सत्यशोधक समाज: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
|||
Line 2: | Line 2: | ||
*सन 1827 ई. में [[पूना]] में एक [[शूद्र]] माली [[परिवार]] में [[ज्योतिबा फुले]] का जन्म हुआ था। इन्होंने [[हिन्दू|हिन्दुओं]] के पवित्र लेखों और [[ग्रंथ|ग्रंथों]] को नकारा। | *सन 1827 ई. में [[पूना]] में एक [[शूद्र]] माली [[परिवार]] में [[ज्योतिबा फुले]] का जन्म हुआ था। इन्होंने [[हिन्दू|हिन्दुओं]] के पवित्र लेखों और [[ग्रंथ|ग्रंथों]] को नकारा। | ||
*[[1885]] ई. में इसारा में कृषक वर्ग की आर्थिक स्थिति पर ज्योतिबा फुले ने अपने विचारों को प्रकाशित किया। उन्होंने अपने विचारों का प्रसार दैनिक 'दीनबंधु' में | *[[1885]] ई. में इसारा में कृषक वर्ग की आर्थिक स्थिति पर ज्योतिबा फुले ने अपने विचारों को प्रकाशित किया। उन्होंने अपने विचारों का प्रसार दैनिक 'दीनबंधु' में तथा अपनी पुस्तकों ‘गुलामगीरी’ और ‘सेनकारयन्वा असुधा’ द्वारा किया। | ||
*फुले ने '[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]]' का विरोध किया, क्योंकि यह कृषकों की समस्याओं को हल करने में असमर्थ थी। | *फुले ने '[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]]' का विरोध किया, क्योंकि यह कृषकों की समस्याओं को हल करने में असमर्थ थी। | ||
*सन [[1954]] में [[ज्योतिबा फुले]] प्रथम भारतीय थे, जिन्होंने अछूतों के लिए स्कूल खुलवाया। | *सन [[1954]] में [[ज्योतिबा फुले]] प्रथम भारतीय थे, जिन्होंने अछूतों के लिए स्कूल खुलवाया। |
Revision as of 13:43, 28 June 2015
सत्यशोधक समाज वर्ष 1875 में ज्योतिबा गोविंदराव फुले द्वारा शुरू किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य ब्राह्मणवाद और उसकी कुरीतियों के विरुद्ध आवाज़ उठाना था। इन्होंने मूर्ति पूजा, कर्मकाण्डों, पुजारियों के वर्चस्व, कर्म, पुनर्जन्म और स्वर्ग के सिद्धांतों का विरोध किया।
- सन 1827 ई. में पूना में एक शूद्र माली परिवार में ज्योतिबा फुले का जन्म हुआ था। इन्होंने हिन्दुओं के पवित्र लेखों और ग्रंथों को नकारा।
- 1885 ई. में इसारा में कृषक वर्ग की आर्थिक स्थिति पर ज्योतिबा फुले ने अपने विचारों को प्रकाशित किया। उन्होंने अपने विचारों का प्रसार दैनिक 'दीनबंधु' में तथा अपनी पुस्तकों ‘गुलामगीरी’ और ‘सेनकारयन्वा असुधा’ द्वारा किया।
- फुले ने 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' का विरोध किया, क्योंकि यह कृषकों की समस्याओं को हल करने में असमर्थ थी।
- सन 1954 में ज्योतिबा फुले प्रथम भारतीय थे, जिन्होंने अछूतों के लिए स्कूल खुलवाया।
- ज्योतिबा फुले की मृत्यु के पश्चात कोल्हापुर के छत्रपति साहू महाराज द्वारा 'सत्यशोधक समाज' चलता रहा।
- 'सत्यशोधक समाज' एक ब्राह्मण विरोधी संस्था थी।
|
|
|
|
|