दाबर बख़्श: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (Text replacement - "पश्चात " to "पश्चात् ")
 
(One intermediate revision by one other user not shown)
Line 1: Line 1:
*'''दाबर बख़्श''' [[मुग़ल]] बादशाह [[जहाँगीर]] के पुत्र खुसरो का पुत्र था।
'''दाबर बख़्श''' [[मुग़ल]] बादशाह [[जहाँगीर]] के सबसे बड़े पुत्र [[ख़ुसरो मिर्ज़ा]] का पुत्र था। [[शाहजहाँ]] के श्वसुर [[आसफ़ ख़ाँ]] ने उसे मुग़ल राजगद्दी पर बैठाया था, किंतु शीघ्र ही उसे गद्दी से उतार दिया गया और शाहजहाँ को राजसिंहासन पर बैठा दिया गया।
*खुसरो की मृत्यु 1622 ई. में ही हो गई थी।
 
*अक्टूबर 1627 ई. में जहाँगीर के मरने पर [[शाहजहाँ]] के श्वसुर [[आसफ़ ख़ाँ]] ने गद्दी पर दाबर बख़्श को बैठा दिया।
*ख़ुसरो मिर्ज़ा की मृत्यु 1622 ई. में ही हो गई थी। तत्पश्चात् [[अक्टूबर]], 1627 ई. में जहाँगीर के मरने पर शाहजहाँ के श्वसुर आसफ़ ख़ाँ ने गद्दी पर दाबर बख़्श को बैठा दिया।
*दाबर बख़्श को गद्दी पर इसीलिए बैठाया गया था, क्योंकि जहाँगीर का सबसे छोटा पुत्र शहरयार, जो मलका [[नूरजहाँ]] का कृपापात्र था, गद्दी पर न बैठ सके।
*दाबर बख़्श को गद्दी पर इसीलिए बैठाया गया था, क्योंकि जहाँगीर का सबसे छोटा पुत्र शहरयार, जो मलका [[नूरजहाँ]] का कृपापात्र था, गद्दी पर न बैठ सके।
*फ़रवरी, 1628 ई. में शाहजहाँ के दक्षिण से [[आगरा]] लौट आने पर दबार बख़्श को गद्दी से उतार दिया गया और शाहजहाँ को [[मुग़ल]] सम्राट घोषित कर दिया गया।
*[[फ़रवरी]], 1628 ई. में शाहजहाँ के दक्षिण से [[आगरा]] लौट आने पर दाबर बख़्श को गद्दी से उतार दिया गया और शाहजहाँ को [[मुग़ल]] सम्राट घोषित कर दिया गया।
*इस प्रकार दाबर बख़्श सिर्फ़ 1627-1628 ई. तक ही शासन कर सका।
*इस प्रकार दाबर बख़्श सिर्फ़ 1627-1628 ई. तक ही शासन कर सका।
*दाबर बख़्श को गद्दी से उतारकर कारागार में डाल दिया गया।
*गद्दी से उतारकर दाबर बख़्श को कारागार में डाल दिया गया, जहाँ से बाद में वह मुक्त होने पर [[फ़ारस]] चला गया।
*बाद में वह मुक्त होने पर [[फ़ारस]] चला गया।
*फ़ारस में दाबर बख़्श वहाँ के बादशाह के संरक्षण में जीवन व्यतीत करता रहा।
*फ़ारस में दाबर बख़्श वहाँ के बादशाह के संरक्षण में जीवन व्यतीत करता रहा।


{{प्रचार}}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
{{cite book | last = भट्टाचार्य| first = सच्चिदानन्द | title = भारतीय इतिहास कोश | edition = द्वितीय संस्करण-1989| publisher = उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान| location = भारत डिस्कवरी पुस्तकालय| language = हिन्दी| pages = 199 | chapter =}}
{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय इतिहास कोश |लेखक= सच्चिदानन्द भट्टाचार्य|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=199|url=}}
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==

Latest revision as of 07:51, 23 June 2017

दाबर बख़्श मुग़ल बादशाह जहाँगीर के सबसे बड़े पुत्र ख़ुसरो मिर्ज़ा का पुत्र था। शाहजहाँ के श्वसुर आसफ़ ख़ाँ ने उसे मुग़ल राजगद्दी पर बैठाया था, किंतु शीघ्र ही उसे गद्दी से उतार दिया गया और शाहजहाँ को राजसिंहासन पर बैठा दिया गया।

  • ख़ुसरो मिर्ज़ा की मृत्यु 1622 ई. में ही हो गई थी। तत्पश्चात् अक्टूबर, 1627 ई. में जहाँगीर के मरने पर शाहजहाँ के श्वसुर आसफ़ ख़ाँ ने गद्दी पर दाबर बख़्श को बैठा दिया।
  • दाबर बख़्श को गद्दी पर इसीलिए बैठाया गया था, क्योंकि जहाँगीर का सबसे छोटा पुत्र शहरयार, जो मलका नूरजहाँ का कृपापात्र था, गद्दी पर न बैठ सके।
  • फ़रवरी, 1628 ई. में शाहजहाँ के दक्षिण से आगरा लौट आने पर दाबर बख़्श को गद्दी से उतार दिया गया और शाहजहाँ को मुग़ल सम्राट घोषित कर दिया गया।
  • इस प्रकार दाबर बख़्श सिर्फ़ 1627-1628 ई. तक ही शासन कर सका।
  • गद्दी से उतारकर दाबर बख़्श को कारागार में डाल दिया गया, जहाँ से बाद में वह मुक्त होने पर फ़ारस चला गया।
  • फ़ारस में दाबर बख़्श वहाँ के बादशाह के संरक्षण में जीवन व्यतीत करता रहा।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 199 |


संबंधित लेख