घंटाकर्ण: Difference between revisions
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
नवनीत कुमार (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
'''घंटाकर्ण''' [[पाशुपत]] | {{बहुविकल्प|बहुविकल्पी शब्द=घंटाकर्ण|लेख का नाम=घंटाकर्ण (बहुविकल्पी)}} | ||
'''घंटाकर्ण''' [[पाशुपत|पाशुपत सम्प्रदाय]] के एक आचार्य थे। [[शैव]] परम्परा के पौराणिक साहित्य से पता लगता है कि [[अगस्त्य]], [[दधीचि]], [[विश्वामित्र]], शतानन्द, [[दुर्वासा]], [[गौतम]], ऋष्यश्रृंग उपमन्यु एवं व्यास आदि महर्षि शैव थे। | |||
*व्यासजी के लिए कहा जाता है कि उन्होंने केदारक्षेत्र में घण्टाकर्ण से पाशुपत दीक्षा ली थी, जिनके साथ बाद में वे [[काशी]] में रहने लगे। | *व्यासजी के लिए कहा जाता है कि उन्होंने केदारक्षेत्र में घण्टाकर्ण से पाशुपत दीक्षा ली थी, जिनके साथ बाद में वे [[काशी]] में रहने लगे। | ||
*व्यास ने काशी में घण्टाकर्ण तालाब का निर्माण कराया था। वहीं घण्टाकर्ण की मूर्ति भी हाथ में [[शिवलिंग]] धारण किये विराजमान है और तट पर व्यासजी का मन्दिर है। | *व्यास ने काशी में घण्टाकर्ण तालाब का निर्माण कराया था। वहीं घण्टाकर्ण की मूर्ति भी हाथ में [[शिवलिंग]] धारण किये विराजमान है और तट पर व्यासजी का मन्दिर है। |
Latest revision as of 07:14, 13 February 2016
चित्र:Disamb2.jpg घंटाकर्ण | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- घंटाकर्ण (बहुविकल्पी) |
घंटाकर्ण पाशुपत सम्प्रदाय के एक आचार्य थे। शैव परम्परा के पौराणिक साहित्य से पता लगता है कि अगस्त्य, दधीचि, विश्वामित्र, शतानन्द, दुर्वासा, गौतम, ऋष्यश्रृंग उपमन्यु एवं व्यास आदि महर्षि शैव थे।
- व्यासजी के लिए कहा जाता है कि उन्होंने केदारक्षेत्र में घण्टाकर्ण से पाशुपत दीक्षा ली थी, जिनके साथ बाद में वे काशी में रहने लगे।
- व्यास ने काशी में घण्टाकर्ण तालाब का निर्माण कराया था। वहीं घण्टाकर्ण की मूर्ति भी हाथ में शिवलिंग धारण किये विराजमान है और तट पर व्यासजी का मन्दिर है।
- ऐसा माना जाता है कि घण्टाकर्ण शिव के भक्त थे।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख