दीवान: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 1: Line 1:
'''दीवान''' यह [[मुग़ल]] प्रशासन में सबसे बड़ा अधिकारी होता था। वह राजस्व एवं वित्त का एकमात्र प्रभारी होता था। उसकी नियुक्ति न केवल केन्द्रीय सरकार में वरन प्रान्तीय सरकारों में भी होती थी। आज [[भारत]] में दीवान का पद कई विभागों में महत्त्वपूर्ण माना जाता है।<ref name="bik">(पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश') पृष्ठ संख्या-207</ref>
'''दीवान''' या 'वज़ीर' [[मुग़लकालीन शासन व्यवस्था]] में सबसे बड़ा अधिकारी होता था। वह राजस्व एवं वित्त का एकमात्र प्रभारी होता था। उसकी नियुक्ति न केवल केन्द्रीय सरकार में वरन प्रान्तीय सरकारों में भी होती थी। आज [[भारत]] में दीवान का पद कई विभागों में महत्त्वपूर्ण माना जाता है।<ref name="bik">(पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश') पृष्ठ संख्या-207</ref>
{{tocright}}
==राजस्व एवं वित्तीय विभाग पर नियंत्रण==
[[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] मूल के शब्द 'दीवान' का नियंत्रण राजस्व एवं वित्तीय विभाग पर होता था। [[अकबर]] के समय में उसका वित्त विभाग दीवान मुज़फ्फर ख़ान, [[टोडरमल|राजा टोडरमल]] एवं ख्वाजाशाह मंसूर के अधीन 23 वर्षों तक रहा। [[जहाँगीर]] के समय [[अफ़ज़ल ख़ाँ]], [[इस्लाम ख़ाँ]] एवं [[सादुल्ला ख़ाँ]] के अधीन राजस्व विभाग लगभग 32 वर्षों तक रहा। [[औरंगजेब]] के समय में [[असद ख़ाँ]] सर्वाधिक 31 वर्षों तक इस पद पर रहा। दीवान या वज़ीर के निरीक्षण में कार्य करने वाले मुख्य विभाग 'दीवान-ए-खालसा'<ref>खालसा भूमि के लिए</ref>, 'दीवान-ए-तन'<ref>नक़द तनख़्वाहों के लिए</ref>, 'दीवान-ए-तबजिह'<ref>सैन्य लेखा-जोखा के लिए</ref>, 'दीवान-ए-जागीर'<ref>राजस्व के कार्यों के लिए दिया जाने वाला वेतन</ref>, 'दीवान-ए-बयूतात'<ref>मीर समान विभाग के लिए</ref>, 'दीवान-ए-सादात'<ref>धार्मिक मामलों का लेखा-जोखा</ref> आदि थे।
====प्रान्त में नियंत्रण====  
====प्रान्त में नियंत्रण====  
'''प्रान्तों में दीवान का पद''' [[सूबेदार]] के बाद माना जाता था। प्रान्तों में दीवान भी सम्राट के द्वारा नियुक्त किया जाता था, जो केवल सम्राट के प्रति ही उत्तरदायी होता था। इस प्रकार वह सूबेदार को मनमानी करने से रोकता था।<ref name="bik"></ref>
प्रान्तों में दीवान का पद [[सूबेदार]] के बाद माना जाता था। प्रान्तों में दीवान भी बादशाह के द्वारा नियुक्त किया जाता था, जो केवल बादशाह के प्रति ही उत्तरदायी होता था। इस प्रकार वह सूबेदार को मनमानी करने से रोकता था।<ref name="bik"></ref>
====दीवान शब्द का प्रयोग====
==दीवान शब्द का प्रयोग==
'''इस शब्द का प्रयोग''' सामान्यत: एक विभाग के लिए होता था, यथा-
इस शब्द का प्रयोग सामान्यत: एक विभाग के लिए होता था, यथा-
*दीवान-ए-आम, अथवा सम्राट का कार्यालय।
*दीवान-ए-आम, अथवा सम्राट का कार्यालय।
*[[दीवान-ए-अमीर कोही]] अथवा [[कृषि]] विभाग।
*[[दीवान-ए-अमीर कोही]] अथवा [[कृषि]] विभाग।
Line 16: Line 19:
*दीवान-ए-रिसालात-अथवा अपील विभाग।
*दीवान-ए-रिसालात-अथवा अपील विभाग।
*[[दीवान-ए-रिसायत]] अथवा हाट अधीक्षकों का विभाग।
*[[दीवान-ए-रिसायत]] अथवा हाट अधीक्षकों का विभाग।
'''यह शब्दावली प्रकट करती है कि''' [[दिल्ली]] के सम्राटों की प्रशासन पद्धति में एक प्रकार की विभागीय व्यवस्था थी।<ref name="bik"></ref>


{{लेख प्रगति
यह शब्दावली प्रकट करती है कि [[दिल्ली]] के सम्राटों की प्रशासन पद्धति में एक प्रकार की विभागीय व्यवस्था थी।<ref name="bik"></ref>
|आधार=
 
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
|माध्यमिक=
|पूर्णता=
|शोध=
}}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{सल्तनतकालीन प्रशासन}}{{मुग़ल साम्राज्य}}{{मध्य काल}}
{{मुग़ल साम्राज्य}}{{सल्तनतकालीन प्रशासन}}{{मध्य काल}}
[[Category:मुग़ल साम्राज्य]]
[[Category:मुग़ल साम्राज्य]][[Category:मध्य काल]][[Category:इतिहास कोश]]
[[Category:मध्य काल]]
[[Category:इतिहास कोश]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__

Revision as of 12:48, 24 March 2015

दीवान या 'वज़ीर' मुग़लकालीन शासन व्यवस्था में सबसे बड़ा अधिकारी होता था। वह राजस्व एवं वित्त का एकमात्र प्रभारी होता था। उसकी नियुक्ति न केवल केन्द्रीय सरकार में वरन प्रान्तीय सरकारों में भी होती थी। आज भारत में दीवान का पद कई विभागों में महत्त्वपूर्ण माना जाता है।[1]

राजस्व एवं वित्तीय विभाग पर नियंत्रण

फ़ारसी मूल के शब्द 'दीवान' का नियंत्रण राजस्व एवं वित्तीय विभाग पर होता था। अकबर के समय में उसका वित्त विभाग दीवान मुज़फ्फर ख़ान, राजा टोडरमल एवं ख्वाजाशाह मंसूर के अधीन 23 वर्षों तक रहा। जहाँगीर के समय अफ़ज़ल ख़ाँ, इस्लाम ख़ाँ एवं सादुल्ला ख़ाँ के अधीन राजस्व विभाग लगभग 32 वर्षों तक रहा। औरंगजेब के समय में असद ख़ाँ सर्वाधिक 31 वर्षों तक इस पद पर रहा। दीवान या वज़ीर के निरीक्षण में कार्य करने वाले मुख्य विभाग 'दीवान-ए-खालसा'[2], 'दीवान-ए-तन'[3], 'दीवान-ए-तबजिह'[4], 'दीवान-ए-जागीर'[5], 'दीवान-ए-बयूतात'[6], 'दीवान-ए-सादात'[7] आदि थे।

प्रान्त में नियंत्रण

प्रान्तों में दीवान का पद सूबेदार के बाद माना जाता था। प्रान्तों में दीवान भी बादशाह के द्वारा नियुक्त किया जाता था, जो केवल बादशाह के प्रति ही उत्तरदायी होता था। इस प्रकार वह सूबेदार को मनमानी करने से रोकता था।[1]

दीवान शब्द का प्रयोग

इस शब्द का प्रयोग सामान्यत: एक विभाग के लिए होता था, यथा-

यह शब्दावली प्रकट करती है कि दिल्ली के सम्राटों की प्रशासन पद्धति में एक प्रकार की विभागीय व्यवस्था थी।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 (पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश') पृष्ठ संख्या-207
  2. खालसा भूमि के लिए
  3. नक़द तनख़्वाहों के लिए
  4. सैन्य लेखा-जोखा के लिए
  5. राजस्व के कार्यों के लिए दिया जाने वाला वेतन
  6. मीर समान विभाग के लिए
  7. धार्मिक मामलों का लेखा-जोखा

संबंधित लेख