त्रिचनापल्ली: Difference between revisions
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*1753 ई. में यहाँ पर पुन: फ़्राँसीसियों के द्वारा घेरा डाला गया, किन्तु 1754 ई. में [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने इस घेरे को तोड़ दिया। | *1753 ई. में यहाँ पर पुन: फ़्राँसीसियों के द्वारा घेरा डाला गया, किन्तु 1754 ई. में [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने इस घेरे को तोड़ दिया। | ||
*यह तब तक कर्नाटक के नवाब के अधीन रहा, जब तक भारतीय ब्रिटिश साम्राज्य में नहीं मिला लिया गया। | *यह तब तक कर्नाटक के नवाब के अधीन रहा, जब तक भारतीय ब्रिटिश साम्राज्य में नहीं मिला लिया गया। | ||
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Revision as of 08:46, 7 April 2012
त्रिचनापल्ली कर्नाटक का एक महत्त्वपूर्ण दुर्ग है। यहाँ कर्नाटक की मसनद के दावेदार मुहम्मद अली ने 1751 ई. में शरण ली थी।
- फ़्राँसीसी तथा उनके आश्रित चन्दा साहब ने जब अर्काट को अपने अधिकार में कर लिया, तो उन्हें अपना घेरा उठा लेना पड़ा।
- 1753 ई. में यहाँ पर पुन: फ़्राँसीसियों के द्वारा घेरा डाला गया, किन्तु 1754 ई. में अंग्रेज़ों ने इस घेरे को तोड़ दिया।
- यह तब तक कर्नाटक के नवाब के अधीन रहा, जब तक भारतीय ब्रिटिश साम्राज्य में नहीं मिला लिया गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
भट्टाचार्य, सच्चिदानन्द भारतीय इतिहास कोश, द्वितीय संस्करण-1989 (हिन्दी), भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, 193।