अवध]] की भागीदारी सबसे अधिक थी। आगे चलकर 'उत्तर प्रदेश किसान सभा' में कई आंतरिक मतभेद उभर कर सामने आने लगे, जिसके फलस्वरूप अवध के किसान नेताओं ने अपना अलग संगठन '[[अवध किसान सभा]]' के नाम से बना लिया।
 
==किसानों का विद्रोह==
 
==किसानों का विद्रोह==
 
[[4 अगस्त]], 1856 में अवध पर ब्रिटिश हुकूमत स्थापित हो जाने के बाद किसानों के अत्यधिक शोषण की शुरुआत हुई। शोषण करने वाले थे- ताल्लुकेदार और जमींदार, जो [[अंग्रेज़]] शासन की पैदाइस थे। विदेशी हुकूमत का हित जमींदारों और तल्लुकेदारों के माध्यम से किसानों से अधिक से अधिक कर वसूलने में था। ब्रिटिश हुकूमत के ख़िलाफ़ अवध के किसान 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में ही कसमसाने लगे थे, लेकिन किसानों का जमींदारों और ब्रिटिश हुकूमत के ख़िलाफ़ संगठित प्रतिरोध 20वीं सदी के दूसरे दशक में अधिक प्रभावी दिखा। हालांकि ब्रिटिश हुकूमत ने ताकत के दम पर किसानों के इस संगठित प्रतिरोध को दबा दिया, किंतु इस प्रतिरोध ने जमींदारों और ब्रिटिश हुकूमत की जड़ें हिलाकर रख दीं।
 
[[4 अगस्त]], 1856 में अवध पर ब्रिटिश हुकूमत स्थापित हो जाने के बाद किसानों के अत्यधिक शोषण की शुरुआत हुई। शोषण करने वाले थे- ताल्लुकेदार और जमींदार, जो [[अंग्रेज़]] शासन की पैदाइस थे। विदेशी हुकूमत का हित जमींदारों और तल्लुकेदारों के माध्यम से किसानों से अधिक से अधिक कर वसूलने में था। ब्रिटिश हुकूमत के ख़िलाफ़ अवध के किसान 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में ही कसमसाने लगे थे, लेकिन किसानों का जमींदारों और ब्रिटिश हुकूमत के ख़िलाफ़ संगठित प्रतिरोध 20वीं सदी के दूसरे दशक में अधिक प्रभावी दिखा। हालांकि ब्रिटिश हुकूमत ने ताकत के दम पर किसानों के इस संगठित प्रतिरोध को दबा दिया, किंतु इस प्रतिरोध ने जमींदारों और ब्रिटिश हुकूमत की जड़ें हिलाकर रख दीं।
 
==गठन==
 
==गठन==
[[पंडित मोतीलाल नेहरू]], [[मदन मोहन मालवीय]] और गौरीशंकर मिश्र ने किसानो के हक में 'उत्तर प्रदेश किसान सभा' का गठन [[1917]] ई. में किया था। 'उत्तर प्रदेश किसान सभा' में अवध की सर्वाधिक भागीदारी थी। यह किसान सभा किसानों के हक में ब्रिटिश हुकूमत के सामने अपनी माँगें रखती थी और दबाव डालकर वाजिब माँगें मंगवाती थी।
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[[पंडित मोतीलाल नेहरू]], [[मदन मोहन मालवीय]] और [[गौरीशंकर मिश्र]] ने किसानो के हक में 'उत्तर प्रदेश किसान सभा' का गठन [[1917]] ई. में किया था। 'उत्तर प्रदेश किसान सभा' में अवध की सर्वाधिक भागीदारी थी। यह किसान सभा किसानों के हक में ब्रिटिश हुकूमत के सामने अपनी माँगें रखती थी और दबाव डालकर वाजिब माँगें मंगवाती थी।
 
==मतभेद==
 
==मतभेद==
[[1921]] में [[गांधीजी]] के नेतृत्व में शुरू किए गए 'खिलाफत आंदोलन' के सवाल पर 'उत्तर प्रदेश किसान सभा' में तीखे मतभेद उभरने लगे और परिणाम स्वरूप अवध के किसान नेताओं, जिसमें खासतौर से गौरीशंकर मिश्र, माताबदल पांडेय, झिंगुरी सिंह आदि शामिल थे, ने 'उत्तर प्रदेश किसान सभा' से नाता तोड़कर '[[अवध किसान सभा]]' का गठन कर लिया। एक महीने के भीतर ही [[अवध]] की 'उत्तर प्रदेश किसान सभा' की सभी इकाइयों का 'अवध किसान सभा' में विलय हो गया। इन नेताओं ने [[प्रतापगढ़ ज़िला|प्रतापगढ़ ज़िले]] की पट्टी तहसील के खरगाँव को नवगठित किसान सभा का मुख्यालय बनाया और यहीं पर एक किसान कांउसिल का भी गठन किया। 'अवध किसान सभा' के निशाने पर मूलतः जमींदार और ताल्लुकेदार थे।
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[[1921]] में [[गांधीजी]] के नेतृत्व में शुरू किए गए 'खिलाफत आंदोलन' के सवाल पर 'उत्तर प्रदेश किसान सभा' में तीखे मतभेद उभरने लगे और परिणाम स्वरूप अवध के किसान नेताओं, जिसमें ख़ासतौर से गौरीशंकर मिश्र, माताबदल पांडेय, झिंगुरी सिंह आदि शामिल थे, ने 'उत्तर प्रदेश किसान सभा' से नाता तोड़कर '[[अवध किसान सभा]]' का गठन कर लिया। एक महीने के भीतर ही [[अवध]] की 'उत्तर प्रदेश किसान सभा' की सभी इकाइयों का 'अवध किसान सभा' में विलय हो गया। इन नेताओं ने [[प्रतापगढ़ ज़िला|प्रतापगढ़ ज़िले]] की पट्टी तहसील के खरगाँव को नवगठित किसान सभा का मुख्यालय बनाया और यहीं पर एक किसान कांउसिल का भी गठन किया। 'अवध किसान सभा' के निशाने पर मूलतः ज़मींदार और ताल्लुकेदार थे।
  
 
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Latest revision as of 11:24, 5 July 2017

uttar pradesh kisan sabha ka gathan varsh 1917 mean motilal neharoo, madan mohan malaviy aur gaurishankar mishr ne kisanoan ke hak mean kiya tha. is kisan sabha mean avadh ki bhagidari sabase adhik thi. age chalakar 'uttar pradesh kisan sabha' mean kee aantarik matabhed ubhar kar samane ane lage, jisake phalasvaroop avadh ke kisan netaoan ne apana alag sangathan 'avadh kisan sabha' ke nam se bana liya.

kisanoan ka vidroh

4 agast, 1856 mean avadh par british hukoomat sthapit ho jane ke bad kisanoan ke atyadhik shoshan ki shuruat huee. shoshan karane vale the- tallukedar aur jamiandar, jo aangrez shasan ki paidais the. videshi hukoomat ka hit jamiandaroan aur tallukedaroan ke madhyam se kisanoan se adhik se adhik kar vasoolane mean tha. british hukoomat ke khilaf avadh ke kisan 19vian shatabdi ke uttarardh mean hi kasamasane lage the, lekin kisanoan ka jamiandaroan aur british hukoomat ke khilaf sangathit pratirodh 20vian sadi ke doosare dashak mean adhik prabhavi dikha. halaanki british hukoomat ne takat ke dam par kisanoan ke is sangathit pratirodh ko daba diya, kiantu is pratirodh ne jamiandaroan aur british hukoomat ki j dean hilakar rakh dian.

gathan

pandit motilal neharoo, madan mohan malaviy aur gaurishankar mishr ne kisano ke hak mean 'uttar pradesh kisan sabha' ka gathan 1917 ee. mean kiya tha. 'uttar pradesh kisan sabha' mean avadh ki sarvadhik bhagidari thi. yah kisan sabha kisanoan ke hak mean british hukoomat ke samane apani maangean rakhati thi aur dabav dalakar vajib maangean mangavati thi.

matabhed

1921 mean gaandhiji ke netritv mean shuroo kie ge 'khilaphat aandolan' ke saval par 'uttar pradesh kisan sabha' mean tikhe matabhed ubharane lage aur parinam svaroop avadh ke kisan netaoan, jisamean khasataur se gaurishankar mishr, matabadal paandey, jhianguri sianh adi shamil the, ne 'uttar pradesh kisan sabha' se nata to dakar 'avadh kisan sabha' ka gathan kar liya. ek mahine ke bhitar hi avadh ki 'uttar pradesh kisan sabha' ki sabhi ikaiyoan ka 'avadh kisan sabha' mean vilay ho gaya. in netaoan ne pratapagadh zile ki patti tahasil ke kharagaanv ko navagathit kisan sabha ka mukhyalay banaya aur yahian par ek kisan kaanusil ka bhi gathan kiya. 'avadh kisan sabha' ke nishane par moolatah zamiandar aur tallukedar the.


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

tika tippani aur sandarbh

bahari k diyaan

sanbandhit lekh