दिल्ली दरबार, 1877: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('सन 1877 का दिल्ली दरबार लॉर्ड लिटन द्वारा आयोजित...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
m (Text replacement - " महान " to " महान् ")
 
Line 1: Line 1:
सन [[1877]] का [[दिल्ली दरबार]] [[लॉर्ड लिटन]] द्वारा आयोजित किया गया था। इस दरबार को 'प्रथम दिल्ली दरबार' कहा गया। इसे 'प्रोक्लेमेशन दरबार' या 'घोषण दरबार' भी कहा जाता है। इसमें [[महारानी विक्टोरिया]] को [[भारत]] की साम्राज्ञी घोषित किया गया। दरबार की शान-शौक़त पर बेशुमार धन खर्च किया गया, जबकि [[1876]]-[[1878]] ई. तक दक्षिण के लोग [[अकाल]] से पीड़ित थे, जिसमें हज़ारों की संख्या में व्यक्तियों की जानें गईं। इस समय दरबार के आयोजन को जन-धन की बहुत बड़ी बरबादी समझा गया।  
सन [[1877]] का [[दिल्ली दरबार]] [[लॉर्ड लिटन]] द्वारा आयोजित किया गया था। इस दरबार को 'प्रथम दिल्ली दरबार' कहा गया। इसे 'प्रोक्लेमेशन दरबार' या 'घोषण दरबार' भी कहा जाता है। इसमें [[महारानी विक्टोरिया]] को [[भारत]] की साम्राज्ञी घोषित किया गया। दरबार की शान-शौक़त पर बेशुमार धन खर्च किया गया, जबकि [[1876]]-[[1878]] ई. तक दक्षिण के लोग [[अकाल]] से पीड़ित थे, जिसमें हज़ारों की संख्या में व्यक्तियों की जानें गईं। इस समय दरबार के आयोजन को जन-धन की बहुत बड़ी बरबादी समझा गया।  
==इतिहास==
==इतिहास==
[[1 जनवरी]], 1877 का दिल्ली दरबार महारानी विक्टोरिया को भारत की साम्राज्ञी घोषित और राजतिलक करने हेतु लगा था। यह दरबार मुख्यतः एक आधिकारिक घटना मात्र थी, जिसमें [[1903]] एवं [[1911]] जैसी रौनक नहीं थी। इसमें प्रथम अर्ल, रॉबर्ट बल्वर लाएटन, भारत के [[वाइसरॉय]], कई महाराजा, नवाब और बुद्धिजीवी पधारे थे। इस दरबार का मुख्य बिन्दु था- [[ईस्ट इंडिया कंपनी|ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी]] से अधिकांश सत्ता परिवर्तन बर्तानिया सरकार को होना था। यही दरबार, भारत के महान परिवर्तन का आरम्भ था। इसमें स्वतंत्र भारत का अभियान, औपचारिक तौर पर आरम्भ हुआ था।
[[1 जनवरी]], 1877 का दिल्ली दरबार महारानी विक्टोरिया को भारत की साम्राज्ञी घोषित और राजतिलक करने हेतु लगा था। यह दरबार मुख्यतः एक आधिकारिक घटना मात्र थी, जिसमें [[1903]] एवं [[1911]] जैसी रौनक नहीं थी। इसमें प्रथम अर्ल, रॉबर्ट बल्वर लाएटन, भारत के [[वाइसरॉय]], कई महाराजा, नवाब और बुद्धिजीवी पधारे थे। इस दरबार का मुख्य बिन्दु था- [[ईस्ट इंडिया कंपनी|ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी]] से अधिकांश सत्ता परिवर्तन बर्तानिया सरकार को होना था। यही दरबार, भारत के महान् परिवर्तन का आरम्भ था। इसमें स्वतंत्र भारत का अभियान, औपचारिक तौर पर आरम्भ हुआ था।
====महारानी विक्टोरिया के संदेश====
====महारानी विक्टोरिया के संदेश====
[[विक्टोरिया मेमोरियल कोलकाता|विक्टोरिया मेमोरियल, कोलकाता]] के अंदर महारानी विक्टोरिया के संदेश का एक अंश शिलालेखित पर अंकित है, जो कि [[भारत]] की जनता को 1877 के दरबार में प्रस्तुत किया गया था-
[[विक्टोरिया मेमोरियल कोलकाता|विक्टोरिया मेमोरियल, कोलकाता]] के अंदर महारानी विक्टोरिया के संदेश का एक अंश शिलालेखित पर अंकित है, जो कि [[भारत]] की जनता को 1877 के दरबार में प्रस्तुत किया गया था-

Latest revision as of 11:29, 1 August 2017

सन 1877 का दिल्ली दरबार लॉर्ड लिटन द्वारा आयोजित किया गया था। इस दरबार को 'प्रथम दिल्ली दरबार' कहा गया। इसे 'प्रोक्लेमेशन दरबार' या 'घोषण दरबार' भी कहा जाता है। इसमें महारानी विक्टोरिया को भारत की साम्राज्ञी घोषित किया गया। दरबार की शान-शौक़त पर बेशुमार धन खर्च किया गया, जबकि 1876-1878 ई. तक दक्षिण के लोग अकाल से पीड़ित थे, जिसमें हज़ारों की संख्या में व्यक्तियों की जानें गईं। इस समय दरबार के आयोजन को जन-धन की बहुत बड़ी बरबादी समझा गया।

इतिहास

1 जनवरी, 1877 का दिल्ली दरबार महारानी विक्टोरिया को भारत की साम्राज्ञी घोषित और राजतिलक करने हेतु लगा था। यह दरबार मुख्यतः एक आधिकारिक घटना मात्र थी, जिसमें 1903 एवं 1911 जैसी रौनक नहीं थी। इसमें प्रथम अर्ल, रॉबर्ट बल्वर लाएटन, भारत के वाइसरॉय, कई महाराजा, नवाब और बुद्धिजीवी पधारे थे। इस दरबार का मुख्य बिन्दु था- ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी से अधिकांश सत्ता परिवर्तन बर्तानिया सरकार को होना था। यही दरबार, भारत के महान् परिवर्तन का आरम्भ था। इसमें स्वतंत्र भारत का अभियान, औपचारिक तौर पर आरम्भ हुआ था।

महारानी विक्टोरिया के संदेश

विक्टोरिया मेमोरियल, कोलकाता के अंदर महारानी विक्टोरिया के संदेश का एक अंश शिलालेखित पर अंकित है, जो कि भारत की जनता को 1877 के दरबार में प्रस्तुत किया गया था-

"हमें विश्वास है कि यह अवसर हमारे और हमारी प्रजा के बीच आपसी संबंधों को मधुर और प्रगाढ़ करने का प्रयास करेगा। इससे सभी को यह प्रतीत होगा कि वे एक शासन के अधीन हैं, जिसमें स्वेच्छाचारिता, समान हिस्सा और न्याय सबके लिये निश्चित है; एवं उनकी खुशी का वर्धन करने, उनकी सम्पन्नता को बढ़ाने, एवं उनके हितों के संरक्षण, हमारे साम्राज्य के ध्येय और लक्ष्य सदा रहेंगे।"

सभी सम्मानित अतिथियों को महारानी विक्टोरिया को भारत की साम्राज्ञी बनने की इस घोषणा के स्मारक रूप में एक पदक भेंट किया गया था।

रामनाथ टैगोर को लॉर्ड लिटन, भारत के वाइसरॉय द्वारा महाराजा बनाया गया।

गणेश वासुदेव जोशी द्वारा माँग

यह वही जगमगाता दरबार था, जिसमें घर के कते हुए स्वच्छ खादी में आया एक युवक उठा और पुणे सार्वजनिक सभा की ओर से एक दृष्टांत पढ़ा। गणेश वासुदेव जोशी ने अति शिष्ट भाषा में अपनी एक मांग पढ़ी-

"हम महारानी से प्रार्थना करते हैं कि वे भारत को वही राजनैतिक एवं सामाजिक स्तर प्रदान करें, जैसा कि उनकी ब्रिटिश प्रजा के पास है।"

इस मांग से यह कहा जा सकता है कि एक स्वतंत्र भारत का अभियान औपचारिक तौर पर आरम्भ हो गया था।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख