उपसुंद: Difference between revisions

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*त्रिलोक पर विजय प्राप्त करने की इच्छा से सुंद औऱ उपसुंद [[विन्ध्याचल पर्वत]] पर तप करने लगे।
*त्रिलोक पर विजय प्राप्त करने की इच्छा से सुंद औऱ उपसुंद [[विन्ध्याचल पर्वत]] पर तप करने लगे।
*इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर [[ब्रह्मा]] ने वर दिया कि "यदि ये आपस में न लड़ें तो इन्हें कोई नहीं मार सकेगा।
*इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर [[ब्रह्मा]] ने वर दिया कि "यदि ये आपस में न लड़ें तो इन्हें कोई नहीं मार सकेगा।
*ब्रह्मा से वर प्राप्त कर इन दोनों भाईयों ने अत्याचार करना आरम्भ कर दिया। अंत में ब्रह्मा ने 'तिलोत्तमा' नामक एक अति सुन्दरी रमणी को भेजकर इन दोनों को आपस लड़ा दिया। दोनों आपस में ही लड़कर मर गये।
*ब्रह्मा से वर प्राप्त कर इन दोनों भाईयों ने अत्याचार करना आरम्भ कर दिया। अंत में ब्रह्मा ने '[[तिलोत्तमा]]' नामक एक अति सुन्दरी रमणी को भेजकर इन दोनों को आपस लड़ा दिया। दोनों आपस में ही लड़कर मर गये।
*उपसुंद का 'मूक' नामक एक पुत्र भी था। एक अन्य मतानुसार उपसुंद को निसुंद का पुत्र बताया गया है।<ref>[[वायुपुराण]] 67.71</ref>
*उपसुंद का 'मूक' नामक एक पुत्र भी था। एक अन्य मतानुसार उपसुंद को निसुंद का पुत्र बताया गया है।<ref>[[वायुपुराण]] 67.71</ref>



Revision as of 09:50, 31 July 2013

उपसुंद सुंद नामक दैत्य का छोटा भाई तथा निकुंभ दैत्य का पुत्र था। महासुर हिरण्यकशिपु के वंश में निकुंभ का जन्म हुआ था।[1]

  • त्रिलोक पर विजय प्राप्त करने की इच्छा से सुंद औऱ उपसुंद विन्ध्याचल पर्वत पर तप करने लगे।
  • इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा ने वर दिया कि "यदि ये आपस में न लड़ें तो इन्हें कोई नहीं मार सकेगा।
  • ब्रह्मा से वर प्राप्त कर इन दोनों भाईयों ने अत्याचार करना आरम्भ कर दिया। अंत में ब्रह्मा ने 'तिलोत्तमा' नामक एक अति सुन्दरी रमणी को भेजकर इन दोनों को आपस लड़ा दिया। दोनों आपस में ही लड़कर मर गये।
  • उपसुंद का 'मूक' नामक एक पुत्र भी था। एक अन्य मतानुसार उपसुंद को निसुंद का पुत्र बताया गया है।[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पौराणिक कोश |लेखक: राणाप्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, आज भवन, संत कबीर मार्ग, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 63 |
  2. वायुपुराण 67.71

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