मनुसंहिता: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(''''मनुसंहिता''' हिन्दू धर्म का सबसे महत्त्वपूर्ण [[ग्...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
Line 1: Line 1:
'''मनुसंहिता''' [[हिन्दू धर्म]] का सबसे महत्त्वपूर्ण [[ग्रंथ]] है। इसमें सभी धार्मिक, सामाजिक और नैतिक कर्तव्यों का विवेचन है।
'''मनुसंहिता''' [[हिन्दू धर्म]] का सबसे महत्त्वपूर्ण [[ग्रंथ]] है। [[भारत]] में वेदों के उपरान्त सर्वाधिक मान्यता और प्रचलन 'मनुसंहिता' का है। इसे 'मनुस्मृति' भी कहा जाता है। इसमें सभी धार्मिक, सामाजिक और नैतिक कर्तव्यों का विवेचन है। 'मनुसंहिता' का [[अंग्रेज़ी]] अनुवाद कई बार हो चुका है। इनमें से डॉ. बुहलर का अनुवाद सर्वश्रेष्ठ है। उन्होंने एक विद्वत्तापूर्ण भूमिका में कतिपय समस्याओं का उद्घाटन भी किया है।


*इस ग्रंथ का [[अंग्रेज़ी]] में अनुवाद सर विलियम जोंस ने 'लार ऑफ़ मनु' नाम से किया था।
*इस ग्रंथ का प्रथम बार [[अंग्रेज़ी]] में अनुवाद सर विलियम जोंस ने 'लार ऑफ़ मनु' नाम से किया था।
*'मनुसंहिता' का रचना काल ईसवी प्रथम शताब्दी के आस-पास माना जाता है।
*'मनुसंहिता' का रचना काल ई. पू. एक हज़ार वर्ष से लेकर ई. पू. दूसरी शताब्दी तक माना जाता है।  
*सम्भवत: यह काल इससे पूर्व था, बाद में नहीं।
*इसकी रचना के संबंध में कहा गया है कि [[धर्म]], वर्ण और आश्रमों के विषय में ज्ञान प्राप्ति की इच्छा से ऋषिगण स्वायंभुव मनु के समक्ष उपस्थित हुए। मनु ने उनको कुछ ज्ञान देने के बाद कहा कि मैंने यह ज्ञान [[ब्रह्मा]] से प्राप्त किया था और [[मरीचि]] आदि मुनियों को पढ़ा दिया। ये [[भृगु]] (जो वहाँ उपस्थित थे) मुझसे सब विषयों को अच्छी तरह पढ़ चुके हैं और अब ये आप लोगों को बताएंगे। इस पर भृगु ने [[मनु]] की उपस्थिति में, उनका बताया ज्ञान, उन्हीं की शब्दावली में अन्यों को दिया। यही ज्ञान गुरु-शिष्य परंपरा में 'मनुस्मृति' या 'मनुसंहिता' के नाम से प्रचलित हुआ।
 
 
{{main|मनुस्मृति}}


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}

Revision as of 06:15, 2 May 2013

मनुसंहिता हिन्दू धर्म का सबसे महत्त्वपूर्ण ग्रंथ है। भारत में वेदों के उपरान्त सर्वाधिक मान्यता और प्रचलन 'मनुसंहिता' का है। इसे 'मनुस्मृति' भी कहा जाता है। इसमें सभी धार्मिक, सामाजिक और नैतिक कर्तव्यों का विवेचन है। 'मनुसंहिता' का अंग्रेज़ी अनुवाद कई बार हो चुका है। इनमें से डॉ. बुहलर का अनुवाद सर्वश्रेष्ठ है। उन्होंने एक विद्वत्तापूर्ण भूमिका में कतिपय समस्याओं का उद्घाटन भी किया है।

  • इस ग्रंथ का प्रथम बार अंग्रेज़ी में अनुवाद सर विलियम जोंस ने 'लार ऑफ़ मनु' नाम से किया था।
  • 'मनुसंहिता' का रचना काल ई. पू. एक हज़ार वर्ष से लेकर ई. पू. दूसरी शताब्दी तक माना जाता है।
  • इसकी रचना के संबंध में कहा गया है कि धर्म, वर्ण और आश्रमों के विषय में ज्ञान प्राप्ति की इच्छा से ऋषिगण स्वायंभुव मनु के समक्ष उपस्थित हुए। मनु ने उनको कुछ ज्ञान देने के बाद कहा कि मैंने यह ज्ञान ब्रह्मा से प्राप्त किया था और मरीचि आदि मुनियों को पढ़ा दिया। ये भृगु (जो वहाँ उपस्थित थे) मुझसे सब विषयों को अच्छी तरह पढ़ चुके हैं और अब ये आप लोगों को बताएंगे। इस पर भृगु ने मनु की उपस्थिति में, उनका बताया ज्ञान, उन्हीं की शब्दावली में अन्यों को दिया। यही ज्ञान गुरु-शिष्य परंपरा में 'मनुस्मृति' या 'मनुसंहिता' के नाम से प्रचलित हुआ।


  1. REDIRECTसाँचा:मुख्य


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

श्रुतियाँ