अज़ीमुल्लाह ख़ाँ: Difference between revisions
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'''अज़ीमुल्लाह ख़ाँ''' [[पेशवा]] [[बाजीराव द्वितीय]] (1769-1818 ई.) के पुत्र [[नाना साहब]] | '''अज़ीमुल्लाह ख़ाँ''' (जन्म- 1820, पटकापुर, [[कानपुर]] के पास; मृत्यु- [[1859]]) [[मराठा]] [[पेशवा]] [[बाजीराव द्वितीय]] (1769-1818 ई.) के पुत्र [[नाना साहब]] के वेतन भोगी कर्मचारी थे। उन्होंने [[1857]] ई. का '[[सिपाही स्वतंत्रता संग्राम|सिपाही विद्रोह]]' कराने में गुप्त रूप से भाग लिया था। 1857 के महासमर के महान राजनितिक प्रतिनिधि और प्रथम राष्ट्रगीत के रचनाकार अज़ीमुल्लाह ख़ाँ का सम्पूर्ण जीवन ब्रिटिश राज के विरुद्ध संघर्ष करते हुए व्यतीत हुआ था। इसका सबूत उनके द्वारा रचित देश के प्रथम राष्ट्रगीत के रूप में भी उपलब्ध है।<ref>{{cite web |url=http://www.haaram.com/CompleteArticle.aspx?aid=341652&ln=hi|title=प्रथम राष्ट्रगीत के रचनाकार|accessmonthday=1 मार्च|accessyear=2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref> | ||
*अज़ीमुल्लाह ने भारतीयों में [[अंग्रेज़]] विरोधी भावनाएँ भड़काने में मुख्य भूमिका निभाई थी। | *अज़ीमुल्लाह ने भारतीयों में [[अंग्रेज़]] विरोधी भावनाएँ भड़काने में मुख्य भूमिका निभाई थी। | ||
*ऐसा समझा जाता है कि, जब [[यूरोप]] में क्रीमिया की लड़ाई चल रही थी, तो अज़ीमुल्लाह ख़ाँ यूरोप गया और उसने नाना साहब और रूसियों में सन्धि कराने का प्रयास किया। | *ऐसा समझा जाता है कि, जब [[यूरोप]] में क्रीमिया की लड़ाई चल रही थी, तो अज़ीमुल्लाह ख़ाँ यूरोप गया और उसने नाना साहब और रूसियों में सन्धि कराने का प्रयास किया। |
Revision as of 05:56, 1 March 2013
अज़ीमुल्लाह ख़ाँ (जन्म- 1820, पटकापुर, कानपुर के पास; मृत्यु- 1859) मराठा पेशवा बाजीराव द्वितीय (1769-1818 ई.) के पुत्र नाना साहब के वेतन भोगी कर्मचारी थे। उन्होंने 1857 ई. का 'सिपाही विद्रोह' कराने में गुप्त रूप से भाग लिया था। 1857 के महासमर के महान राजनितिक प्रतिनिधि और प्रथम राष्ट्रगीत के रचनाकार अज़ीमुल्लाह ख़ाँ का सम्पूर्ण जीवन ब्रिटिश राज के विरुद्ध संघर्ष करते हुए व्यतीत हुआ था। इसका सबूत उनके द्वारा रचित देश के प्रथम राष्ट्रगीत के रूप में भी उपलब्ध है।[1]
- अज़ीमुल्लाह ने भारतीयों में अंग्रेज़ विरोधी भावनाएँ भड़काने में मुख्य भूमिका निभाई थी।
- ऐसा समझा जाता है कि, जब यूरोप में क्रीमिया की लड़ाई चल रही थी, तो अज़ीमुल्लाह ख़ाँ यूरोप गया और उसने नाना साहब और रूसियों में सन्धि कराने का प्रयास किया।
- वह इस प्रयास में सफल नहीं हुआ, लेकिन उसने वापस लौटकर अनेक ऐसे वृत्तान्त प्रचारित किये, जिनसे भारतीयों के मन में बैठी अंग्रेज़ों के अजेय होने की भावना नष्ट हो गई।
- अज़ीमुल्लाह के विवरण से भारतीय सिपाहियों के मन में भी कुछ सीमा तक अंग्रेज़ों के विरुद्ध सफलता प्राप्त करने का उत्साह जाग्रत हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ प्रथम राष्ट्रगीत के रचनाकार (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 1 मार्च, 2013।