रेवरेण्ड अलेक्ज़ेण्डर डफ़

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 09:34, 10 April 2012 by रविन्द्र प्रसाद (talk | contribs) (''''रेवरेण्ड अलेक्ज़ेण्डर डफ़''' 1830 से 1863 ई. तक कलकत्ता ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

रेवरेण्ड अलेक्ज़ेण्डर डफ़ 1830 से 1863 ई. तक कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) में एक 'स्काटिश प्रेसबिटेरियन पादरी' रहा था। उसने भारत में अंग्रेज़ी शिक्षा का बहुत प्रसार-प्रचार किया। वह समाज सुधार के कार्यों में भी हमेशा योगदान प्रदान करता था। उसका भारत में आने का मुख्य उद्देश्य यहाँ पर ईसाई धर्म का प्रचार करना था।

भारत आगमन

सम्भवत: 1823 ई. में राजा राममोहन राय के अनुरोध पर 'चर्च ऑफ़ स्काटलैण्ड' ने डफ़ को भारत में अंग्रेज़ी शिक्षा के प्रचार के लिए भेजा था। राजा राममोहन राय ने उसका भारी स्वागत किया और उन्हीं की सहायता से डफ़ ने 1830 ई. में 'जनरल असेम्बलीज इन्स्टीट्यूशन' नामक एक अंग्रेज़ी स्कूल खोला। कालान्तर में इस स्कूल ने कॉलेज का रूप धारण कर लिया। पहले इसका नाम 'डफ़ कॉलेज' था, लेकिन बाद में 'स्काटिश चर्च कॉलेज' हो गया।

ईसाई धर्म प्रचारक

डफ़ ने बंगाल में अंग्रेज़ी शिक्षा के प्रसार-प्रचार तथा समाज सुधार के लिए बहुत कुछ किया। उसने भारत में विश्वविद्यालयों की स्थापना कराने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। कलकत्ता विश्वविद्यालय खुलने पर वह उसकी प्रबन्ध समिति का आरम्भिक सदस्य रहा। 1859 ई. में कई वर्षों तक वह 'बेथून सोसाइटी' का अध्यक्ष रहा। वह पादरी था और भारत में ईसाई धर्म के प्रचार के उद्देश्य से आया था।

धार्मिक टिप्पणी

अपनी पुस्तक 'इंडिया एंड इंडियन मिशन्स' में उसने हिन्दू धर्म के बारे में यहाँ तक लिख डाला है कि 'पतित व्यक्तियों के विकृत मस्तिष्क ने जिन झूठे धर्मों की सृष्टि की, उनमें हिन्दू धर्म सबसे आगे है'। स्वभावत: भारतीय विद्वानों और आम जनता में डफ़ के विरुद्ध भीषण आक्रमण पैदा हो गया। केशवचन्द्र सेन तथा देवेन्द्रनाथ ठाकुर ने डफ़ का कड़ा विरोध किया। बंगाल के कुछ पढ़े-लिखे लोगों को ही वह ईसाई बनाने में सफल हो सका और अंत में निराश होकर 1863 ई. में स्वदेश वापस लौट गया।

निधन

रेवरेण्ड अलेक्ज़ेण्डर डफ़ की मृत्यु 1878 ई. में हुई।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 180 |


संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः