भामंडल: Difference between revisions
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*भामंडल [[सीता]] के सौंदर्य पर मुग्ध था। भामंडल यह जानकर कि सीता [[राम]] की पत्नी हो गई है, उसने राम पर आक्रमण करने का निश्चय किया। | *पौराणिक साहित्य के अनुसार भामंडल एक पौराणिक चरित्र है जो पूर्व जन्म में [[सीता]] का भाई था। | ||
*[[जनक]] की पटरानी का नाम [[विदेही]] था। उसके गर्भिणी होने पर प्रभावशाली देव (जो पूर्वजन्म में पिंगल साधु था) ने अपने पूर्वजन्म का स्मरण किया तथा जाना कि उसके उदर से एक अन्य जीव के साथ उसका भूतपूर्व शत्रु भी जन्म ले रहा है। एक जुड़वां पुत्र और कन्या का जन्म होने पर उस देव ने पुत्र का अपहरण कर लिया। वह उसे शिला पर पटककर मार डालना चाहता था किंतु उसे अपने पुण्यों का नाश करने की इच्छा नहीं हुई। अत: उसने उद्यान में ही बालक को रख दिया। गवाक्ष से चंद्रगति खेचर ने उसे देखा तो उठाकर अपनी पत्नी अंशुमता के पास लिटा दिया। वे दोनों पुत्रहीन थे। उसे पुत्र मानकर उन्होंने लालन-पालन किया। उसका नाम भामंडल रखा गया। <ref>जैन रामायण पउम चरित, 26</ref> | |||
*भामंडल [[सीता]] के सौंदर्य पर मुग्ध था। भामंडल को यह जानकर कि सीता [[राम]] की पत्नी हो गई है, उसने राम पर आक्रमण करने का निश्चय किया। जब अपनी सेना सहित जाते हुए मार्ग में उसने विदर्भ नगर को देखा तब उसे अपना पूर्व जन्म स्मरण हुआ। उसे याद आया कि पहले जन्म में वह कुंडलमंडित नामक राजा था। [[ब्राह्मण]] भार्या का अपहरण करने के कारण उसे दुर्गति प्राप्त होनी चाहिए थी, किन्तु श्रमण की कृपादृष्टि से ऐसा न होकर वह सीता के सहोदर के रूप में जन्मा था। उसे उसी सीता के प्रति जाग्रत अपने मन के काम भाव पर बहुत ग्लानि हुई। पूर्वजन्म में जिसकी भार्या का अपहरण किया था, उस जन्म में वही देव [[विदेही]] के पास से भामंडल का अपहरण कर लाया था। ये समस्त घटनाएँ उसने अपने पिता को सुनाईं। पिता ने विरक्त होकर प्रव्रज्या ग्रहण की। तदनंतर भामंडल सीता, [[दशरथ]] आदि से मिला। भामंडल अनेक स्त्रियों से घिरा सोचा करता था कि वृद्धावस्था में योग और ध्यान से अपने समस्त पापों का नाश कर देगा। इस दीर्घसूत्रता (आलस्य) में उसने कुछ भी नहीं किया और वृद्धावस्था में अचानक बिजली के गिरने से मारा गया। <ref>जैन रामायण पउम चरित, 30, 107</ref> | |||
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Latest revision as of 08:29, 24 April 2011
- पौराणिक साहित्य के अनुसार भामंडल एक पौराणिक चरित्र है जो पूर्व जन्म में सीता का भाई था।
- जनक की पटरानी का नाम विदेही था। उसके गर्भिणी होने पर प्रभावशाली देव (जो पूर्वजन्म में पिंगल साधु था) ने अपने पूर्वजन्म का स्मरण किया तथा जाना कि उसके उदर से एक अन्य जीव के साथ उसका भूतपूर्व शत्रु भी जन्म ले रहा है। एक जुड़वां पुत्र और कन्या का जन्म होने पर उस देव ने पुत्र का अपहरण कर लिया। वह उसे शिला पर पटककर मार डालना चाहता था किंतु उसे अपने पुण्यों का नाश करने की इच्छा नहीं हुई। अत: उसने उद्यान में ही बालक को रख दिया। गवाक्ष से चंद्रगति खेचर ने उसे देखा तो उठाकर अपनी पत्नी अंशुमता के पास लिटा दिया। वे दोनों पुत्रहीन थे। उसे पुत्र मानकर उन्होंने लालन-पालन किया। उसका नाम भामंडल रखा गया। [1]
- भामंडल सीता के सौंदर्य पर मुग्ध था। भामंडल को यह जानकर कि सीता राम की पत्नी हो गई है, उसने राम पर आक्रमण करने का निश्चय किया। जब अपनी सेना सहित जाते हुए मार्ग में उसने विदर्भ नगर को देखा तब उसे अपना पूर्व जन्म स्मरण हुआ। उसे याद आया कि पहले जन्म में वह कुंडलमंडित नामक राजा था। ब्राह्मण भार्या का अपहरण करने के कारण उसे दुर्गति प्राप्त होनी चाहिए थी, किन्तु श्रमण की कृपादृष्टि से ऐसा न होकर वह सीता के सहोदर के रूप में जन्मा था। उसे उसी सीता के प्रति जाग्रत अपने मन के काम भाव पर बहुत ग्लानि हुई। पूर्वजन्म में जिसकी भार्या का अपहरण किया था, उस जन्म में वही देव विदेही के पास से भामंडल का अपहरण कर लाया था। ये समस्त घटनाएँ उसने अपने पिता को सुनाईं। पिता ने विरक्त होकर प्रव्रज्या ग्रहण की। तदनंतर भामंडल सीता, दशरथ आदि से मिला। भामंडल अनेक स्त्रियों से घिरा सोचा करता था कि वृद्धावस्था में योग और ध्यान से अपने समस्त पापों का नाश कर देगा। इस दीर्घसूत्रता (आलस्य) में उसने कुछ भी नहीं किया और वृद्धावस्था में अचानक बिजली के गिरने से मारा गया। [2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
विद्यावाचस्पति, डॉ. उषा पुरी भारतीय मिथक कोश (हिन्दी)। भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: नेशनल पब्लिशिंग हाउस, नयी दिल्ली, पृष्ठ सं 211, 343।