आष्टी की लड़ाई: Difference between revisions

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आष्टी की लड़ाई में [[पेशवा]] की सेना हार गई और उसका योग्य सेनापति गोखले मारा गया। इस पराजय के फलस्वरूप पेशवा ने [[जून]], 1818 ई. में आत्म समर्पण कर दिया। इससे पहले [[नवम्बर]] 1817 में बाजीराव द्वितीय के नेतृत्व में संगठित मराठा सेना ने पूना की 'अंग्रेज़ी रेजीडेन्सी' को लूटकर जला दिया और खड़की स्थिति अंग्रेज़ी सेना पर हमला कर दिया, लेकिन वह पराजित हो गया। तदनन्तर वह दो और लड़ाइयों - जनवरी 1818 में कोरे गाँव और एक महीने के बाद आष्टी की लड़ाई में पराजित हुआ। उसने भागने की कोशिश की, लेकिन 3 जून, 1818 ई. को उसे अंग्रेज़ों के सामने आत्म समर्पण करना पड़ा। अंग्रेज़ों ने इस बार पेशवा का पद ही समाप्त कर दिया और बाजीराव द्वितीय को अपदस्थ करके बंदी के रूप में [[कानपुर]] के निकट [[बिठूर]] भेज दिया, जहाँ 1853 ई. में उसकी मृत्यु हो गई। मराठों की स्वतंत्रता नष्ट करने के लिए बाजीराव द्वितीय सबसे अधिक ज़िम्मेदार था।
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Revision as of 11:02, 21 April 2012

आष्टी की लड़ाई 20 फ़रवरी, 1818 ई. को ईस्ट इंडिया कम्पनी और पेशवा बाजीराव द्वितीय के बीच तृतीय आंग्ल-मराठा युद्ध (1817-18) के दौरान पूना में हुई।

इतिहास

आष्टी की लड़ाई में पेशवा की सेना हार गई और उसका योग्य सेनापति गोखले मारा गया। इस पराजय के फलस्वरूप पेशवा ने जून, 1818 ई. में आत्म समर्पण कर दिया। इससे पहले नवम्बर 1817 में बाजीराव द्वितीय के नेतृत्व में संगठित मराठा सेना ने पूना की 'अंग्रेज़ी रेजीडेन्सी' को लूटकर जला दिया और खड़की स्थिति अंग्रेज़ी सेना पर हमला कर दिया, लेकिन वह पराजित हो गया। तदनन्तर वह दो और लड़ाइयों - जनवरी 1818 में कोरे गाँव और एक महीने के बाद आष्टी की लड़ाई में पराजित हुआ। उसने भागने की कोशिश की, लेकिन 3 जून, 1818 ई. को उसे अंग्रेज़ों के सामने आत्म समर्पण करना पड़ा। अंग्रेज़ों ने इस बार पेशवा का पद ही समाप्त कर दिया और बाजीराव द्वितीय को अपदस्थ करके बंदी के रूप में कानपुर के निकट बिठूर भेज दिया, जहाँ 1853 ई. में उसकी मृत्यु हो गई।[1]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. बाजीराव द्वितीय (हिन्दी) (पी.एच.पी.) भारतकोश। अभिगमन तिथि: 21 अप्रॅल, 2012।

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