गांधर्ववेद

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गांधर्ववेद

सामवेद का एक उपवेद है। इसके चार आचार्य प्रसिद्ध हैं- सोमेश्वर, भरत, हनुमान और कल्लिनाथ।[1]

  • सामवेद की 100 शाखाओं में से केवल 18 शाखाएं पाई जाती हैं और वे आचार्य हनुमान के मत की हैं।
  • गांधर्ववेद संगीत विद्या का वेद है।
  • प्राचीन काल में संगीत को भी वेदों का सम्मान प्राप्त था।
  • ऋषियों के लिए मर्यादाबद्ध विद्या गांधर्ववेद कहलाई।
  • वर्तमान काल में सर्वसाधारण के व्यवहार में आने पर उसी का नाम संगीतविद्या हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय संस्कृति कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: राजपाल एंड सन्ज, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 276 |

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