अजीम उल्लाह ख़ाँ: Difference between revisions

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*अजीम उल्लाह ख़ाँ [[बाजीराव द्वितीय|पेशवा बाजीराव द्वितीय]] (1796-1818) के पुत्र [[नाना साहब]] का वेतन भोगी कर्मचारी था।  
*अजीम उल्लाह ख़ाँ [[पेशवा]] [[बाजीराव द्वितीय]] (1769-1818 ई.) के पुत्र [[नाना साहब]] का वेतन भोगी कर्मचारी था।  
*अजीम उल्लाह ख़ाँ ने 1857 ई. का सिपाही विद्रोह कराने में गुप्त रूप से भाग लिया।
*अजीम उल्लाह ख़ाँ ने 1857 ई. का [[सिपाही स्वतंत्रता संग्राम|सिपाही विद्रोह]] कराने में गुप्त रूप से भाग लिया था।
*अजीम उल्लाह ख़ाँ ने भारतीयों में [[अंग्रेज़]] विरोधी भावनाएँ उभांड़ीं।
*उसने भारतीयों में [[अंग्रेज़]] विरोधी भावनाएँ भड़काने में मुख्य भूमिका निभाई थी।
*ऐसा समझा जाता है कि जब [[यूरोप]] में क्रीमिया की लड़ाई चल रही थी तो अजीम उल्लाह ख़ाँ यूरोप गया और उसने नाना साहब और रूसियों में सन्धि कराने का प्रयास किया।  
*ऐसा समझा जाता है कि, जब [[यूरोप]] में क्रीमिया की लड़ाई चल रही थी, तो अजीम उल्लाह ख़ाँ यूरोप गया और उसने नाना साहब और रूसियों में सन्धि कराने का प्रयास किया।  
*वह इस प्रयास में सफल नहीं हुआ, लेकिन उसने वापस लौटकर अनेक ऐसे वृत्तान्त प्रचारित किये, जिनसे भारतीयों के मन में बैठी अंग्रेज़ों के अजेय होने की भावना नष्ट हो गई।  
*वह इस प्रयास में सफल नहीं हुआ, लेकिन उसने वापस लौटकर अनेक ऐसे वृत्तान्त प्रचारित किये, जिनसे भारतीयों के मन में बैठी अंग्रेज़ों के अजेय होने की भावना नष्ट हो गई।  
*अजीम-उल्लाह के विवरण से भारतीय सिपाहियों के मन में भी कुछ सीमा तक अंग्रेज़ों के विरुद्ध सफलता प्राप्त करने का उत्साह जाग्रत हुआ।
*अजीम-उल्लाह के विवरण से भारतीय सिपाहियों के मन में भी कुछ सीमा तक अंग्रेज़ों के विरुद्ध सफलता प्राप्त करने का उत्साह जाग्रत हुआ।

Revision as of 10:45, 11 July 2011

  • अजीम उल्लाह ख़ाँ पेशवा बाजीराव द्वितीय (1769-1818 ई.) के पुत्र नाना साहब का वेतन भोगी कर्मचारी था।
  • अजीम उल्लाह ख़ाँ ने 1857 ई. का सिपाही विद्रोह कराने में गुप्त रूप से भाग लिया था।
  • उसने भारतीयों में अंग्रेज़ विरोधी भावनाएँ भड़काने में मुख्य भूमिका निभाई थी।
  • ऐसा समझा जाता है कि, जब यूरोप में क्रीमिया की लड़ाई चल रही थी, तो अजीम उल्लाह ख़ाँ यूरोप गया और उसने नाना साहब और रूसियों में सन्धि कराने का प्रयास किया।
  • वह इस प्रयास में सफल नहीं हुआ, लेकिन उसने वापस लौटकर अनेक ऐसे वृत्तान्त प्रचारित किये, जिनसे भारतीयों के मन में बैठी अंग्रेज़ों के अजेय होने की भावना नष्ट हो गई।
  • अजीम-उल्लाह के विवरण से भारतीय सिपाहियों के मन में भी कुछ सीमा तक अंग्रेज़ों के विरुद्ध सफलता प्राप्त करने का उत्साह जाग्रत हुआ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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