यंग बंगाल आन्दोलन: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (Text replacement - " महान " to " महान् ")
 
(2 intermediate revisions by 2 users not shown)
Line 1: Line 1:
'''यंग बंगाल आन्दोलन''' की स्थापना वर्ष 1828 ई. में [[बंगाल]] में की गई थी। इसके संस्थापक '[[हेनरी विविनय डेरोजियो]]' (1809-1831 ई.) थे। इस आन्दोलन का मुख्य उद्देश्य प्रेस की स्वतन्त्रता, ज़मींदारों द्वारा किये जा रहे अत्याचारों से रैय्यत की संरक्षा, सरकारी नौकरियों में ऊँचे वेतनमान के अन्तर्गत भारतीय लोगों को नौकरी दिलवाना था।
'''यंग बंगाल आन्दोलन''' के प्रवर्तक एंग्लो इंडियन 'हेनरी विलियम डेरेजिओ' (1809-1831 ई.) थे। यह आन्दोलन वर्ष 1828 ई. में [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] में चलाया गया। इस आन्दोलन का मुख्य उद्देश्य प्रेस की स्वतन्त्रता, ज़मींदारों द्वारा किये जा रहे अत्याचारों से रैय्यत की संरक्षा, सरकारी नौकरियों में ऊँचे वेतनमान के अन्तर्गत भारतीय लोगों को नौकरी दिलवाना था।
{{tocright}}
==डेरेजिओ द्वारा संगठन==
एंग्लों-इंडियन डेरेजिओ 1826 से 1831 तक ‘हिन्दू कॉलेज’ में अध्यापक थे। ये अभूतपूर्व प्रतिभा के धनी थे। वे [[फ़्राँस]] की महान् क्रांति से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने अपने शिष्यों एवं अनुयायियों को स्वतन्त्र विवेक से सोचने, मुक्ति, समानता तथा स्वतन्त्रता से प्रेम करने एवं सत्य की [[पूजा]] करने का पाठ पढ़ाया। उन्होंने [[आत्मा]] के विस्तार एवं समाज सुधार हेतु ‘एकेडेमिक एसोसिएशन’ एवं ‘सोसायटी फ़ॉर द एक्वीजीशन ऑफ़ जनरल नॉलेज’ की स्थापना की। इसके अलावा डेरेजिओ ने निम्न संगठन भी बनाये-


एंग्लों-इंडियन डेरोजियो ‘हिन्दू कॉलेज’ में अध्यापक थे। वे [[फ़्राँस]] की महान क्रांति से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने अपने शिष्यों एवं अनुयायियों को स्वतन्त्र विवेक से सोचने, मुक्ति, समानता तथा स्वतन्त्रता से प्रेम करने एवं सत्य की [[पूजा]] करने का पाठ पढ़ाया। उन्होंने [[आत्मा]] के विस्तार एवं समाज सुधार हेतु ‘एकेडेमिक एसोसिएशन’ एवं ‘सोसायटी फ़ॉर द एक्वीजीशन ऑफ़ जनरल नॉलेज’ की स्थापना की। इसके अलावा डेरोजियो ने ‘एंग्लो-इंडियन हिन्दू एसोसिएशन’, बंगहित सभा ‘डिबेटिंग क्लब’ का भी गठन किया। बंगाल आंदोलन के समर्थक लोग पाश्चात्य सभ्यता से अधिक प्रभावित थे। तत्कालीन [[भारत]] के कट्टर [[हिन्दू|हिन्दुओं]] ने डेरोजियों के विचारों का विरोध किया। डेरोजियों ने ‘ईस्ट इंडिया’ नामक दैनिक पत्र का भी संपादन किया। उनके प्रमुख शिष्य थे- कृष्ण मोहन बनर्जी, रामगोपाल घोष एवं महेशचन्द्र घोष। हेनरी विवियन डेरोजियो को आधुनिक भारत का प्रथम राष्ट्रवादी कवि माना जाता है।
#‘एंग्लो-इंडियन हिन्दू एसोसिएशन’
#'बंगहित सभा'
#‘डिबेटिंग क्लब’
====आन्दोलन का हिन्दुओं द्वारा विरोध====
बंगाल आंदोलन के समर्थक लोग पाश्चात्य सभ्यता से अधिक प्रभावित थे। तत्कालीन [[भारत]] के कट्टर [[हिन्दू|हिन्दुओं]] ने डेरेजिओं के विचारों का विरोध किया। डेरेजिओं ने ‘ईस्ट इंडिया’ नामक दैनिक पत्र का भी संपादन किया। उनके प्रमुख शिष्य थे- कृष्ण मोहन बनर्जी, रामगोपाल घोष एवं महेशचन्द्र घोष। हेनरी विवियन डेरेजिओ को आधुनिक भारत का प्रथम राष्ट्रवादी कवि माना जाता है। डेरेजिओ के समर्थकों ने भारत में रूढ़िवादी परम्पराओं एवं रिवाजों की आलोचना की। नारी अधिकारों तथा नारी शिक्षा की हिमायत की, परन्तु ये लोग भारतीय वास्तविकता को पूरी तरह समझने में असफल रहे। इन लोगों ने कम्पनी के चार्टर में संशोधन, प्रेस की आजादी, ब्रिटिश उपनिवेशों में भारतीय मज़दूरों की बेहतर स्थिति, जूरी द्वारा मुकदमों की सुनवायी, अत्याचारी जमींदारों से रैय्यतों की सुरक्षा आदि सार्वजनिक प्रश्नों पर आन्दोलन किया।
==मृत्यु==
22 वर्ष की अवस्था में हैजे से 1831 में डेरेजिओ की मृत्यु हो गई। सुरेन्द्रनाथ बनर्जी ने डेरेजिओ को 'बंगाल में आधुनिक सभ्यता के अग्रदूत', 'हमारी जाति के पिता' कहा। डेरेजिओ को '[[आधुनिक भारत]]' का प्रथम राष्ट्रवादी [[कवि]] भी कहा जाता है।


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
 
{{औपनिवेशिक काल}}
[[Category:इतिहास कोश]][[Category:नया पन्ना]]
[[Category:औपनिवेशिक काल]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:अंग्रेज़ी शासन]][[Category:भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन]]
__INDEX__
__INDEX__

Latest revision as of 11:19, 1 August 2017

यंग बंगाल आन्दोलन के प्रवर्तक एंग्लो इंडियन 'हेनरी विलियम डेरेजिओ' (1809-1831 ई.) थे। यह आन्दोलन वर्ष 1828 ई. में बंगाल में चलाया गया। इस आन्दोलन का मुख्य उद्देश्य प्रेस की स्वतन्त्रता, ज़मींदारों द्वारा किये जा रहे अत्याचारों से रैय्यत की संरक्षा, सरकारी नौकरियों में ऊँचे वेतनमान के अन्तर्गत भारतीय लोगों को नौकरी दिलवाना था।

डेरेजिओ द्वारा संगठन

एंग्लों-इंडियन डेरेजिओ 1826 से 1831 तक ‘हिन्दू कॉलेज’ में अध्यापक थे। ये अभूतपूर्व प्रतिभा के धनी थे। वे फ़्राँस की महान् क्रांति से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने अपने शिष्यों एवं अनुयायियों को स्वतन्त्र विवेक से सोचने, मुक्ति, समानता तथा स्वतन्त्रता से प्रेम करने एवं सत्य की पूजा करने का पाठ पढ़ाया। उन्होंने आत्मा के विस्तार एवं समाज सुधार हेतु ‘एकेडेमिक एसोसिएशन’ एवं ‘सोसायटी फ़ॉर द एक्वीजीशन ऑफ़ जनरल नॉलेज’ की स्थापना की। इसके अलावा डेरेजिओ ने निम्न संगठन भी बनाये-

  1. ‘एंग्लो-इंडियन हिन्दू एसोसिएशन’
  2. 'बंगहित सभा'
  3. ‘डिबेटिंग क्लब’

आन्दोलन का हिन्दुओं द्वारा विरोध

बंगाल आंदोलन के समर्थक लोग पाश्चात्य सभ्यता से अधिक प्रभावित थे। तत्कालीन भारत के कट्टर हिन्दुओं ने डेरेजिओं के विचारों का विरोध किया। डेरेजिओं ने ‘ईस्ट इंडिया’ नामक दैनिक पत्र का भी संपादन किया। उनके प्रमुख शिष्य थे- कृष्ण मोहन बनर्जी, रामगोपाल घोष एवं महेशचन्द्र घोष। हेनरी विवियन डेरेजिओ को आधुनिक भारत का प्रथम राष्ट्रवादी कवि माना जाता है। डेरेजिओ के समर्थकों ने भारत में रूढ़िवादी परम्पराओं एवं रिवाजों की आलोचना की। नारी अधिकारों तथा नारी शिक्षा की हिमायत की, परन्तु ये लोग भारतीय वास्तविकता को पूरी तरह समझने में असफल रहे। इन लोगों ने कम्पनी के चार्टर में संशोधन, प्रेस की आजादी, ब्रिटिश उपनिवेशों में भारतीय मज़दूरों की बेहतर स्थिति, जूरी द्वारा मुकदमों की सुनवायी, अत्याचारी जमींदारों से रैय्यतों की सुरक्षा आदि सार्वजनिक प्रश्नों पर आन्दोलन किया।

मृत्यु

22 वर्ष की अवस्था में हैजे से 1831 में डेरेजिओ की मृत्यु हो गई। सुरेन्द्रनाथ बनर्जी ने डेरेजिओ को 'बंगाल में आधुनिक सभ्यता के अग्रदूत', 'हमारी जाति के पिता' कहा। डेरेजिओ को 'आधुनिक भारत' का प्रथम राष्ट्रवादी कवि भी कहा जाता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख