अलीगढ़ आन्दोलन

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 14:27, 6 July 2017 by व्यवस्थापन (talk | contribs) (Text replacement - "विद्वान " to "विद्वान् ")
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

thumb|220px|सर सैय्यद अहमद ख़ाँ अलीगढ़ आन्दोलन की शुरुआत अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश) से हुई थी। इस आन्दोलन के संस्थापक सर सैय्यद अहमद ख़ाँ थे। उन्होंने 'पीरी-मुरीदी प्रथा'[1] एवं 'दास प्रथा' को समाप्त करने का प्रयत्न किया। सर सैय्यद अहमद ख़ाँ ने 1875 ई. में अलीगढ़ में एक ‘ऐंग्लो मुस्लिम स्कूल’ जिसे 'ऐंग्लों ओरियन्टल स्कूल' भी कहा जाता था, की स्थापना की। इस केन्द्र पर मुस्लिम धर्म, पाश्चात्य विषय तथा विद्वान् जैसी सभी विषयों की शिक्षा दी जाती थी।

आन्दोलन के नेता

दिल्ली में पैदा हुए सैय्यद अहमद ने 1839 ई. में ईस्ट इंडिया कम्पनी में नौकरी कर ली। कम्पनी की न्यायिक सेवा में कार्य करते हुए 1857 ई. के विद्रोह में उन्होंने कम्पनी का साथ दिया। 1870 ई. के बाद प्रकाशित 'डब्ल्यू. हण्टर' की पुस्तक 'इण्डियन मुसलमान' में सरकार को यह सलाह दी गई थी कि वे मुसलमानों से समझौता कर तथा उन्हें कुछ रियायतें देकर अपनी ओर मिलाये। सर सैय्यद अहमद ख़ाँ द्वारा संचालित 'अलीगढ़ आन्दोलन' में उनके अतिरिक्त इस आन्दोलन के अन्य प्रमुख नेता थे-

  1. नजीर अहमद
  2. चिराग अली
  3. अल्ताफ हुसैन
  4. मौलाना शिबली नोमानी

इस्लाम धर्म में सुधार

‘इण्डियन मुसलमान’ के सुझाव पर ब्रिटिश सरकार ने सर सैय्यद अहमद ख़ाँ को अंग्रेज़ों के विरुद्ध तैयार किया। सर सैय्यद अहमद ख़ाँ ने मुस्लिम समुदाय को आधुनिक बनाने एवं इस्लाम धर्म में व्याप्त बुराईयों को दूर करने का प्रयत्न किया। उन्होंने 'पीरी-मुरीदी प्रथा' एवं 'दास प्रथा' को समाप्त करने का प्रयत्न किया। उनके विचार उनकी पत्रिका ‘तहजीब उल अखलाक’ में मिलते हैं। उन्होंने क़ुरान पर टीका लिखी तथा ईश्वरी ज्ञान को व्याख्या ईश्वरी कार्य द्वारा होने की बात कही। सैय्यद अहमद ने अपने सुधार प्रयासों द्वारा मुस्लिम उच्च वर्ग का उत्थान करना चाहा।

अलीगढ़ विश्वविद्यालय की स्थापना

सर सैय्यद अहमद ख़ाँ ने 1875 ई. में अलीगढ़ में एक ‘ऐंग्लो मुस्लिम स्कूल’ जिसे 'ऐंग्लों ओरियन्टल स्कूल' भी कहा जाता है, की स्थापना की। इस केन्द्र पर मुस्लिम धर्म, पाश्चात्य विषय तथा विद्वान् जैसी सभी विषयों की शिक्षा दी जाती थी। 1920 ई. में यही केन्द्र अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के रूप में सामने आया। सर सैय्यद अहमद ख़ाँ ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना का स्वागत नहीं किया, क्योंकि उन्हे आशंका थी कि कालान्तर में यह संस्था मात्र हिन्दुओं की संस्था होकर रह जायगी।

अंग्रेज़ों के प्रति निष्ठा व्यक्त करने के उद्देश्य से सर सैय्यद अहमद ख़ाँ ने 'राजभक्त मुसलमान' पत्रिका का प्रकाशन किया तथा बनारस के राजा शिवप्रसाद के साथ मिलकर 'देशभक्त एसोसिएशन' की स्थापना की। सर सैय्यद अहमद ख़ाँ ने 1865 ई. में 'साइन्टिफ़िक सोसाइटी' की स्थापना की, जिसके माध्यम से अंग्रेज़ी भाषा की पुस्तकों का उर्दू में अनुवाद किया जाता था।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पीर लोग अपने शिष्यों को कुछ रहस्मयी शब्द देकर गुरु बन जाते थे।

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः