Difference between revisions of "होमरूल लीग आन्दोलन"

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'''होमरूल लीग आन्दोलन''' का उद्देश्य ब्रिटिश साम्राज्य के आधीन रहते हुए संवैधानिक तरीके से स्वशासन को प्राप्त करना था। इस लीग के प्रमुख नेता [[बाल गंगाधर तिलक]] एवं श्रीमती [[एनी बेसेंट]] थीं। स्वराज्य की प्राप्ति के लिए तिलक ने [[28 अप्रैल]], [[1916]] ई. को बेलगांव में 'होमरूल लीग' की स्थापना की थी। इनके द्वारा स्थापित लीग का प्रभाव [[कर्नाटक]], [[महाराष्ट्र]] ([[बम्बई]] को छोड़कर), मध्य प्रान्त एवं [[बरार]] तक फैला हुआ था।
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'''होमरूल लीग आन्दोलन''' का उद्देश्य ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन रहते हुए संवैधानिक तरीक़े से स्वशासन को प्राप्त करना था। इस लीग के प्रमुख नेता [[बाल गंगाधर तिलक]] एवं श्रीमती [[एनी बेसेंट]] थीं। स्वराज्य की प्राप्ति के लिए तिलक ने [[28 अप्रैल]], [[1916]] ई. को बेलगांव में 'होमरूल लीग' की स्थापना की थी। इनके द्वारा स्थापित लीग का प्रभाव [[कर्नाटक]], [[महाराष्ट्र]] ([[बम्बई]] को छोड़कर), मध्य प्रान्त एवं [[बरार]] तक फैला हुआ था।
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<blockquote>स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा - [[बाल गंगाधर तिलक]]</blockquote>
 
==शाखाएँ तथा प्रचार==
 
==शाखाएँ तथा प्रचार==
बाल गंगाधर तिलक के होमरूल लीग की छह शाखयें बनायीं। मध्य महाराष्ट्र, बम्बई, कर्नाटक और मध्य प्रान्त में एक-एक तथा बरार में दो। छह [[मराठी]] और दो [[अंग्रेज़ी]] परचे निकालकर उन्होंने अपने प्रचार कार्य को तेज कर दिया। तिलक ने जनता को होमरूल की आवश्यकता को समझाते हुए कहा, "[[भारत]] उस बेटे की तरह है, जो अब जवान हो चुका है। समय का तकाजा है कि बाप या पालक इस बेटे को उसका वाजिब हक दे दे।" तिलक ने [[मई]], [[1917]] ई. में [[नासिक]] में लीग की पहली वर्षगांठ मनाई।
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[इंडियन होमरूल लीग|होमरूल लीग]] की छ: शाखाएँ बनायीं गयीं। मध्य [[महाराष्ट्र]], [[बम्बई]], [[कर्नाटक]] और मध्य प्रान्त में एक-एक तथा [[बरार]] में दो। बाल गंगाधर तिलक ने छ: [[मराठी]] और दो [[अंग्रेज़ी]] परचे निकालकर उन्होंने अपने प्रचार कार्य को तेज कर दिया। तिलक ने जनता को होमरूल की आवश्यकता को समझाते हुए कहा, "[[भारत]] उस बेटे की तरह है, जो अब जवान हो चुका है। समय का तकाजा है कि बाप या पालक इस बेटे को उसका वाजिब हक दे दे।" तिलक ने [[मई]], [[1917]] ई. में [[नासिक]] में लीग की पहली वर्षगांठ मनाई।
 
====एनी बेसेंट का योगदान====
 
====एनी बेसेंट का योगदान====
भारत आकर एनी बेसेंट ने साप्ताहिक पत्र 'कामनवील' का [[2 जनवरी]], [[1914]] ई. से एवं दैनिक पत्र 'न्यू इंडिया' का [[14 जुलाई]], 1914 ई. से प्रकाशन प्रारम्भ किया। इन पत्रो के द्वारा एनी बेसेंट ने भारतीयों में स्वतन्त्रता एवं रातनीतिक भावना को जागृत किया। उन्होंने भारत में आयरलैण्ड की तरह [[सितम्बर]], 1916 ई. में [[मद्रास]] (अडयार) में 'होमरूल लीग' की स्थापना की तथा जॉर्ज अरुंडेल को लीग का सचिव नियुक्त किया। एनी बेसेंट के सहयोगियो में बी.पी. वाडिया तथा सी.पी. रामास्वामी अय्यर शामिल थे। [[जवाहर लाल नेहरू]], वी. चक्रवर्ती, जे. बनर्जी जैसे नेताओ ने भी लीग की सदस्यता ग्रहण की। [[गोपाल कृष्ण गोखले]] द्वारा स्थापित संस्था 'सर्वेण्ट ऑफ़ इण्डिया सोसायटी' के सदस्यों को लीग में प्रवेश की अनुमति नही थी। तिलक के होमरूल लीग के प्रभाव क्षेत्र से बाहर के सभी हिस्सो में लीग के प्रभाव को फैलाने की ज़िम्मेदारी एनी बेसेंट पर थी। होमरूल लीग के सर्वाधिक कार्यालय मद्रास में थे। तिलक ने अपने पत्र 'मराठा' एवं 'केसरी' तथा [[एनी बेसेंट]] ने पत्र 'कॉमनवील' एवं 'न्यू इण्डिया' के माध्यम से 'गृह शासन' या 'होमरूल' का ज़बरदस्त प्रचार किया।
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भारत आकर एनी बेसेंट ने साप्ताहिक पत्र 'कामनवील' का [[2 जनवरी]], [[1914]] ई. से एवं दैनिक पत्र 'न्यू इंडिया' का [[14 जुलाई]], 1914 ई. से प्रकाशन प्रारम्भ किया। इन पत्रों के द्वारा एनी बेसेंट ने भारतीयों में स्वतन्त्रता एवं रातनीतिक भावना को जागृत किया। उन्होंने भारत में आयरलैण्ड की तरह [[सितम्बर]], 1916 ई. में [[मद्रास]] (अडयार) में 'होमरूल लीग' की स्थापना की तथा जॉर्ज अरुंडेल को लीग का सचिव नियुक्त किया। एनी बेसेंट के सहयोगियों में बी.पी. वाडिया तथा सी.पी. रामास्वामी अय्यर शामिल थे। [[जवाहर लाल नेहरू]], वी. चक्रवर्ती, जे. बनर्जी जैसे नेताओं ने भी लीग की सदस्यता ग्रहण की। [[गोपाल कृष्ण गोखले]] द्वारा स्थापित संस्था 'सर्वेण्ट ऑफ़ इण्डिया सोसायटी' के सदस्यों को लीग में प्रवेश की अनुमति नहीं थी। तिलक के होमरूल लीग के प्रभाव क्षेत्र से बाहर के सभी हिस्सों में लीग के प्रभाव को फैलाने की ज़िम्मेदारी एनी बेसेंट पर थी। होमरूल लीग के सर्वाधिक कार्यालय मद्रास में थे। तिलक ने अपने पत्र 'मराठा' एवं 'केसरी' तथा [[एनी बेसेंट]] ने पत्र 'कॉमनवील' एवं 'न्यू इण्डिया' के माध्यम से 'गृह शासन' या 'होमरूल' का ज़बरदस्त प्रचार किया।
 
==लीग का प्रभाव==
 
==लीग का प्रभाव==
कालान्तर में होमरूल लीग के बढ़ते हुए प्रभाव से ख़तरा महसूस करके ब्रिटिश सरकार ने एनी बेसेंट, जॉर्ज अरुन्डेल तथा वी.पी. वाडिया को [[1917]] ई. में गिरफ्तार कर लिया। इस गिरफ्तारी के विरोध में एस.सुब्रह्मण्य अय्यर ने अपनी 'नाइट हुड' की उपाधि वापस कर दी। तिलक ने गिरफ्तारी के विरोध में '[[सत्याग्रह]]' करना चाहा, किन्तु इससे पूर्व ही सरकार ने एनी बेसेंट को छोड़ दिया। एनी बेसेंट की लोकप्रियता बहुत बढ़ गयी। इसके परिणामस्वरूप 1917 ई. में [[कांग्रेस]] के 'कलकत्ता अधिवेशन' में एनी बेसेंट को अध्यक्ष बनाया गया। कांग्रेस की अध्यक्ष बनने वाली वह प्रथम महिला थीं। अध्यक्ष के रूप में उन्होंने कहा कि "[[भारत]] अब अनुग्रहो के लिए अपने घुटनो पर नही, बल्कि अपने अधिकारो के लिए अपने पैरो पर खड़ा है।"
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कालान्तर में होमरूल लीग के बढ़ते हुए प्रभाव से ख़तरा महसूस करके ब्रिटिश सरकार ने एनी बेसेंट, जॉर्ज अरुन्डेल तथा वी.पी. वाडिया को [[1917]] ई. में गिरफ्तार कर लिया। इस गिरफ्तारी के विरोध में एस.सुब्रह्मण्य अय्यर ने अपनी 'नाइट हुड' की उपाधि वापस कर दी। तिलक ने गिरफ्तारी के विरोध में '[[सत्याग्रह]]' करना चाहा, किन्तु इससे पूर्व ही सरकार ने एनी बेसेंट को छोड़ दिया। एनी बेसेंट की लोकप्रियता बहुत बढ़ गयी। इसके परिणामस्वरूप 1917 ई. में [[कांग्रेस]] के 'कलकत्ता अधिवेशन' में एनी बेसेंट को अध्यक्ष बनाया गया। कांग्रेस की अध्यक्ष बनने वाली वह प्रथम महिला थीं। अध्यक्ष के रूप में उन्होंने कहा कि "[[भारत]] अब अनुग्रहों के लिए अपने घुटनों पर नहीं, बल्कि अपने अधिकारों के लिए अपने पैरों पर खड़ा है।"
 
====समाप्ति की घोषणा====
 
====समाप्ति की घोषणा====
 
चारो ओर से दबाव महसूस होने पर भारत सचिव मांटेग्यू ने [[20 अगस्त]], 1917 ई. को ब्रिटिश संसद में इस आशय का एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें भारत को उत्तरादायी शासन प्रदान करने की बात की गई थी। इसके परिणामस्वरूप एनी बेसेंट ने 20 अगस्त, 1917 ई. को ही 'होमरूल लीग' को समाप्त करने की घोषणा की।
 
चारो ओर से दबाव महसूस होने पर भारत सचिव मांटेग्यू ने [[20 अगस्त]], 1917 ई. को ब्रिटिश संसद में इस आशय का एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें भारत को उत्तरादायी शासन प्रदान करने की बात की गई थी। इसके परिणामस्वरूप एनी बेसेंट ने 20 अगस्त, 1917 ई. को ही 'होमरूल लीग' को समाप्त करने की घोषणा की।
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==संबंधित लेख==
 
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Revision as of 07:25, 21 April 2012

homarool lig andolan ka uddeshy british samrajy ke adhin rahate hue sanvaidhanik tariqe se svashasan ko prapt karana tha. is lig ke pramukh neta bal gangadhar tilak evan shrimati eni beseant thian. svarajy ki prapti ke lie tilak ne 28 aprail, 1916 ee. ko belagaanv mean 'homarool lig' ki sthapana ki thi. inake dvara sthapit lig ka prabhav karnatak, maharashtr (bambee ko chho dakar), madhy prant evan barar tak phaila hua tha.

svaraj hamara janmasiddh adhikar hai aur maian ise lekar rahooanga - bal gangadhar tilak

shakhaean tatha prachar

[iandiyan homarool lig|homarool lig]] ki chh: shakhaean banayian gayian. madhy maharashtr, bambee, karnatak aur madhy prant mean ek-ek tatha barar mean do. bal gangadhar tilak ne chh: marathi aur do aangrezi parache nikalakar unhoanne apane prachar kary ko tej kar diya. tilak ne janata ko homarool ki avashyakata ko samajhate hue kaha, "bharat us bete ki tarah hai, jo ab javan ho chuka hai. samay ka takaja hai ki bap ya palak is bete ko usaka vajib hak de de." tilak ne mee, 1917 ee. mean nasik mean lig ki pahali varshagaanth manaee.

eni beseant ka yogadan

bharat akar eni beseant ne saptahik patr 'kamanavil' ka 2 janavari, 1914 ee. se evan dainik patr 'nyoo iandiya' ka 14 julaee, 1914 ee. se prakashan prarambh kiya. in patroan ke dvara eni beseant ne bharatiyoan mean svatantrata evan ratanitik bhavana ko jagrit kiya. unhoanne bharat mean ayaralaind ki tarah sitambar, 1916 ee. mean madras (adayar) mean 'homarool lig' ki sthapana ki tatha j aaurj aruandel ko lig ka sachiv niyukt kiya. eni beseant ke sahayogiyoan mean bi.pi. vadiya tatha si.pi. ramasvami ayyar shamil the. javahar lal neharoo, vi. chakravarti, je. banarji jaise netaoan ne bhi lig ki sadasyata grahan ki. gopal krishna gokhale dvara sthapit sanstha 'sarvent aauf indiya sosayati' ke sadasyoan ko lig mean pravesh ki anumati nahian thi. tilak ke homarool lig ke prabhav kshetr se bahar ke sabhi hissoan mean lig ke prabhav ko phailane ki zimmedari eni beseant par thi. homarool lig ke sarvadhik karyalay madras mean the. tilak ne apane patr 'maratha' evan 'kesari' tatha eni beseant ne patr 'k aaumanavil' evan 'nyoo indiya' ke madhyam se 'grih shasan' ya 'homarool' ka zabaradast prachar kiya.

lig ka prabhav

kalantar mean homarool lig ke badhate hue prabhav se khatara mahasoos karake british sarakar ne eni beseant, j aaurj arundel tatha vi.pi. vadiya ko 1917 ee. mean giraphtar kar liya. is giraphtari ke virodh mean es.subrahmany ayyar ne apani 'nait hud' ki upadhi vapas kar di. tilak ne giraphtari ke virodh mean 'satyagrah' karana chaha, kintu isase poorv hi sarakar ne eni beseant ko chho d diya. eni beseant ki lokapriyata bahut badh gayi. isake parinamasvaroop 1917 ee. mean kaangres ke 'kalakatta adhiveshan' mean eni beseant ko adhyaksh banaya gaya. kaangres ki adhyaksh banane vali vah pratham mahila thian. adhyaksh ke roop mean unhoanne kaha ki "bharat ab anugrahoan ke lie apane ghutanoan par nahian, balki apane adhikaroan ke lie apane pairoan par kh da hai."

samapti ki ghoshana

charo or se dabav mahasoos hone par bharat sachiv maantegyoo ne 20 agast, 1917 ee. ko british sansad mean is ashay ka ek prastav parit kiya, jisamean bharat ko uttaradayi shasan pradan karane ki bat ki gee thi. isake parinamasvaroop eni beseant ne 20 agast, 1917 ee. ko hi 'homarool lig' ko samapt karane ki ghoshana ki.

  1. REDIRECTsaancha:inhean bhi dekhean


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

tika tippani aur sandarbh

sanbandhit lekh