गोडर्ड कर्नल: Difference between revisions
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*1780 ई. में सालाबाई की संधि होने पर जब मराठा युद्ध समाप्त हुआ तब गोडर्ड को बम्बई में ब्रिटिश सेना का प्रधान सेनाध्यक्ष बना दिया गया। लेकिन स्वास्थ्य अच्छा न होने के कारण वह शीघ्र अवकाश पर चला गया। | *1780 ई. में सालाबाई की संधि होने पर जब मराठा युद्ध समाप्त हुआ तब गोडर्ड को बम्बई में ब्रिटिश सेना का प्रधान सेनाध्यक्ष बना दिया गया। लेकिन स्वास्थ्य अच्छा न होने के कारण वह शीघ्र अवकाश पर चला गया। | ||
*जब गोडर्ड कर्नल 1783 ई. में समुद्र के रास्ते [[इंग्लैण्ड]] जा रहा था तो रास्ते में जहाज़ पर ही उसकी मृत्यु हो गई।<ref>पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश' पृष्ठ संख्या-133</ref> | *जब गोडर्ड कर्नल 1783 ई. में समुद्र के रास्ते [[इंग्लैण्ड]] जा रहा था तो रास्ते में जहाज़ पर ही उसकी मृत्यु हो गई।<ref>पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश' पृष्ठ संख्या-133</ref> | ||
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गोडर्ड कर्नल (कार्यकाल - 1740-83) ने जरनल कूटे के अधीन मद्रास में 1759 ई. में सैनिक सेवा आरम्भ की थी।
- उसने अनेक युद्धों में भाग लिया। जिनके फलस्वरूप 1761 ई. में पांडिचेरी का पतन हो गया।
- गोडर्ड कर्नल 1778 ई. तक अनेक सैनिक पदों पर रहा।
- जब अंग्रेज़ों तथा मराठों के बीच पहला युद्ध हुआ, गोडर्ड कर्नल ने वारेन हेस्टिंग्स के आदेशों से सेना लेकर कलकत्ता से बम्बई की ओर प्रयाण किया।
- गोडर्ड कर्नल ने महू और अहमदाबाद छीन लिया, महादजी शिन्दे को हराया, 1780 ई. में बसई पर अधिकार कर लिया और पूना पर भी चढ़ाई कर दी किन्तु यहाँ पर गोडर्ड कर्नल को पीछे हटना पड़ा।
- 1780 ई. में सालाबाई की संधि होने पर जब मराठा युद्ध समाप्त हुआ तब गोडर्ड को बम्बई में ब्रिटिश सेना का प्रधान सेनाध्यक्ष बना दिया गया। लेकिन स्वास्थ्य अच्छा न होने के कारण वह शीघ्र अवकाश पर चला गया।
- जब गोडर्ड कर्नल 1783 ई. में समुद्र के रास्ते इंग्लैण्ड जा रहा था तो रास्ते में जहाज़ पर ही उसकी मृत्यु हो गई।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश' पृष्ठ संख्या-133