महात्मा गाँधी आर्थिक-सामाजिक उन्नति के पक्षधर: Difference between revisions
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महात्मा गाँधी आर्थिक-सामाजिक उन्नति के पक्षधर
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पूरा नाम | मोहनदास करमचंद गाँधी |
अन्य नाम | बापू, महात्मा जी |
जन्म | 2 अक्तूबर, 1869 |
जन्म भूमि | पोरबंदर, गुजरात |
मृत्यु | 30 जनवरी, 1948 |
मृत्यु स्थान | नई दिल्ली |
मृत्यु कारण | हत्या |
अभिभावक | करमचंद गाँधी, पुतलीबाई |
पति/पत्नी | कस्तूरबा गाँधी |
संतान | हरिलाल, मनिलाल, रामदास, देवदास |
स्मारक | राजघाट (दिल्ली), बिरला हाउस (दिल्ली) आदि। |
पार्टी | काँग्रेस |
शिक्षा | बैरिस्टर |
विद्यालय | बंबई यूनिवर्सिटी, सामलदास कॉलेज |
संबंधित लेख | गाँधी युग, असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह, भारत छोड़ो आन्दोलन, दांडी मार्च, व्यक्तिगत सत्याग्रह, सविनय अवज्ञा आन्दोलन, ख़िलाफ़त आन्दोलन |
गाँधी जी ने रचनात्मक कार्यों को खूब महत्व दिया। वह केवल राजनीतिक स्वतंत्रता ही नहीं चाहते थे, अपितु जनता की आर्थिक, सामाजिक और आत्मिक उन्नति भी चाहते थे। इसी भावना से उन्होंने 'ग्राम उद्योग संघ', 'तालीमी सघ' एवं 'गो रक्षा संघ' की स्थापना की थी। गाँधी जी ने समाज में व्याप्त शोषण की नीति को खत्म करने के लिए भूमि एवं पूंजी का समाजीकरण न करते हुए आर्थिक क्षेत्र में विकेन्द्रीकरण को महत्व दिया।
मंदिर प्रवेश कार्यक्रम
महात्मा गाँधी ने लघु एवं कुटीर उद्योगों को भारी उद्योगों से अधिक महत्व दिया। खादी को गाँधी जी ने अपना मुख्य कार्यक्रम बनाया। गाँधी जी समाज में फैली हुई कुरीतियों एवं असमानताओं के प्रति जीवन भर संघर्षरत रहे। उन्होंने अछूतों को 'हरिजन' की संज्ञा दी। हरिजनों के लिए अन्य हिन्दुओं के साथ समानता प्राप्त करने के लिए गाँधी जी ने 'मंदिर प्रवेश' कार्यक्रम को सर्वाधिक प्राथमिकता दी।
कुरीतियों के आलोचक
[[चित्र:Charlie-chaplin-gandhiji.jpg|thumb|left||चार्ली चैपलिन के साथ गाँधी जी]] स्त्रियों की स्थिति सुधारने के लिए उन्होंने दहेज प्रथा उन्मूलन के लिए अथक प्रयत्न किया। वे बाल विवाह और पर्दा प्रथा के कटु आलोचक थे। वे विधवा पुर्नविवाह के समर्थक और शराब बंदी लागू करने के बहुत इच्छुक थे।
राजनीति में बड़ी देन
गाँधी जी की राजनीति को सबसे बड़ी देन यह है कि उन्होंने राजनीति को नैतिकता पर आधारित किया। अहिंसात्मक असहयोग आंदोलन तथा सविनय अवज्ञा आंदोलन की उनकी नीति भारतीय परिस्थितियों के अधिक अनकूल थी। भारत सचिव मांटेग्यू ने गाँधी जी को 'हवा में रहना वाला शुद्ध दार्शनिक' कहा था, लेकिन उसी दार्शनिक ने अंग्रेज़ साम्राज्य की जड़ें हिला दीं तथा समाज में मौलिक परिवर्तन कर दिया।
महापुरुष कथन
- गाँधी जी के बारे में के. एम. मुंशी ने कहा है कि- "उन्होंने अराजकता पायी और उसे व्यवस्था में परिवर्तित कर दिया, कायरता पायी ओर उसे साहस में बदल दिया, अनेक वर्गों में विभाजित जनसमूह को राष्ट्र में बदल दिया, निराशा को सौभाग्य में बदल दिया, और बिना किसी प्रकार की हिंसा या सैनिक शक्ति का प्रयोग किये एक साम्राज्यवादी शक्ति के बन्धनों का अंत कर विश्व शक्ति को जन्म दिया।"
- विस्काउन्ट सेमुअल ने गाँधी जी के बारे में कहा है कि- "गाँधी जी ने अपना नेतृत्व प्रदान कर भारतीय जनता को अपनी कमर सीधी करना सिखाया। अपनी आंखें ऊपर उठाना सिखाया तथा अवचिल दृष्टि से परिस्थितियों का सामना करना सिखाया। सचमुच महात्मा भारतीय राजनीति और राष्ट्र के महान स्रोत थे।"
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
- महात्मा साक्षात्कार विडियो
- महात्मा भाषण विडियो
- डाक टिकटों में
- डाक-टिकटों पर भी छाये जी
- डाक टिकटों में मोहन से महात्मा तक का सफर
- दर्शन की प्रासंगिकता - प्रोफ्सर महावीर सरन जैन
संबंधित लेख
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