अनवरूद्दीन

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 11:56, 19 August 2020 by रविन्द्र प्रसाद (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

अनवरूद्दीन हैदराबाद के नवाब द्वारा नियुक्त कर्नाटक का नवाब था। उस समय पांडिचेरी और मद्रास स्थित फ्रांसीसी और अंग्रेज़ व्यापारी अपना-अपना प्रभाव क्षेत्र बढ़ाने के लिए आपस में लड़ रहे थे। अनवरूद्दीन को दोनों अपना संरक्षक समझते थे।

  • जब अंग्रेजों ने फ्रांसीसी जहाजों को रोकना आरंभ किया तो फ्रांसीसी गवर्नर ने नवाब से सहायता मांगी।
  • नवाब के पास जहाजी बेड़ा न होने से वह फ्रांसीसियों की सहायता न कर सका और अंग्रेजों का का अभियान जारी रहा।
  • सन 1746 में जब फ्रांसीसियों ने मद्रास को घेर लिया तो अंग्रेजों के अनुरोध पर नवाब अनवरूद्दीन ने उनसे घेरा उठा लेने को कहा। उसकी बात नहीं सुनी गई तो उसने अपनी बड़ी सेना भेजी, लेकिन उसकी सेना को दो बार फ्रांसीसियों से पराजित होना पड़ा।
  • अनवरूद्दीन की हार का बहुत राजनीतिक प्रभाव पड़ा। फ्रासीसियों और अंग्रेज़ों को यह विश्वास हो गया कि पश्चिमी देशों की छोटी सेना भी बड़ी भारतीय सेना को पराजित कर सकती है।
  • इसके बाद ही अंग्रेजों और फ्रांसीसियों का युद्ध समाप्त हो गया और अपनी नवाबी बचाने के चक्कर में अनवरूद्दीन 1749 ई. में मारा गया।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 24 |

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः