गंगागोविंद सिंह

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 12:29, 25 October 2017 by व्यवस्थापन (talk | contribs) (Text replacement - "khoj.bharatdiscovery.org" to "bharatkhoj.org")
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

गंगागोविंद सिंह पाइकपाड़ा, बंगाल के राजवंश के एक प्रख्यात व्यक्ति थे, जो वारेन हेस्टिंग्स के दीवान थे। दीवान बनने के बाद गंगागोविंद सिंह को ब्रिटिश शासन के अन्तर्गत राजस्व विभाग का उत्तरदायित्व सौंपा गया था। ये इतने सम्पन्न हो गए थे कि अपनी माँ के श्राद्ध में इन्होंने बारह लाख रुपये खर्च किए।

दीवान का पद

गंगागोविंद सिंह उत्तर राठीय कायस्थ समाज के मान्य लक्ष्मीधर के वंशज थे। उनके पिता का नाम गौरांग था। आरंभ में वे बंगाल के रायब सूबेदार मुहम्मद रजा ख़ाँ के अधीन क़ानूनगो पद पर थे। किंतु जब मुहम्मद रजा ख़ाँ पदच्युत कर दिए गए तो इनकी नौकरी छूट गई और 1769 ई. में वे कलकत्ता (आधुनिक कोलकाता) चले आए। वहाँ वह ईस्ट इण्डिया कम्पनी में नौकर हो गए। कुछ ही दिनों में गंगागोविंद सिंह की कार्यदक्षता और चातुरी के कारण वारेन हेस्टिंग्स की दृष्टि उन पर पड़ी और उसने उन्हें दीवान नियुक्त कर दिया।[1]

राजस्व विभाग का दायित्व

राजस्व विभाग का सारा उत्तरदायित्व गंगागोविंद सिंह को मिला। इस पद पर रहकर वे स्वयं तो उत्कोच प्राप्त करते ही थे, वारेन हेस्टिंग्स को भी उनके माध्यम से उत्कोच मिलता था। मई, 1775 ई. में उत्कोच लेने के अपराध में पकड़े गए और नौकरी से निकाल दिए गए। किंतु जब मानसन की मृत्यु के पश्चात्‌ वारेन हेस्टिंग्स को शासन का एकछत्र अधिकार प्राप्त हुआ तो वे पुन: 8 नवंबर, 1776 ई. को दीवान के पद पर बहाल कर दिए गए। हेस्टिंग्स उनके हाथों में खेलता था। बिना उनकी सलाह के वह कुछ नहीं करता था। इस प्रकार जब तक हेस्टिंग्स भारत में रहा, गंगागोविंद सिंह ही कंपनी सरकार के सर्वेसर्वा थे।

पतन

राजस्व विभाग में गंगागोविंद सिंह की तूती बोलती थी। जब वारेन हेस्टिंग्स स्वदेश लौट गया, तब इनका भी पतन हुआ और ये नौकरी से निकाल दिए गए। लेकिन इस समय तक गंगागोविंद सिंह इतने संपन्न हो गए थे कि इन्होंने अपनी माँ के श्राद्ध में बारह लाख रूपए खर्च किए। जब ब्रिटिश संसद में हेस्टिंग्स के विरुद्ध अभियोग लगा, उस समय एडमंड बर्क ने अभियोग उपस्थित करते हुए जो भाषण किया, वह गंगागोविंद सिंह के उल्लेखों से भरा है। कोई अपनी सत्कीर्ति से ख्याति प्राप्त करता है, गंगागोविंद सिंह ने अपने काले कारनामों से ही भारतीय इतिहास में स्थान बना रखा है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. गंगागोविंद सिंह (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 25 जनवरी, 2014।

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः