ज़ाकिर हुसैन: Difference between revisions
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'''डॉ. ज़ाकिर हुसैन''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Zakir Hussain'', जन्म: [[8 फ़रवरी]], [[ | '''डॉ. ज़ाकिर हुसैन''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Zakir Hussain'', जन्म: [[8 फ़रवरी]], [[1897]] - मृत्यु: [[3 मई]], [[1969]]) [[भारत]] के तीसरे [[राष्ट्रपति]] थे। उनका राष्ट्रपति कार्यकाल 13 मई 1967 से 3 मई 1969 तक रहा। डॉ. जाकिर हुसैन मशहूर शिक्षाविद् और आधुनिक भारत के दृष्टा थे। ये बिहार के राज्यपाल (कार्यकाल- 1957 से 1962 तक) और [[भारत के उपराष्ट्रपति]] (कार्यकाल- 1962 से 1967 तक) भी रहे। उन्हें वर्ष 1963 मे [[भारत रत्न]] से सम्मानित किया गया। 1969 में असमय देहावसान के कारण वे अपना राष्ट्रपति कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। | ||
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डॉ. ज़ाकिर हुसैन का जन्म [[8 फ़रवरी]], [[1897]] ई. में [[हैदराबाद]], [[आंध्र प्रदेश]] के धनाढ्य पठान परिवार में हुआ था। कुछ समय बाद इनके पिता [[उत्तर प्रदेश]] में रहने आ गये थे। केवल 23 वर्ष की अवस्था में वे 'जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय' की स्थापना दल के सदस्य बने। वे अर्थशास्त्र में पी.एच.डी की डिग्री के लिए [[जर्मनी]] के बर्लिन विश्वविद्यालय गए और लौट कर जामिया के उप कुलपति के पद पर भी आसीन हुए। [[1920]] में उन्होंने [[जामिया मिलिया इस्लामिया]] की स्थापना में योगदान दिया तथा इसके उपकुलपति बने। इनके नेतृत्व में जामिया मिलिया इस्लामिया का राष्ट्रवादी कार्यों तथा स्वाधीनता संग्राम की ओर झुकाव रहा। स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात वे [[अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय]] के उपकुलपति बने तथा उनकी अध्यक्षता में ‘विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग’ भी गठित किया गया। इसके अलावा वे भारतीय प्रेस आयोग, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, [[यूनेस्को]], अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षा सेवा तथा केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से भी जुड़े रहे। 1962 ई. में वे भारत के उपराष्ट्रपति बने।<ref>{{cite book | last =नागोरी | first = डॉ. एस.एल. | title =स्वतंत्रता सेनानी कोश (गाँधीयुगीन) | edition = 2011 | publisher = गीतांजलि प्रकाशन, जयपुर | location = भारतडिस्कवरी पुस्तकालय | language = [[हिन्दी]] | pages = पृष्ठ सं 168 | chapter = खण्ड 3 }}</ref> | डॉ. ज़ाकिर हुसैन का जन्म [[8 फ़रवरी]], [[1897]] ई. में [[हैदराबाद]], [[आंध्र प्रदेश]] के धनाढ्य पठान परिवार में हुआ था। कुछ समय बाद इनके पिता [[उत्तर प्रदेश]] में रहने आ गये थे। केवल 23 वर्ष की अवस्था में वे 'जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय' की स्थापना दल के सदस्य बने। वे अर्थशास्त्र में पी.एच.डी की डिग्री के लिए [[जर्मनी]] के बर्लिन विश्वविद्यालय गए और लौट कर जामिया के उप कुलपति के पद पर भी आसीन हुए। [[1920]] में उन्होंने [[जामिया मिलिया इस्लामिया]] की स्थापना में योगदान दिया तथा इसके उपकुलपति बने। इनके नेतृत्व में जामिया मिलिया इस्लामिया का राष्ट्रवादी कार्यों तथा स्वाधीनता संग्राम की ओर झुकाव रहा। स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात वे [[अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय]] के उपकुलपति बने तथा उनकी अध्यक्षता में ‘विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग’ भी गठित किया गया। इसके अलावा वे भारतीय प्रेस आयोग, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, [[यूनेस्को]], अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षा सेवा तथा केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से भी जुड़े रहे। 1962 ई. में वे भारत के उपराष्ट्रपति बने।<ref>{{cite book | last =नागोरी | first = डॉ. एस.एल. | title =स्वतंत्रता सेनानी कोश (गाँधीयुगीन) | edition = 2011 | publisher = गीतांजलि प्रकाशन, जयपुर | location = भारतडिस्कवरी पुस्तकालय | language = [[हिन्दी]] | pages = पृष्ठ सं 168 | chapter = खण्ड 3 }}</ref> |
Revision as of 10:06, 2 February 2013
thumb|डॉ. ज़ाकिर हुसैन डॉ. ज़ाकिर हुसैन (अंग्रेज़ी: Zakir Hussain, जन्म: 8 फ़रवरी, 1897 - मृत्यु: 3 मई, 1969) भारत के तीसरे राष्ट्रपति थे। उनका राष्ट्रपति कार्यकाल 13 मई 1967 से 3 मई 1969 तक रहा। डॉ. जाकिर हुसैन मशहूर शिक्षाविद् और आधुनिक भारत के दृष्टा थे। ये बिहार के राज्यपाल (कार्यकाल- 1957 से 1962 तक) और भारत के उपराष्ट्रपति (कार्यकाल- 1962 से 1967 तक) भी रहे। उन्हें वर्ष 1963 मे भारत रत्न से सम्मानित किया गया। 1969 में असमय देहावसान के कारण वे अपना राष्ट्रपति कार्यकाल पूरा नहीं कर सके।
जीवन परिचय
डॉ. ज़ाकिर हुसैन का जन्म 8 फ़रवरी, 1897 ई. में हैदराबाद, आंध्र प्रदेश के धनाढ्य पठान परिवार में हुआ था। कुछ समय बाद इनके पिता उत्तर प्रदेश में रहने आ गये थे। केवल 23 वर्ष की अवस्था में वे 'जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय' की स्थापना दल के सदस्य बने। वे अर्थशास्त्र में पी.एच.डी की डिग्री के लिए जर्मनी के बर्लिन विश्वविद्यालय गए और लौट कर जामिया के उप कुलपति के पद पर भी आसीन हुए। 1920 में उन्होंने जामिया मिलिया इस्लामिया की स्थापना में योगदान दिया तथा इसके उपकुलपति बने। इनके नेतृत्व में जामिया मिलिया इस्लामिया का राष्ट्रवादी कार्यों तथा स्वाधीनता संग्राम की ओर झुकाव रहा। स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात वे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के उपकुलपति बने तथा उनकी अध्यक्षता में ‘विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग’ भी गठित किया गया। इसके अलावा वे भारतीय प्रेस आयोग, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, यूनेस्को, अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षा सेवा तथा केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से भी जुड़े रहे। 1962 ई. में वे भारत के उपराष्ट्रपति बने।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
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