दाबर बख़्श

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 07:51, 23 June 2017 by व्यवस्थापन (talk | contribs) (Text replacement - "पश्चात " to "पश्चात् ")
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

दाबर बख़्श मुग़ल बादशाह जहाँगीर के सबसे बड़े पुत्र ख़ुसरो मिर्ज़ा का पुत्र था। शाहजहाँ के श्वसुर आसफ़ ख़ाँ ने उसे मुग़ल राजगद्दी पर बैठाया था, किंतु शीघ्र ही उसे गद्दी से उतार दिया गया और शाहजहाँ को राजसिंहासन पर बैठा दिया गया।

  • ख़ुसरो मिर्ज़ा की मृत्यु 1622 ई. में ही हो गई थी। तत्पश्चात् अक्टूबर, 1627 ई. में जहाँगीर के मरने पर शाहजहाँ के श्वसुर आसफ़ ख़ाँ ने गद्दी पर दाबर बख़्श को बैठा दिया।
  • दाबर बख़्श को गद्दी पर इसीलिए बैठाया गया था, क्योंकि जहाँगीर का सबसे छोटा पुत्र शहरयार, जो मलका नूरजहाँ का कृपापात्र था, गद्दी पर न बैठ सके।
  • फ़रवरी, 1628 ई. में शाहजहाँ के दक्षिण से आगरा लौट आने पर दाबर बख़्श को गद्दी से उतार दिया गया और शाहजहाँ को मुग़ल सम्राट घोषित कर दिया गया।
  • इस प्रकार दाबर बख़्श सिर्फ़ 1627-1628 ई. तक ही शासन कर सका।
  • गद्दी से उतारकर दाबर बख़्श को कारागार में डाल दिया गया, जहाँ से बाद में वह मुक्त होने पर फ़ारस चला गया।
  • फ़ारस में दाबर बख़्श वहाँ के बादशाह के संरक्षण में जीवन व्यतीत करता रहा।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 199 |


संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः