दंश
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दंश हिन्दू पौराणिक ग्रंथ महाभारत के अनुसार एक राक्षस था।[1] भृगु मुनि की स्त्री को छीनने के कारण यह शाप-ग्रस्त होकर 'अलर्क' नाम का कीड़ा हो गया था।
- एक बार जब परशुराम जी कर्ण की जाँघ पर सिर रखकर सो रहे थे, तब इस कीड़े ने कर्ण की जाँघ में काट लिया, जिससे रक्त बहने लगा। जब उसका रक्त परशुराम के शरीर में लग गया, तब वे तेजस्वी भार्गव जाग उठे और भयभीत होकर इस प्रकार बोले- "अरे! मैं तो अशुद्ध हो गया! तू यह क्या कर रहा है? भय छोड़कर मुझे इस विषय में ठीक-ठीक बता"। तब कर्ण ने उनसे कीड़े के काटने की बात बतायी।
- परशुराम ने भी उस कीड़े को देखा। वह सूअर के समान जान पड़ता था। उसके आठ पैर थे और तीखी दाढ़ें। सुई जैसी चुभने वाली रोमावलियों से उसका सारा शरीर भरा तथा रूंधा हुआ था। वह 'अलर्क' नाम से प्रसिद्ध कीड़ा था। परशुराम की दृष्टि पड़ते ही उसी रक्त से भीगे हुए कीडे़ ने प्राण त्याग दिये फिर यह शाप से मुक्त हो गया।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 53 |
- ↑ महाभारत शान्ति पर्व |अनुवादक: साहित्याचार्य पण्डित रामनारायणदत्त शास्त्री पाण्डेय 'राम' |प्रकाशक: गीताप्रेस, गोरखपुर |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 4430-4431 |
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