खड्ग: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
{{tocright}} | |||
खड्ग बलिदान का [[अस्त्र शस्त्र|शस्त्र]] है। [[दुर्गा]] चण्डी के रूप में इसका प्रयोग करती हैं। इनका प्रयोग [[महाभारत|महाभारतकाल]] में किया जाता था। प्राचीन समय में देवी [[देवता]] भी इसका प्रयोग करते थे। खड्ग एक प्राचीन शस्त्र होता है जिसे हम [[तलवार]] का रूप कह सकते हें। इसमें मूठ और लंबा पत्र दो भाग होते हैं। तलवार के पत्र में केवल एक ओर धार होती हैं। लेकिन इसके दोनों ओर धार होती है। इससे काटना और भोंकना (घोंपना), दोनों कार्य किए जाते हैं। यह [[सिक्ख धर्म]] का प्रतीक है। तलवार, खंजर, ढाल ये धर्म के बचाव के लिए प्राण न्यौछावर कर देने वाली सिक्खों की लड़ाकू प्रवृति के प्रतीक हैं। | खड्ग बलिदान का [[अस्त्र शस्त्र|शस्त्र]] है। [[दुर्गा]] चण्डी के रूप में इसका प्रयोग करती हैं। इनका प्रयोग [[महाभारत|महाभारतकाल]] में किया जाता था। प्राचीन समय में देवी [[देवता]] भी इसका प्रयोग करते थे। खड्ग एक प्राचीन शस्त्र होता है जिसे हम [[तलवार]] का रूप कह सकते हें। इसमें मूठ और लंबा पत्र दो भाग होते हैं। तलवार के पत्र में केवल एक ओर धार होती हैं। लेकिन इसके दोनों ओर धार होती है। इससे काटना और भोंकना (घोंपना), दोनों कार्य किए जाते हैं। यह [[सिक्ख धर्म]] का प्रतीक है। तलवार, खंजर, ढाल ये धर्म के बचाव के लिए प्राण न्यौछावर कर देने वाली सिक्खों की लड़ाकू प्रवृति के प्रतीक हैं। | ||
==उत्पत्ति== | ==उत्पत्ति== | ||
Line 20: | Line 21: | ||
|शोध= | |शोध= | ||
}} | }} | ||
{{संदर्भ ग्रंथ}} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==सम्बंधित लेख== | ==सम्बंधित लेख== | ||
{{अस्त्र शस्त्र}} | {{अस्त्र शस्त्र}} | ||
Line 27: | Line 31: | ||
{{भारतीय संस्कृति के प्रतीक}} | {{भारतीय संस्कृति के प्रतीक}} | ||
{{सिक्ख धर्म}} | {{सिक्ख धर्म}} | ||
[[Category:महाभारत]] | [[Category:महाभारत]] | ||
[[Category:पौराणिक अस्त्र-शस्त्र]] | [[Category:पौराणिक अस्त्र-शस्त्र]] |
Revision as of 08:12, 14 May 2011
खड्ग बलिदान का शस्त्र है। दुर्गा चण्डी के रूप में इसका प्रयोग करती हैं। इनका प्रयोग महाभारतकाल में किया जाता था। प्राचीन समय में देवी देवता भी इसका प्रयोग करते थे। खड्ग एक प्राचीन शस्त्र होता है जिसे हम तलवार का रूप कह सकते हें। इसमें मूठ और लंबा पत्र दो भाग होते हैं। तलवार के पत्र में केवल एक ओर धार होती हैं। लेकिन इसके दोनों ओर धार होती है। इससे काटना और भोंकना (घोंपना), दोनों कार्य किए जाते हैं। यह सिक्ख धर्म का प्रतीक है। तलवार, खंजर, ढाल ये धर्म के बचाव के लिए प्राण न्यौछावर कर देने वाली सिक्खों की लड़ाकू प्रवृति के प्रतीक हैं।
उत्पत्ति
खड्ग की उत्पत्ति के संबंध में एक पौराणिक कथा इस प्रकार है---दक्ष प्रजापति की साठ कन्याएँ थीं जिनसे सारी सृष्टि का निर्माण हुआ। उनसे देव, ऋषि, गंधर्व, अप्सरा ही नहीं हिरण्याक्ष और हिरण्यकश्यपु सदृश दैत्यों ने भी जन्म लिया। इन दैत्यों ने सब लोगों को तंग करना आरंभ किया तब देवों ने हिमालय पर एक यज्ञ किया। इस अग्नि की ज्वाला से नील वर्ण, कृशोदर, तीक्ष्णंदत एवं तेजपुंजयुक्त एक आयुध की उत्पत्ति हुई। उसके प्रभाव से सारी पृथ्वी थरथरा उठी। तब ब्रह्मा ने कहा कि मैंने लोकरक्षा के लिये इस खड्ग का निर्माण किया है।
रूप
खड्ग के तीन प्रकार बताए गए हैं-
- कमलपत्र के समान
- मंडलाग्र तथा
- असियष्टि।
50 अंगुल लंबे खड्ग को वराहमिहिर ने सर्वोत्तम माना है। इससे छोटे आकार के खड्गों को आकार के अनुसार तलवार, दीर्घक, नारसिंहक (कटार), कात्यायन, ऊना, भुजाली, करौली और लालक कहते हैं।
उल्लेख
खड्ग का उल्लेख मुख्यत: देवियों के आयुध के रूप में हुआ है। बौद्ध मंजुश्री के हाथ के खड्ग को प्रज्ञा खड्ग कहा गया है। उससे अज्ञान का विनाश होता है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ