शंखचूड़ (दंभा पुत्र): Difference between revisions

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Revision as of 13:42, 17 October 2011

कश्यप के चार पुत्र हुए। उनमें से विप्रचित्ति नामक पुत्र अत्यन्त वीर था। उसके पुत्र दंभा ने तपस्या से विष्णु को प्रसन्न करके एक वीर पुत्र प्राप्त करने का वर मांगा। उसकी पत्नी के गर्भ से जिस बालक का जन्म हुआ, वह पूर्वजन्म में सुदामा नामक कृष्ण भक्त था। नवजात बालक का नाम शंखचूड़ रखा गया। शंखचूड़ ने इन्द्रलोक को भी जीत लिया था, किंतु भगवान शिव का कहा न मानने पर उसका वध शिव ने अपने त्रिशूल से कर दिया।

ब्रह्म का वरदान

ब्रह्मा ने उसकी आराधना से प्रसन्न होकर उसे त्रिलोक विजयी होने का वर प्रदान किया तथा कृष्ण कवच देकर उसे प्रेरित किया कि वह बदरिकाश्रम में तप करने वाली तुलसी से विवाह करे। उसके विवाह के उपरान्त दंभासुर ने उसका राज्यतिलक कर दिया। असुरों ने इन्द्रलोक पर आक्रमण किया। अंत में दैत्यों की विजय हुई। शंखचूड़ भूमंडल का अधिपति बना तथा इन्द्र कहलाया।

देवताओं की प्रार्थना

शंखचूड़ से त्राण प्राप्त करने के लिए देवताओं ने शिव से विनय की। शिव ने अपने भक्त पुष्पदंत को उसके पास इस संदेश के साथ भेजा कि वह देवताओं की समस्त वस्तुएँ तथा राज्य वापस कर दे, अन्यथा वह शिव के कोप का भागी होगा। शंखचूड़ ने शिव से युद्ध करना स्वीकार किया, किन्तु देवताओं को उनका राज्य वापस करने से इनकार कर दिया।

वध

काली ने अपने युद्ध क्षेत्र में अनेक दैत्यों को निगल लिया। शिव की प्रेरणा से विष्णु ने ब्राह्मण का रूप धर कर शंखचूड़ से कृष्ण कवच मांगा तथा शंखचूड़ का रूप धर कर उसकी पत्नी तुलसी का पातिव्रत धर्म नष्ट कर डाला। तदुपरान्त शिव ने त्रिशूल से उसे मार डाला।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

विद्यावाचस्पति, डॉक्टर उषा पुरी भारतीय मिथक कोश (हिन्दी)। भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: नेशनल पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली, 301।

  1. शिवपुराण, 5|25-38

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