शहज़ादा दानियाल: Difference between revisions

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*'''शहज़ादा दानियाल''' [[मुग़ल]] सम्राट [[अकबर]] का तीसरा और सबसे छोटा पुत्र था।
'''शहज़ादा दानियाल''' [[मुग़ल]] सम्राट [[अकबर]] का तीसरा और सबसे छोटा पुत्र था। वह शिकार करने का बड़ा शौकीन था। दानियाल को शराब पीने की बहुत गहरी आदत थी। इसीलिए अकबर ने उसके शराब पीने पर पूर्णत: प्रतिबन्ध लगा दिया था। किंतु एक नौकर दानियाल को गुपचुप तरीके से बन्दूक की नली में शराब लाकर देता रहा। नली की विषाक्त शराब पीते रहने के कारण ही दानियाल की मृत्यु हो गई।
*दानियाल का जन्म 1572 ई. में हुआ था, और वह अकबर का बहुत ही प्यारा पुत्र था।
==शिकार का शौकीन==
*वह उस मुग़ल सेना का सेनानायक था, जिसके आगे [[अहमदनगर]] को आत्मसमर्पण करना पड़ा था।
मुग़ल शहज़ादा दानियाल का जन्म 1572 ई. में हुआ था। वह बादशाह अकबर का बहुत ही प्यारा पुत्र था। वह उस मुग़ल सेना का सेनानायक था, जिसके आगे [[अहमदनगर]] को आत्म-समर्पण करना पड़ा था। सन 1609 ई. में अकबर बादशाह ने शहज़ादा दानियाल को [[बुरहानपुर]] का सूबेदार बनाया था। शहज़ादा दानियाल शिकार का शौकीन था, उसे 'आहूखाना' (शिकारगाह) अधिक पसंद था। दानियाल ने आहूखाना (शिकारगाह) को अपनी पसंद के अनुसार महल, रहौज, नहरों, फूलों के तख़्ते और चारों ओर से अहाता बंदी करके सुरक्षित कर दिया था। उसके इन सब प्रयासों से ही आहूखाना आज भी अच्छी हालत में है।
*सन 1609 ई. में अकबर बादशाह ने शहज़ादा दानियाल को [[बुरहानपुर]] का सूबेदार बनाया था।
====शराब की लत====
*शहज़ादा दानियाल शिकार का शौकीन था, उसे 'आहूखान' (शिकारगाह) अधिक पसंद था।
दानियाल को शराब पीने की गहरी लत थी। जब अकबर को इस बात का पता लगा तो उसने [[रहीम|अब्दुल रहीम ख़ानख़ाना]] को फ़रमान भेजा कि शहज़ादे को शराब पीने से रोका जाए। अब्दुल रहीम ख़ानख़ाना ने आदेश का पालन करते हुए शहज़ादे को समझा दिया और सख़्त पहरा बैठा दिया, साथ ही आदेश दिए कि शराब की एक बूँद भी महल मे न आने पाये। दानियाल शराब के बिना नहीं रह सकता था। उसने नौकरो को लालच दिया। नौकरों ने महल में शराब लाने के लिए अनेक उपाय अपनाये, परंतु रहस्य खुल जाने से वे विफल हो गये।
*दानियाल ने आहूखान (शिकारगाह) को अपनी पसंद के अनुसार महल, रहौज, नहरों, फूलों के तख़्ते और चारों ओर से अहाता बंदी करके सुरक्षित कर दिया था।
==मृत्यु==
*उसके इन सब प्रयासों से ही आहूखान आज भी अच्छी हालत में है।
पिता [[अकबर]] के सख्त पहरे के कारण अब दानियाल शराब के लिए और अधिक तडपने लगा, उसकी व्याकुलता को देखकर एक नौकर ने बंदूक़ की नली में शराब भरकर लाना शुरू कर दिया। इसका कुछ समय तक पता न चल सका, परंतु नल की विषयुक्त शराब पीने के कारण दानियाल के शरीर में विष फेल गया। इस प्रकार दानियाल जिस बंदूक़ से शिकार किया करता था, उसी से स्वयं वह भी मौत का शिकार हो गया। [[8 अप्रैल]], 1604 में 23 वर्ष की यौवनावस्था में दानियाल का देहांत हो गया।
*शहज़ादा दानियाल को शराब पीने की बहुत गहरी आदत थी।
*जब बादशाह अकबर को इस बात का पता लगा, तो उसने [[रहीम|अब्दुल रहीम ख़ानख़ाना]] को फ़रमान भेजा, कि शहज़ादे को शराब पीने से रोका जाए।
*अब्दुल रहीम ख़ानख़ाना ने आदेश का पालन करते हुए शहज़ादे को समझा दिया और सख़्त पहरा बैठा दिया, साथ ही आदेश दिए कि शराब की एक बूँद भी महल मे न आने पाये।
*दानियाल शराब के बिना नहीं रह सकता था। उसने नौकरो को लालच दिया।
*नौकरों ने महल में शराब लाने के लिए अनेक उपाय अपनाये, परंतु रहस्य खुल जाने से विफल हो गये।
*दानियाल शराब के लिए और अधिक तडपने लगा, उसकी व्याकुलता को देखकर एक नौकर ने बंदूक़ की नली में शराब भरकर लाना शुरू कर दिया।
*इसका कुछ समय तक पता न चल सका, परंतु नल की विषयुक्त शराब पीने के कारण दानियाल के शरीर में विष फेल गया।
*इस प्रकार दानियाल जिस बंदूक़ से शिकार किया करता था, उसी से स्वयं वह भी मौत का शिकार हो गया।
*[[8 अप्रैल]], 1604 में 23 वर्ष की यौवनावस्था में दानियाल का देहांत हो गया।


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==संबंधित लेख==
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Revision as of 08:32, 28 June 2012

शहज़ादा दानियाल मुग़ल सम्राट अकबर का तीसरा और सबसे छोटा पुत्र था। वह शिकार करने का बड़ा शौकीन था। दानियाल को शराब पीने की बहुत गहरी आदत थी। इसीलिए अकबर ने उसके शराब पीने पर पूर्णत: प्रतिबन्ध लगा दिया था। किंतु एक नौकर दानियाल को गुपचुप तरीके से बन्दूक की नली में शराब लाकर देता रहा। नली की विषाक्त शराब पीते रहने के कारण ही दानियाल की मृत्यु हो गई।

शिकार का शौकीन

मुग़ल शहज़ादा दानियाल का जन्म 1572 ई. में हुआ था। वह बादशाह अकबर का बहुत ही प्यारा पुत्र था। वह उस मुग़ल सेना का सेनानायक था, जिसके आगे अहमदनगर को आत्म-समर्पण करना पड़ा था। सन 1609 ई. में अकबर बादशाह ने शहज़ादा दानियाल को बुरहानपुर का सूबेदार बनाया था। शहज़ादा दानियाल शिकार का शौकीन था, उसे 'आहूखाना' (शिकारगाह) अधिक पसंद था। दानियाल ने आहूखाना (शिकारगाह) को अपनी पसंद के अनुसार महल, रहौज, नहरों, फूलों के तख़्ते और चारों ओर से अहाता बंदी करके सुरक्षित कर दिया था। उसके इन सब प्रयासों से ही आहूखाना आज भी अच्छी हालत में है।

शराब की लत

दानियाल को शराब पीने की गहरी लत थी। जब अकबर को इस बात का पता लगा तो उसने अब्दुल रहीम ख़ानख़ाना को फ़रमान भेजा कि शहज़ादे को शराब पीने से रोका जाए। अब्दुल रहीम ख़ानख़ाना ने आदेश का पालन करते हुए शहज़ादे को समझा दिया और सख़्त पहरा बैठा दिया, साथ ही आदेश दिए कि शराब की एक बूँद भी महल मे न आने पाये। दानियाल शराब के बिना नहीं रह सकता था। उसने नौकरो को लालच दिया। नौकरों ने महल में शराब लाने के लिए अनेक उपाय अपनाये, परंतु रहस्य खुल जाने से वे विफल हो गये।

मृत्यु

पिता अकबर के सख्त पहरे के कारण अब दानियाल शराब के लिए और अधिक तडपने लगा, उसकी व्याकुलता को देखकर एक नौकर ने बंदूक़ की नली में शराब भरकर लाना शुरू कर दिया। इसका कुछ समय तक पता न चल सका, परंतु नल की विषयुक्त शराब पीने के कारण दानियाल के शरीर में विष फेल गया। इस प्रकार दानियाल जिस बंदूक़ से शिकार किया करता था, उसी से स्वयं वह भी मौत का शिकार हो गया। 8 अप्रैल, 1604 में 23 वर्ष की यौवनावस्था में दानियाल का देहांत हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 201 |


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