Difference between revisions of "श्रमिक आन्दोलन"

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द्वितीय विश्व युद्ध के समाप्त हो जाने के बाद राजनीतिक आन्दोलनों में काफ़ी तेज़ी आई, जिसके फलस्वरूप '''श्रमिक आन्दोलन''' मुख्य रूप से बलशाली हो गये। [[रूस]] में 1918 ई. की 'साम्यवादी क्रांति' ने भारतीय मजदूर संघों को प्रोत्साहित किया। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर 'अन्तर्राष्ट्रीय मजदूर संघ' (आई.एल.ओ.) की स्थापना हुई। वी.पी. वाडिया ने [[भारत]] में आधुनिक श्रमिक संघ 'मद्रास श्रमिक संघ' की स्थापना की। उन्हीं के प्रयासों से 1926 ई. में 'श्रमिक संघ अधिनियम' पारित किया गया।
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द्वितीय विश्व युद्ध के समाप्त हो जाने के बाद राजनीतिक आन्दोलनों में काफ़ी तेज़ी आई, जिसके फलस्वरूप '''श्रमिक आन्दोलन''' मुख्य रूप से बलशाली हो गये। [[रूस]] में [[1918]] ई. की 'साम्यवादी क्रांति' ने भारतीय मजदूर संघों को प्रोत्साहित किया। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर 'अन्तर्राष्ट्रीय मजदूर संघ' (आई.एल.ओ.) की स्थापना हुई। वी.पी. वाडिया ने [[भारत]] में आधुनिक श्रमिक संघ 'मद्रास श्रमिक संघ' की स्थापना की। उन्हीं के प्रयासों से [[1926]] ई. में 'श्रमिक संघ अधिनियम' पारित किया गया।
 
==सुधारवादी व क्रांतिकारी गुट==
 
==सुधारवादी व क्रांतिकारी गुट==
1920 ई. में स्थापित '[[अखिल भारतीय मजदूर संघ कांग्रेस|अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस]]' (ए.आई.टी.यू.सी.) में तत्कालीन, लगभग 64 श्रमिक संघ शामिल हो गये। एन.एम.जोशी, [[लाला लाजपत राय]] एवं जोसेफ़ बैपटिस्टा के प्रयत्नों से 1920 ई. में स्थापित 'अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस' पर वामपंथियों का प्रभाव बढ़ने लगा। 'एटक' (ए.आई.टी.यू.सी) के प्रथम अध्यक्ष लाला लाजपत राय थे। यह सम्मेलन 1920 ई. में [[बम्बई]] में हुआ था। इसके उपाध्यक्ष जोसेफ़ बैप्टिस्टा तथा महामंत्री [[दीवान]] चमनलाल थे। लाला लाजपत राय ने 'साम्राज्यवाद' और 'सैन्यवाद' को 'पूंजीवाद का जुड़वा बच्चा' कहा। [[कांग्रेस]] के 'गया अधिवेशन' (1922 ई.) के श्रमिकों को संबद्ध करने के लिए 'एटक' के साथ कांग्रेस से सहयोग करने का निर्णय लिया। 1926-27 ई. में ये संगठन दो गुटों में बंट गया था, जिनमें पहला 'सुधारवादी' और दूसरा 'क्रांतिकारी' था। इन्हें क्रमशः 'जेनेवा एमस्टर्डम गुट' एवं 'मास्को गुट' भी कहते थे।
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[[1920]] ई. में स्थापित '[[अखिल भारतीय मजदूर संघ कांग्रेस|अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस]]' (ए.आई.टी.यू.सी.) में तत्कालीन, लगभग 64 श्रमिक संघ शामिल हो गये। एन.एम.जोशी, [[लाला लाजपत राय]] एवं जोसेफ़ बैपटिस्टा के प्रयत्नों से 1920 ई. में स्थापित 'अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस' पर वामपंथियों का प्रभाव बढ़ने लगा। 'एटक' (ए.आई.टी.यू.सी) के प्रथम अध्यक्ष लाला लाजपत राय थे। यह सम्मेलन 1920 ई. में [[बम्बई]] में हुआ था। इसके उपाध्यक्ष जोसेफ़ बैप्टिस्टा तथा महामंत्री [[दीवान]] चमनलाल थे। लाला लाजपत राय ने 'साम्राज्यवाद' और 'सैन्यवाद' को 'पूंजीवाद का जुड़वा बच्चा' कहा। [[कांग्रेस]] के 'गया अधिवेशन' ([[1922]] ई.) के श्रमिकों को संबद्ध करने के लिए 'एटक' के साथ कांग्रेस से सहयोग करने का निर्णय लिया। [[1926]]-[[1927]] ई. में ये संगठन दो गुटों में बंट गया था, जिनमें पहला 'सुधारवादी' और दूसरा 'क्रांतिकारी' था। इन्हें क्रमशः 'जेनेवा एमस्टर्डम गुट' एवं 'मास्को गुट' भी कहते थे।
 
====विभिन्न यूनियनों की स्थापना====
 
====विभिन्न यूनियनों की स्थापना====
1929 ई. में अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन का विभाजन दो भागों में हो गया। एम.एन.जोशी एवं [[वाराहगिरि वेंकट गिरि|वी.वी. गिरि]] के नेतृत्व में नरमपंथी लोग ट्रेड यूनियन से अलग होकर 'भारतीय ट्रेड यूनियन फ़ेडरेशन' की स्थापना की। 1931 ई. के भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस से अलग होकर रणदिबे और देश पाण्डेय ने 'लाल ट्रेड यूनियन' की स्थापना की। 1938 ई. में अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस, लाल ट्रेड यूनियन कांग्रेस एवं राष्ट्रीय फ़ेडरेशन ऑफ़ ट्रेड यूनियन्स में पुनः एकता स्थापित हो गई। इस प्रकार 1938 ई. में इसका पहला अधिवेशन [[नागपुर]] में हुआ। एक होने के बाद अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस ने [[भारत]] में समाजवादी राज्य की स्थापना, उद्योगों के राष्ट्रीयकरण एवं प्रेस तथा विचारों को व्यक्त करने की स्वतंत्रता का समर्थन किया। 1938 ई. में [[सुभाषचन्द्र बोस]] के सहयोग से 'हिन्द मजदूर सेवक संघ' की स्थापना हुई। [[बंगाल]] में पहली 'मजदूर किसान पार्टी' की स्थापना 1925 ई. में हुई। जिसका प्रथम अधिवेशन सोहनलाल जोशी की अध्यक्षता में [[कलकत्ता]] में हुआ।
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[[1929]] ई. में अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन का विभाजन दो भागों में हो गया। एम.एन.जोशी एवं [[वाराहगिरि वेंकट गिरि|वी.वी. गिरि]] के नेतृत्व में नरमपंथी लोग ट्रेड यूनियन से अलग होकर 'भारतीय ट्रेड यूनियन फ़ेडरेशन' की स्थापना की। [[1931]] ई. के भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस से अलग होकर रणदिबे और देश पाण्डेय ने 'लाल ट्रेड यूनियन' की स्थापना की। [[1938]] ई. में अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस, लाल ट्रेड यूनियन कांग्रेस एवं राष्ट्रीय फ़ेडरेशन ऑफ़ ट्रेड यूनियन्स में पुनः एकता स्थापित हो गई। इस प्रकार 1938 ई. में इसका पहला अधिवेशन [[नागपुर]] में हुआ। एक होने के बाद अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस ने [[भारत]] में समाजवादी राज्य की स्थापना, उद्योगों के राष्ट्रीयकरण एवं प्रेस तथा विचारों को व्यक्त करने की स्वतंत्रता का समर्थन किया। 1938 ई. में [[सुभाषचन्द्र बोस]] के सहयोग से 'हिन्द मजदूर सेवक संघ' की स्थापना हुई। [[बंगाल]] में पहली 'मजदूर किसान पार्टी' की स्थापना [[1925]] ई. में हुई। जिसका प्रथम अधिवेशन सोहनलाल जोशी की अध्यक्षता में [[कलकत्ता]] में हुआ।
 
====आन्दोलन में तेज़ी====
 
====आन्दोलन में तेज़ी====
1928 ई. में [[बम्बई]] कपड़ा मिल मजदूरों ने सबसे बड़ी हड़ताल की। यह 6 माह तक चली तथा इसमें डेढ़ लाख लोगों ने भाग लिया। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद श्रमिक आंदोलन में काफ़ी तेज़ी आई, क्योंकि रूस के विजयी होने के बाद साम्यवादियों का प्रभुत्व बढ़ा, जिसका प्रभाव भारतीय श्रमिक आन्दोलन पर पड़ा। 1940 ई. में साम्यवादी नेता एम.एन.राय ने अपने को अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस से अलग कर 'इण्डियन फ़ेडरेशन ऑफ़ लेबर' की स्थापना की। इस दल को सरकार का समर्थक दल माना जाता था। राष्ट्रवादी नेता [[वल्लभभाई पटेल]] ने मई, 1947 ई. में 'भारतीय राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस' की स्थापना की। सरदार वल्लभभाई पटेल इसके प्रथम अध्यक्ष थे। समाजवादियों के प्रयास से 1948 ई. में 'हिन्द मजदूर सभा' की स्थापना हुई। इस संघ की स्थापना का उद्देश्य था, भारत में लोकतांत्रिक समाजवादी समाज को स्थापित करना, मजदूरों के हित, अधिकार एवं सुविधा की लड़ाई लड़ना, शैक्षिक स्तर को सुधारने के लिए संस्थायें गठित करना आदि।
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[[1928]] ई. में [[बम्बई]] कपड़ा मिल मजदूरों ने सबसे बड़ी हड़ताल की। यह 6 माह तक चली तथा इसमें डेढ़ लाख लोगों ने भाग लिया। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद श्रमिक आंदोलन में काफ़ी तेज़ी आई, क्योंकि रूस के विजयी होने के बाद साम्यवादियों का प्रभुत्व बढ़ा, जिसका प्रभाव भारतीय श्रमिक आन्दोलन पर पड़ा। [[1940]] ई. में साम्यवादी नेता एम.एन.राय ने अपने को अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस से अलग कर 'इण्डियन फ़ेडरेशन ऑफ़ लेबर' की स्थापना की। इस दल को सरकार का समर्थक दल माना जाता था। राष्ट्रवादी नेता [[वल्लभभाई पटेल]] ने मई, [[1947]] ई. में 'भारतीय राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस' की स्थापना की। सरदार वल्लभभाई पटेल इसके प्रथम अध्यक्ष थे। समाजवादियों के प्रयास से [[1948]] ई. में 'हिन्द मजदूर सभा' की स्थापना हुई। इस संघ की स्थापना का उद्देश्य था, भारत में लोकतांत्रिक समाजवादी समाज को स्थापित करना, मजदूरों के हित, अधिकार एवं सुविधा की लड़ाई लड़ना, शैक्षिक स्तर को सुधारने के लिए संस्थायें गठित करना आदि।
  
 
==मजदूरों के प्रथम हड़ताल==
 
==मजदूरों के प्रथम हड़ताल==
मजदूरों की पहली हड़ताल 1877 ई. में [[नागपुर]] में हुई थी। यह हड़ताल नागपुर के एक सूती मिल में हुई थी। [[भारत]] में व्यापक स्तर पर हड़तालों का आयोजन 1918 ई. से 1920 ई. के मध्य [[बम्बई]], [[मद्रास]], [[कानपुर]], [[जमशेदपुर]], शोलापुर, [[अहमदनगर]] आदि में हुआ। 22 जुलाई, 1908 ई. को [[लोकमान्य तिलक]] के गिरफ्तार होने पर 20वीं [[सदी]] की पहली सबसे बड़ी राजनीतिक हड़ताल का आयोजन हुआ। इस हड़ताल में बम्बई मिल मजदूरों का काफ़ी प्रभाव था।
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मजदूरों की पहली हड़ताल [[1877]] ई. में [[नागपुर]] में हुई थी। यह हड़ताल नागपुर के एक सूती मिल में हुई थी। [[भारत]] में व्यापक स्तर पर हड़तालों का आयोजन 1918 ई. से 1920 ई. के मध्य [[बम्बई]], [[मद्रास]], [[कानपुर]], [[जमशेदपुर]], शोलापुर, [[अहमदनगर]] आदि में हुआ। [[22 जुलाई]], [[1908]] ई. को [[लोकमान्य तिलक]] के गिरफ्तार होने पर 20वीं [[सदी]] की पहली सबसे बड़ी राजनीतिक हड़ताल का आयोजन हुआ। इस हड़ताल में बम्बई मिल मजदूरों का काफ़ी प्रभाव था।
  
 
*[[भारत]] में प्रथम 'क्रान्तिकारी ट्रेड यूनियन' की स्थापना 1928 ई. में [[श्रीपाद अमृत डांगे]] एवं वेन ब्रेडले के सहयोग से बम्बई में 'लाल बावटा गिरनी कामगार यूनियन' के नाम से की गई। इन तमाम छोटे बड़े श्रम संगठनों में श्रमिकों को 'अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस' ने सर्वाधिक प्रभावित किया।  
 
*[[भारत]] में प्रथम 'क्रान्तिकारी ट्रेड यूनियन' की स्थापना 1928 ई. में [[श्रीपाद अमृत डांगे]] एवं वेन ब्रेडले के सहयोग से बम्बई में 'लाल बावटा गिरनी कामगार यूनियन' के नाम से की गई। इन तमाम छोटे बड़े श्रम संगठनों में श्रमिकों को 'अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस' ने सर्वाधिक प्रभावित किया।  

Revision as of 05:33, 17 April 2012

dvitiy vishv yuddh ke samapt ho jane ke bad rajanitik andolanoan mean kafi tezi aee, jisake phalasvaroop shramik andolan mukhy roop se balashali ho gaye. roos mean 1918 ee. ki 'samyavadi kraanti' ne bharatiy majadoor sanghoan ko protsahit kiya. antarrashtriy star par 'antarrashtriy majadoor sangh' (aee.el.o.) ki sthapana huee. vi.pi. vadiya ne bharat mean adhunik shramik sangh 'madras shramik sangh' ki sthapana ki. unhian ke prayasoan se 1926 ee. mean 'shramik sangh adhiniyam' parit kiya gaya.

sudharavadi v kraantikari gut

1920 ee. mean sthapit 'akhil bharatiy tred yooniyan kaangres' (e.aee.ti.yoo.si.) mean tatkalin, lagabhag 64 shramik sangh shamil ho gaye. en.em.joshi, lala lajapat ray evan josef baipatista ke prayatnoan se 1920 ee. mean sthapit 'akhil bharatiy tred yooniyan kaangres' par vamapanthiyoan ka prabhav badhane laga. 'etak' (e.aee.ti.yoo.si) ke pratham adhyaksh lala lajapat ray the. yah sammelan 1920 ee. mean bambee mean hua tha. isake upadhyaksh josef baiptista tatha mahamantri divan chamanalal the. lala lajapat ray ne 'samrajyavad' aur 'sainyavad' ko 'pooanjivad ka ju dava bachcha' kaha. kaangres ke 'gaya adhiveshan' (1922 ee.) ke shramikoan ko sanbaddh karane ke lie 'etak' ke sath kaangres se sahayog karane ka nirnay liya. 1926-1927 ee. mean ye sangathan do gutoan mean bant gaya tha, jinamean pahala 'sudharavadi' aur doosara 'kraantikari' tha. inhean kramashah 'jeneva emastardam gut' evan 'masko gut' bhi kahate the.

vibhinn yooniyanoan ki sthapana

1929 ee. mean akhil bharatiy tred yooniyan ka vibhajan do bhagoan mean ho gaya. em.en.joshi evan vi.vi. giri ke netritv mean naramapanthi log tred yooniyan se alag hokar 'bharatiy tred yooniyan fedareshan' ki sthapana ki. 1931 ee. ke bharatiy tred yooniyan kaangres se alag hokar ranadibe aur desh pandey ne 'lal tred yooniyan' ki sthapana ki. 1938 ee. mean akhil bharatiy tred yooniyan kaangres, lal tred yooniyan kaangres evan rashtriy fedareshan aauf tred yooniyans mean punah ekata sthapit ho gee. is prakar 1938 ee. mean isaka pahala adhiveshan nagapur mean hua. ek hone ke bad akhil bharatiy tred yooniyan kaangres ne bharat mean samajavadi rajy ki sthapana, udyogoan ke rashtriyakaran evan pres tatha vicharoan ko vyakt karane ki svatantrata ka samarthan kiya. 1938 ee. mean subhashachandr bos ke sahayog se 'hind majadoor sevak sangh' ki sthapana huee. bangal mean pahali 'majadoor kisan parti' ki sthapana 1925 ee. mean huee. jisaka pratham adhiveshan sohanalal joshi ki adhyakshata mean kalakatta mean hua.

andolan mean tezi

1928 ee. mean bambee kap da mil majadooroan ne sabase b di h datal ki. yah 6 mah tak chali tatha isamean dedh lakh logoan ne bhag liya. dvitiy vishv yuddh ke bad shramik aandolan mean kafi tezi aee, kyoanki roos ke vijayi hone ke bad samyavadiyoan ka prabhutv badha, jisaka prabhav bharatiy shramik andolan par p da. 1940 ee. mean samyavadi neta em.en.ray ne apane ko akhil bharatiy tred yooniyan kaangres se alag kar 'indiyan fedareshan aauf lebar' ki sthapana ki. is dal ko sarakar ka samarthak dal mana jata tha. rashtravadi neta vallabhabhaee patel ne mee, 1947 ee. mean 'bharatiy rashtriy tred yooniyan kaangres' ki sthapana ki. saradar vallabhabhaee patel isake pratham adhyaksh the. samajavadiyoan ke prayas se 1948 ee. mean 'hind majadoor sabha' ki sthapana huee. is sangh ki sthapana ka uddeshy tha, bharat mean lokataantrik samajavadi samaj ko sthapit karana, majadooroan ke hit, adhikar evan suvidha ki l daee l dana, shaikshik star ko sudharane ke lie sansthayean gathit karana adi.

majadooroan ke pratham h datal

majadooroan ki pahali h datal 1877 ee. mean nagapur mean huee thi. yah h datal nagapur ke ek sooti mil mean huee thi. bharat mean vyapak star par h dataloan ka ayojan 1918 ee. se 1920 ee. ke madhy bambee, madras, kanapur, jamashedapur, sholapur, ahamadanagar adi mean hua. 22 julaee, 1908 ee. ko lokamany tilak ke giraphtar hone par 20vian sadi ki pahali sabase b di rajanitik h datal ka ayojan hua. is h datal mean bambee mil majadooroan ka kafi prabhav tha.

  • bharat mean pratham 'krantikari tred yooniyan' ki sthapana 1928 ee. mean shripad amrit daange evan ven bredale ke sahayog se bambee mean 'lal bavata girani kamagar yooniyan' ke nam se ki gee. in tamam chhote b de shram sangathanoan mean shramikoan ko 'akhil bharatiy tred yooniyan kaangres' ne sarvadhik prabhavit kiya.


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh


tika tippani aur sandarbh

sanbandhit lekh

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