हन्टर समिति: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
(''''हन्टर समिति''' की स्थापना ब्रिटिश सरकार द्वारा [[1 अक्...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
आदित्य चौधरी (talk | contribs) m (Text replacement - "कार्यवाही" to "कार्रवाई") |
||
(2 intermediate revisions by one other user not shown) | |||
Line 3: | Line 3: | ||
ब्रिटिश सरकार ने विवशता में जलियांवाला बाग़ घटना की जाँच हेतु हन्टर की अध्यक्षता में एक समिति की स्थापना की थी। आठ सदस्यों वाली इस समिति में पांच [[अंग्रेज़]] लॉर्ड हन्टर, जस्टिस सर जॉर्ज रैंकिग, डब्ल्यू एफ़. राइस, मेजर जनरल सर जॉर्ज बैरो एवं सर टॉम्स स्मिथ, तीन भारतीय सदस्य सर चिमन सीतलवाड़, साहबजादा सुल्तान अहमद एवं जगत नारायण थे। [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] ने इस नृशंस घटना की जाँच के लिए [[मदन मोहन मालवीय]] के नेतृत्व में एक आयोग नियुक्त किया, जिसके अन्य सदस्य थे, [[पंडित मोतीलाल नेहरू]], [[गांधी जी]], अब्बास तैय्यब जी, सी.आर. दास एवं पुपुल जयकर। | ब्रिटिश सरकार ने विवशता में जलियांवाला बाग़ घटना की जाँच हेतु हन्टर की अध्यक्षता में एक समिति की स्थापना की थी। आठ सदस्यों वाली इस समिति में पांच [[अंग्रेज़]] लॉर्ड हन्टर, जस्टिस सर जॉर्ज रैंकिग, डब्ल्यू एफ़. राइस, मेजर जनरल सर जॉर्ज बैरो एवं सर टॉम्स स्मिथ, तीन भारतीय सदस्य सर चिमन सीतलवाड़, साहबजादा सुल्तान अहमद एवं जगत नारायण थे। [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] ने इस नृशंस घटना की जाँच के लिए [[मदन मोहन मालवीय]] के नेतृत्व में एक आयोग नियुक्त किया, जिसके अन्य सदस्य थे, [[पंडित मोतीलाल नेहरू]], [[गांधी जी]], अब्बास तैय्यब जी, सी.आर. दास एवं पुपुल जयकर। | ||
====रिपोर्ट की प्रस्तुति==== | ====रिपोर्ट की प्रस्तुति==== | ||
'हन्टर कमेटी' ने [[मार्च]], [[1920]] ई. में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसके पहले ही सरकार ने दोषी लोगों को बचाने के लिए 'इण्डेम्निटी बिल' पास कर लिया था। कमेटी ने सम्पूर्ण प्रकरण पर लीपापोती करने का प्रयास किया। [[पंजाब]] के गवर्नर को निर्दोष घोषित किया गया। समिति ने जनरल डायर पर बोझ डालते हुए कहा कि डायर ने कर्तव्य को ग़लत समझते हुए ज़रुरत से अधिक बल प्रयोग किया, पर जो कुछ किया, निष्ठा से किया। तत्कालीन [[भारत]] सचिव मांटेग्यू ने कहा कि "जनरल डायर ने जैसा उचित समझा उसके अनुसार बिल्कुल नेकनीयत के साथ कार्य किया, अलबत्ता उससे परिस्थिति को ठीक-ठीक समझने में | 'हन्टर कमेटी' ने [[मार्च]], [[1920]] ई. में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसके पहले ही सरकार ने दोषी लोगों को बचाने के लिए 'इण्डेम्निटी बिल' पास कर लिया था। कमेटी ने सम्पूर्ण प्रकरण पर लीपापोती करने का प्रयास किया। [[पंजाब]] के गवर्नर को निर्दोष घोषित किया गया। समिति ने जनरल डायर पर बोझ डालते हुए कहा कि डायर ने कर्तव्य को ग़लत समझते हुए ज़रुरत से अधिक बल प्रयोग किया, पर जो कुछ किया, निष्ठा से किया। तत्कालीन [[भारत]] सचिव मांटेग्यू ने कहा कि "जनरल डायर ने जैसा उचित समझा उसके अनुसार बिल्कुल नेकनीयत के साथ कार्य किया, अलबत्ता उससे परिस्थिति को ठीक-ठीक समझने में ग़लती हो गई।" डायर को इस अपराध के लिए नौकरी से हटाने का दण्ड दिया गया। ब्रितानी अख़बारो ने उसे 'ब्रिटिश साम्राज्य का रक्षक' एवं ब्रितानी लॉर्ड सभा ने उसे 'ब्रिटिश साम्राज्य का शेर' कहा। सरकार ने उसकी सेवाओं के लिए उसे 'मान की तलवार' की उपाधि प्रदान की। | ||
==कांग्रेस की मांग== | ==कांग्रेस की मांग== | ||
कांग्रेस द्वारा नियुक्त जाँच समिति ने अपनी रिपोर्ट में अधिकारियों के इस बर्बर कृत्य के लिए उन्हें निन्दा का पात्र बताया एवं सरकार से दोषी लोगो के ख़िलाफ़ | कांग्रेस द्वारा नियुक्त जाँच समिति ने अपनी रिपोर्ट में अधिकारियों के इस बर्बर कृत्य के लिए उन्हें निन्दा का पात्र बताया एवं सरकार से दोषी लोगो के ख़िलाफ़ कार्रवाई एवं मृतकों के परिवारों को आर्थिक सहायता देने की मांग की, लेकिन सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। परिणामस्वरूप गांधी जी ने [[असहयोग आन्दोलन]] की भूमिका बनाई। जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड के समय ही [[पंजाब]] में चमनदीप के नेतृत्व में एक 'डंडा फौज' का गठन हुआ। इसके सदस्य लाठियों और चिड़िमार बंदूकों से लैस होकर सड़को पर गस्त लगाते और पोस्टर चिपकाते थे। | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} |
Latest revision as of 09:00, 10 February 2021
हन्टर समिति की स्थापना ब्रिटिश सरकार द्वारा 1 अक्टूबर, 1919 ई. को की गई थी। लॉर्ड हन्टर को इस समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। देश में जलियांवाला बाग़ के हत्याकांड को लेकर जो उग्र प्रदर्शन आदि हुए, उससे विवश होकर अंग्रेज़ सरकार ने घटना की जाँच करने के लिए 'हन्टर समिति' की स्थापना की। इस समिति ने जलियांवाला बाग़ के सम्पूर्ण प्रकरण पर लीपा-पोती करने का प्रयास किया। ब्रितानिया अख़बारों में घटना के लिए ज़िम्मेदार जनरल डायर को 'ब्रिटिश साम्राज्य का रक्षक' और 'ब्रिटिश साम्राज्य का शेर' आदि कहकर सम्बोधित किया गया।
समिति के सदस्य
ब्रिटिश सरकार ने विवशता में जलियांवाला बाग़ घटना की जाँच हेतु हन्टर की अध्यक्षता में एक समिति की स्थापना की थी। आठ सदस्यों वाली इस समिति में पांच अंग्रेज़ लॉर्ड हन्टर, जस्टिस सर जॉर्ज रैंकिग, डब्ल्यू एफ़. राइस, मेजर जनरल सर जॉर्ज बैरो एवं सर टॉम्स स्मिथ, तीन भारतीय सदस्य सर चिमन सीतलवाड़, साहबजादा सुल्तान अहमद एवं जगत नारायण थे। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने इस नृशंस घटना की जाँच के लिए मदन मोहन मालवीय के नेतृत्व में एक आयोग नियुक्त किया, जिसके अन्य सदस्य थे, पंडित मोतीलाल नेहरू, गांधी जी, अब्बास तैय्यब जी, सी.आर. दास एवं पुपुल जयकर।
रिपोर्ट की प्रस्तुति
'हन्टर कमेटी' ने मार्च, 1920 ई. में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसके पहले ही सरकार ने दोषी लोगों को बचाने के लिए 'इण्डेम्निटी बिल' पास कर लिया था। कमेटी ने सम्पूर्ण प्रकरण पर लीपापोती करने का प्रयास किया। पंजाब के गवर्नर को निर्दोष घोषित किया गया। समिति ने जनरल डायर पर बोझ डालते हुए कहा कि डायर ने कर्तव्य को ग़लत समझते हुए ज़रुरत से अधिक बल प्रयोग किया, पर जो कुछ किया, निष्ठा से किया। तत्कालीन भारत सचिव मांटेग्यू ने कहा कि "जनरल डायर ने जैसा उचित समझा उसके अनुसार बिल्कुल नेकनीयत के साथ कार्य किया, अलबत्ता उससे परिस्थिति को ठीक-ठीक समझने में ग़लती हो गई।" डायर को इस अपराध के लिए नौकरी से हटाने का दण्ड दिया गया। ब्रितानी अख़बारो ने उसे 'ब्रिटिश साम्राज्य का रक्षक' एवं ब्रितानी लॉर्ड सभा ने उसे 'ब्रिटिश साम्राज्य का शेर' कहा। सरकार ने उसकी सेवाओं के लिए उसे 'मान की तलवार' की उपाधि प्रदान की।
कांग्रेस की मांग
कांग्रेस द्वारा नियुक्त जाँच समिति ने अपनी रिपोर्ट में अधिकारियों के इस बर्बर कृत्य के लिए उन्हें निन्दा का पात्र बताया एवं सरकार से दोषी लोगो के ख़िलाफ़ कार्रवाई एवं मृतकों के परिवारों को आर्थिक सहायता देने की मांग की, लेकिन सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। परिणामस्वरूप गांधी जी ने असहयोग आन्दोलन की भूमिका बनाई। जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड के समय ही पंजाब में चमनदीप के नेतृत्व में एक 'डंडा फौज' का गठन हुआ। इसके सदस्य लाठियों और चिड़िमार बंदूकों से लैस होकर सड़को पर गस्त लगाते और पोस्टर चिपकाते थे।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख