वाडीवाश का युद्ध: Difference between revisions
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*इस विजय के साथ ही अंग्रेज़ों ने [[भारत]] में फ्राँसीसियों की राजनीतिक शक्ति समाप्त कर दी। | *इस विजय के साथ ही अंग्रेज़ों ने [[भारत]] में फ्राँसीसियों की राजनीतिक शक्ति समाप्त कर दी। | ||
*वाडीवाश का युद्ध फ़्राँसीसियों के लिए निर्णायक युद्ध था, क्योंकि फ़्राँसीसियों की समझ में यह बात पूर्ण रूप से आ चुकी थी कि वे कम से कम भारत में [[ईस्ट इण्डिया कम्पनी]] के रहते सफल नहीं हो सकते। चाहे वह उत्तर-पूर्व हो या पश्चिम या फिर [[दक्षिण भारत]]। | *वाडीवाश का युद्ध फ़्राँसीसियों के लिए निर्णायक युद्ध था, क्योंकि फ़्राँसीसियों की समझ में यह बात पूर्ण रूप से आ चुकी थी कि वे कम से कम भारत में [[ईस्ट इण्डिया कम्पनी]] के रहते सफल नहीं हो सकते। चाहे वह [[उत्तर भारत|उत्तर]]-[[पूर्वी भारत|पूर्व]] हो या [[पश्चिम भारत|पश्चिम]] या फिर [[दक्षिण भारत]]। | ||
*1763 ई. में सम्पन्न हुई 'पेरिस सन्धि' के द्वारा [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने [[चन्द्रनगर]] को छोड़कर शेष अन्य प्रदेश, जो फ़्राँसीसियों के अधिकार में 1749 ई. तक थे, वापस कर दिये और ये क्षेत्र भारत के स्वतंत्र होने तक इनके पास बने रहे। | *1763 ई. में सम्पन्न हुई 'पेरिस सन्धि' के द्वारा [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने [[चन्द्रनगर]] को छोड़कर शेष अन्य प्रदेश, जो फ़्राँसीसियों के अधिकार में 1749 ई. तक थे, वापस कर दिये और ये क्षेत्र भारत के स्वतंत्र होने तक इनके पास बने रहे। | ||
Latest revision as of 12:33, 23 March 2020
वाडीवाश का युद्ध वर्ष 1760 में अंग्रेज़ों और फ़्राँसीसियों के मध्य लड़ा गया था। युद्ध में फ़्राँसीसियों की हार हुई और उन्हें पाण्डिचेरी अंग्रेज़ों को सौंपना पड़ा।
- बंगाल के साधनों से बलशाली होकर अंग्रेज़ों ने वाडीवाश का युद्ध छेड़ा और फ्राँसीसियों को पराजित किया।
- इस विजय के साथ ही अंग्रेज़ों ने भारत में फ्राँसीसियों की राजनीतिक शक्ति समाप्त कर दी।
- वाडीवाश का युद्ध फ़्राँसीसियों के लिए निर्णायक युद्ध था, क्योंकि फ़्राँसीसियों की समझ में यह बात पूर्ण रूप से आ चुकी थी कि वे कम से कम भारत में ईस्ट इण्डिया कम्पनी के रहते सफल नहीं हो सकते। चाहे वह उत्तर-पूर्व हो या पश्चिम या फिर दक्षिण भारत।
- 1763 ई. में सम्पन्न हुई 'पेरिस सन्धि' के द्वारा अंग्रेज़ों ने चन्द्रनगर को छोड़कर शेष अन्य प्रदेश, जो फ़्राँसीसियों के अधिकार में 1749 ई. तक थे, वापस कर दिये और ये क्षेत्र भारत के स्वतंत्र होने तक इनके पास बने रहे।
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