अरुंडेल जॉर्ज सिडनी: Difference between revisions
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मद्रास में अरुंडेल ने ‘ स्काउट’ आंदोलन को आगे बढ़ाया। उनके और एनी बेसेंट के संयुक्त प्रयास से युवकों को अंतरराष्ट्रीय स्काउट आंदोलन में समान अधिकार प्राप्त हुआ। प्रभावशाली वक्ता जॉर्ज सिडनी अरुंडेल 'मद्रास मजदूर संघ' के मंत्री भी रहे। [[मद्रास]] में एनी बेसेंट ने एक राष्ट्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना भी की थी। [[रवींद्रनाथ ठाकुर]] और अरुंडेल उसके प्रमुख संचालक थे। | मद्रास में अरुंडेल ने ‘ स्काउट’ आंदोलन को आगे बढ़ाया। उनके और एनी बेसेंट के संयुक्त प्रयास से युवकों को अंतरराष्ट्रीय स्काउट आंदोलन में समान अधिकार प्राप्त हुआ। प्रभावशाली वक्ता जॉर्ज सिडनी अरुंडेल 'मद्रास मजदूर संघ' के मंत्री भी रहे। [[मद्रास]] में एनी बेसेंट ने एक राष्ट्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना भी की थी। [[रवींद्रनाथ ठाकुर]] और अरुंडेल उसके प्रमुख संचालक थे। |
Revision as of 09:55, 22 April 2018
अरुंडेल जॉर्ज सिडनी
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पूरा नाम | जॉर्ज सिडनी अरुंडेल |
जन्म | 1 दिसम्बर, 1878 |
जन्म भूमि | इंग्लैंड |
मृत्यु | 12 अगस्त, 1945 |
मृत्यु स्थान | अडयार (मद्रास, वर्तमान चेन्नई) |
पति/पत्नी | रुक्मिणी देवी अरुंडेल |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | अध्यापन |
संबंधित लेख | रुक्मिणी देवी अरुंडेल |
अन्य जानकारी | मद्रास में जॉर्ज सिडनी अरुंडेल ने ‘स्काउट’ आंदोलन को आगे बढ़ाया। उनके और एनी बेसेंट के संयुक्त प्रयास से ही युवकों को अंतरराष्ट्रीय स्काउट आंदोलन में समान अधिकार प्राप्त हुआ। |
जॉर्ज सिडनी अरुंडेल (अंग्रेज़ी: George Sidney Arundale, जन्म- 1 दिसम्बर, 1878, इंग्लैंड; मृत्यु- 12 अगस्त, 1945) का नाम भारत के लिए अपना जीवन समर्पित कर देने वाले अंग्रेज़ व्यक्तियों में गिना जाता है। एनी बेसेंट ने युवाओं की समुचित शिक्षा के लिए वाराणसी में जो ‘सेंट्रल हिंदू स्कूल’ की स्थापना की थी, जॉर्ज अरुंडेल उसी स्कूल में अध्यापक बन गए थे। वह भारत की स्वतंत्रता की भावना का पूरा सम्मान करते थे।
परिचय
जॉर्ज सिडनी अरुंडेल का जन्म 1 दिसंबर, 1878 को इंग्लैंड में हुआ था। उनकी धनाढ्य मौसी ने उन्हें पाला था। शिक्षा समाप्त करने के बाद अरुंडेल को लंदन में एनी बेसेंट का भाषण सुनने का अवसर मिला। उससे प्रभावित होकर 25 वर्ष की उम्र में वे भारत चले आए और फिर यहीं के होकर रह गए।[1]
शिक्षण कार्य
एनी बेसेंट ने युवाओं की समुचित शिक्षा के लिए वाराणसी में ‘सेंट्रल हिंदू स्कूल’ की स्थापना की थी। जॉर्ज सिडनी अरुंडेल इसी विद्यालय में अध्यापक बन गए। 10 वर्ष तक शिक्षक रहने के बाद उन्हें यहां का प्रधानाचार्य बना दिया गया। बह बड़े लोकप्रिय अध्यापक थे। विद्यालय में कई छात्र ऐसे भी थे, जिनका क्रांतिकारी आंदोलन से संबंध था। अरुंडेल इस बात से अवगत थे, परंतु उन्होंने उन छात्रों को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस को कभी भी विद्यालय में नहीं घुसने दिया। वह भारत की स्वतंत्रता की भावना का पूरा सम्मान करते थे।
विवाह
जॉर्ज सिडनी अरुंडेल पहनावा, रहन- सहन, विचारों और भावनाओं से पूरी तरह भारतीय बन चुके थे। 1920 में उन्होंने दक्षिण भारत की एक ब्राह्मण युवती रुकमणी देवी से विवाह कर लिया। आगे चलकर रुकमणी अरुंडेल ने भी कला के क्षेत्र में काफ़ी नाम कमाया।[1]
नज़रबंदी और विद्यालय संचालक
एनी बेसेंट ने जब 'होमरूल लीग' की स्थापना की तो अरुंडेल उसमें सम्मिलित हो गए। मद्रास सरकार की निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने के कारण उन्हें 1917 में नज़रबंद कर दिया गया था।
मद्रास में अरुंडेल ने ‘ स्काउट’ आंदोलन को आगे बढ़ाया। उनके और एनी बेसेंट के संयुक्त प्रयास से युवकों को अंतरराष्ट्रीय स्काउट आंदोलन में समान अधिकार प्राप्त हुआ। प्रभावशाली वक्ता जॉर्ज सिडनी अरुंडेल 'मद्रास मजदूर संघ' के मंत्री भी रहे। मद्रास में एनी बेसेंट ने एक राष्ट्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना भी की थी। रवींद्रनाथ ठाकुर और अरुंडेल उसके प्रमुख संचालक थे।
एनी बेसेंट के निधन के बाद जॉर्ज सिडनी अरुंडेल 'अंतर्राष्ट्रीय थियोसोफिकल सोसाइटी' के अध्यक्ष चुने गए। उन्होंने अनेक पुस्तकों की रचना भी की।
मृत्यु
जॉर्ज सिडनी अरुंडेल का निधन 12 अगस्त, 1945 को हुआ। उनकी समाधि एनी बेसेंट की समाधि के निकट अडयार (मद्रास, वर्तमान चेन्नई) में है।[1]
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