जस्टिस पार्टी: Difference between revisions

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*मंझोली जातियों में तमिल वल्लाल, मुदलियाल और चेट्टियार प्रमुख थे। इनके साथ ही इसमें तेलुगु रेड्डी, कम्मा, बलीचा नायडू और मलयाली नायर भी सम्मलित थे। इनमें अनेक भूस्वामी और समृद्ध व्यापारी थे, जिन्हें शिक्षा, सेना एवं राजनीति के क्षेत्र में ब्राह्मणों का वर्चस्व देखकर इर्ष्या होती थी। [[ब्राह्मण]] मद्रास प्रसिडेंसी में 3.2 प्रतिशत थे, किंतु [[1912]] में 55 प्रतिशत डिप्टी कलक्टर, 72.6 प्रतिशत ज़िला मुंसिफ ब्राह्मण ही थे।
*मंझोली जातियों में तमिल वल्लाल, मुदलियाल और चेट्टियार प्रमुख थे। इनके साथ ही इसमें तेलुगु रेड्डी, कम्मा, बलीचा नायडू और मलयाली नायर भी सम्मलित थे। इनमें अनेक भूस्वामी और समृद्ध व्यापारी थे, जिन्हें शिक्षा, सेना एवं राजनीति के क्षेत्र में ब्राह्मणों का वर्चस्व देखकर इर्ष्या होती थी। [[ब्राह्मण]] मद्रास प्रसिडेंसी में 3.2 प्रतिशत थे, किंतु [[1912]] में 55 प्रतिशत डिप्टी कलक्टर, 72.6 प्रतिशत ज़िला मुंसिफ ब्राह्मण ही थे।
*जस्टिस पार्टी को राजभक्ति के बदले में अपने सदस्यों के लिए नई नौकरियाँ और नई गतिविधियों में अधिक प्रतिनिधित्व की आशा थी।
*जस्टिस पार्टी को राजभक्ति के बदले में अपने सदस्यों के लिए नई नौकरियाँ और नई गतिविधियों में अधिक प्रतिनिधित्व की आशा थी।
*जस्टिस नेताओं की प्रारम्भिक माँगें राज्य की विधान परिषद में सीटों का आरक्षण थी। बाद में इस माँग का विस्तार कर इसमें शिक्षा, लोक नियुक्तियों और स्थानीय निकायों में रियायत को शामिल किया गया।
*जस्टिस नेताओं की प्रारम्भिक माँगें राज्य की [[विधान परिषद]] में सीटों का आरक्षण थी। बाद में इस माँग का विस्तार कर इसमें शिक्षा, लोक नियुक्तियों और स्थानीय निकायों में रियायत को शामिल किया गया।
*पार्टी का सामाजिक आधार ग़ैर ब्राह्मण ज़मींदार और शहरी क्षेत्र के व्यापारी वर्ग थे। यह उन ज़मींदारों और व्यापारियों के राजनैतिक उद्देश्य के लिए काम करती थी। वेलाल (तमिल), रेड्डी (तेलगू) और कम्मा (तेलगू) आदि जातियाँ ब्राह्मणों के विरोध में शामिल थीं।
*पार्टी का सामाजिक आधार ग़ैर ब्राह्मण [[ज़मींदार]] और शहरी क्षेत्र के व्यापारी वर्ग थे। यह उन ज़मींदारों और व्यापारियों के राजनैतिक उद्देश्य के लिए काम करती थी। वेलाल (तमिल), रेड्डी (तेलगू) और कम्मा (तेलगू) आदि जातियाँ [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] के विरोध में शामिल थीं।
 
 
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जस्टिस पार्टी की स्थापना सन 1916 में मद्रास (आधुनिक चेन्नई) में हुई थी। इसके संस्थापक टी. एन. नायर, पी. त्यागराज और सी. जनेसा मुरलीधर थे।

  • इसका वास्तविक नाम ‘दक्षिण भारतीय लिबरल फ़ेडरेशन’ था। यह बीसवीं सदी के आरंभ में उभरने वाले एक जाति आधारित आंदोलन को संचालित करने के लिए निर्मित संगठन था।
  • मद्रास में मंझोली जातियों की ओर से सी. एन. मुलियार, टी. एन. नायर और पी. त्यागराज चेट्टी ने जस्टीस आंदोलन की स्थापना की।
  • मंझोली जातियों में तमिल वल्लाल, मुदलियाल और चेट्टियार प्रमुख थे। इनके साथ ही इसमें तेलुगु रेड्डी, कम्मा, बलीचा नायडू और मलयाली नायर भी सम्मलित थे। इनमें अनेक भूस्वामी और समृद्ध व्यापारी थे, जिन्हें शिक्षा, सेना एवं राजनीति के क्षेत्र में ब्राह्मणों का वर्चस्व देखकर इर्ष्या होती थी। ब्राह्मण मद्रास प्रसिडेंसी में 3.2 प्रतिशत थे, किंतु 1912 में 55 प्रतिशत डिप्टी कलक्टर, 72.6 प्रतिशत ज़िला मुंसिफ ब्राह्मण ही थे।
  • जस्टिस पार्टी को राजभक्ति के बदले में अपने सदस्यों के लिए नई नौकरियाँ और नई गतिविधियों में अधिक प्रतिनिधित्व की आशा थी।
  • जस्टिस नेताओं की प्रारम्भिक माँगें राज्य की विधान परिषद में सीटों का आरक्षण थी। बाद में इस माँग का विस्तार कर इसमें शिक्षा, लोक नियुक्तियों और स्थानीय निकायों में रियायत को शामिल किया गया।
  • पार्टी का सामाजिक आधार ग़ैर ब्राह्मण ज़मींदार और शहरी क्षेत्र के व्यापारी वर्ग थे। यह उन ज़मींदारों और व्यापारियों के राजनैतिक उद्देश्य के लिए काम करती थी। वेलाल (तमिल), रेड्डी (तेलगू) और कम्मा (तेलगू) आदि जातियाँ ब्राह्मणों के विरोध में शामिल थीं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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